
उदयपुर। बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी के लिए अपना गृहक्षेत्र मेवाड़ को बचाना मुश्किल हो रहा है। गुलाबचंद कटारिया को असम का राज्यपाल बनाने के बाद मेवाड़ में बीजेपी का कोई क्षत्रप नहीं बचा है। वसुंधरा राजे का भी मेवाड़ और वागड़ के इलाकों में अच्छा प्रभाव रहा है और उनको दरकिनार करना का बीजेपी को नुकसान होगा। पूर्व अध्यक्ष सतीश पूनिया ने अपने प्रदेशाध्यक्ष के कार्यकाल में मेवाड़ और वागड़ में काफी समय बीताया था। प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी अपने संसदीय क्षेत्र में अन्य सांसदों की तरह ही एंटी इन्कंबेंसी झेल रहे हैं।

चित्तौड़गढ़ संसदीय क्षेत्र से दो बार सांसद चुने गए सीपी जोशी के लिए यह चुनाव अग्निपरीक्षा की तरह हैं। इससे पहले वे दोनों चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लहर में ही जीते हैं। सीपी जोशी के भी उदयपुर, मावली और वल्लभनगर से चुनाव मैदान में उतारे जाने के कयास लगाए जा रहे हैं। उनके समर्थक भी यही मान कर चल रहे हैं। सच यह है कि सीपी जोशी का पूरे मेवाड़ में नगण्य प्रभाव है। उनके समर्थक भी टिकट की दौड़ में लगे हैं। चित्तौड़गढ़ जिले में ही उन्हें अपने ही प्रतिद्वंद्वदी श्रीचंद कृपलानी जैसे नेताओं का सामना करना पड़ेगा।
कटारिया और वसुंधरा की मुलाकात के मायने
यह बात सच है कि गुलाबचंद कटारिया का पूरे मेवाड़ में अपना वर्चस्व आज भी है। उनके नहीं होने का असर बीजेपी को देखना पड़ सकता है। दरअसल कटारिया अब भी सक्रिय राजनीति में रहना चाहते हैं। वे अपने बयानों में कह चुके हैं कि पार्टी जब जो आदेश देगी, मैं वही करूंगा। लेकिन हालही अपने जन्मदिन पर उनका महत्वपूर्ण बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी में संगठन सर्वोपरि है, यहां व्यक्ति की पूजा नहीं होती है। क्या यह बयान कटाक्ष के रूप में कहा गया है क्योंकि इस वक्त बीजेपी में पीएम मोदी और शाह के अलावा कोई और चेहरा नहीं है। हालांकि मोदी ने मेवाड़ में ही यह संदेश दिया था कि यह चुनाव कमल के फूल के चेहरे पर ही लड़ा जाएगा।

दूसरी सूची से पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा के दौरे के मायने
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उदयपुर में संभाग स्तरीय पदाधिकारियों की बैठक ली। बैठक में उन्होंने दो महत्वपूर्ण संदेश दिए। एक असंतुष्टों को कैसे मनाया जाए? उन्होंने कहा कि जो भी कार्यकर्ता या नेता जिस किसी से नाराज है, मनाने के लिए तीसरे पक्ष का इस्तेमाल करें। मतदाताओं से विनम्रता के साथ मिलें। मतदान वाले दिन 11 बजे तक अपने बूथ पर अधिक से अधिक मतदाताओं को लेकर आएं। दरअसल पहली लिस्ट में बीजेपी ने उदयपुर संभाग की 6 सीटों पर प्रत्याशी घोषित किए थे। उसमें से 2 सीटों पर उतारे गए प्रत्याशी का जबरदस्त विरोध है। डूंगरपुर सीट पर बीजेपी ने बंसीलाल कटारा को प्रत्याशी घोषित किया हैं। इसका विरोध हो रहा है।
वहीं, बांसवाड़ा की बागीदौरा सीट से बीजेपी ने प्रदेश मंत्री कृष्णा कटारा को प्रत्याशी घोषित किया हैं। इनके विरोध में दो बार बीजेपी के प्रत्याशी रहे खेमराज गरासिया उतर आए हैं। वे क्षेत्रीय पार्टी बीएपी से चुनाव लड़ सकते हैं।
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