मेवाड़ में उपचुनाव : सीएम की प्रतिष्ठा और प्रदेशाध्यक्ष की परीक्षा

सीएम को यह क्यों कहना पड़ा कि कार्यकर्ताओं की सुनी जाएगी, आगे भी उनको तरजीह देंगे

उदयपुर। मेवाड़ की सलूंबर और चौरासी विधानसभा सीटों पर आगामी उपचुनाव में भाजपा के लिए यह एक महत्वपूर्ण राजनीतिक परीक्षा बन गई है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की व्यक्तिगत प्रतिष्ठा और प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ की नेतृत्व क्षमता पर भी इस चुनाव का परिणाम गहरा असर डालेगा।

सलूंबर और चौरासी : भाजपा के लिए चुनौती
सलूंबर वह सीट है जिसे कांग्रेस पारंपरिक रूप से मजबूत मानती है, परंतु बीते तीन चुनावों से यह सीट भाजपा के कब्जे में है। विशेष रूप से दिवंगत अमृतलाल मीणा लगातार तीन बार यहां से विधायक चुने गए। इस बार भाजपा के सामने चुनौती है कि इस किले को बरकरार रखें, खासकर तब जब पिछली दो बार त्रिकोणीय मुकाबलों में उन्होंने अपनी जीत दर्ज की थी। दूसरी ओर, चौरासी सीट पर आदिवासी पार्टी का पिछले दो चुनावों से वर्चस्व है, जिससे इस सीट को जीतना कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए टेढ़ी खीर बन गया है।

कार्यकर्ताओं की ताकत और सीएम का संदेश
चुनाव प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का यह बयान कि “कार्यकर्ताओं की सुनी जाएगी और उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी”, साफ तौर पर पार्टी के भीतर कार्यकर्ताओं के असंतोष को शांत करने का प्रयास है। उन्होंने सीधे तौर पर यह संकेत दिया कि चुनाव में जीत के लिए जमीनी कार्यकर्ताओं का साथ और समर्थन आवश्यक है। यह बयान यह भी दर्शाता है कि सीएम को इस बार कार्यकर्ताओं की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है, जो पार्टी के लिए एक बड़ी चुनौती हो सकती है।

प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ के लिए परीक्षा
इस उपचुनाव में प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ की नेतृत्व क्षमता भी कसौटी पर है। राज्य में ‘डबल इंजन’ की सरकार होने के बावजूद अगर पार्टी इन सीटों पर हारती है, तो यह राठौड़ की नेतृत्व क्षमता पर सवाल खड़े करेगा। उन्होंने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि “डबल इंजन सरकार की योजनाओं का लाभ जनता तक पहुंचाएं”, यह संदेश साफ तौर पर विकास और कल्याणकारी योजनाओं के जरिए मतदाताओं को आकर्षित करने की रणनीति की ओर इशारा करता है।

विरोधियों की चुनौतियों का सामना
प्रदेशाध्यक्ष राठौड़ का यह बयान कि “विपक्ष द्वारा पहले फैलाई गई भ्रांतियों का अब कोई असर नहीं है,” इस बात को दर्शाता है कि भाजपा अब मतदाताओं के बीच अपनी छवि को पुनः मजबूत करने की कोशिश कर रही है। हालांकि, विपक्ष ने अपने सशक्त चुनाव प्रचार के माध्यम से जनता के बीच भाजपा की नीतियों और वादों पर सवाल खड़े किए हैं, जिससे यह उपचुनाव एक प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गया है।

सलूंबर और चौरासी के उपचुनाव न केवल मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के राजनीतिक करियर के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि यह प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ के नेतृत्व की भी परीक्षा है। कार्यकर्ताओं की नाराजगी और विपक्ष के हमलों के बीच, भाजपा को अपनी नीतियों और योजनाओं के आधार पर जनता का भरोसा जीतना होगा।

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