
लखनऊ, सरस्वतीपुरम। लखनऊ की बड़े मंगल की परंपरा न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह सेवा, समर्पण और सामूहिकता की भी मिसाल रही है। इसी भावना को जीवंत रखते हुए वसुंधरा फाउंडेशन के तत्वावधान में राकेश श्रीवास्तव के परिवार द्वारा रघुनाथ रामेश्वरम मंदिर, खरगापुर में 28वां वार्षिक भंडारा और सुंदरकांड पाठ का आयोजन किया गया।
जैसे ही ज्येष्ठ माह की गर्मी अपने चरम पर पहुंचती है, वैसे ही बड़े मंगल के दिन लखनऊ की गलियाँ भक्ति, भंडारे और भुने चने की सौंधी खुशबू से भर जाती हैं। परंपरा के अनुसार, यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र रहा, बल्कि यह प्रकृति और समाज के प्रति कृतज्ञता जताने का माध्यम भी बना।
संस्था की सचिव श्रीमती मीनू श्रीवास्तव ने बताया कि इस विशेष दिन पर क्षेत्र में और कोई भंडारा न होने के कारण स्थानीय लोग वर्ष भर इस आयोजन की प्रतीक्षा करते हैं। उन्होंने कहा, “यह आयोजन अब एक सामाजिक परंपरा बन गया है, जिसमें अजनबी भी अपने लगते हैं। यहाँ आने वाली भीड़ इसकी लोकप्रियता और समाज की सहभागिता का प्रमाण है।”
इस अवसर पर सुंदरकांड पाठ के साथ वातावरण भक्तिमय रहा और प्रसाद वितरण में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। आयोजन में उमेश कुमार सिंह, मीरा श्रीवास्तव, रविशंकर प्रसाद, मधुलिका आलोक सिन्हा, रमाकांत श्रीवास्तव, अमित, आर्यक, शशिधर, हरिहर सिंह, दुर्गा शुक्ला जैसे गणमान्य व्यक्तियों ने सहयोग प्रदान किया।
इसके अलावा वसुंधरा फाउंडेशन से जुड़े बच्चों ने भी आयोजन को सफल बनाने में भरपूर मेहनत की, जिससे यह आयोजन न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान बल्कि एक समूहिक समाज निर्माण की अनुभूति बन गया।
स्रोत :– राकेश श्रीवास्तव
संयोजक, वसुंधरा फाउंडेशन
About Author
You may also like
-
उत्तरकाशी हादसा : बादल फटना, पहाड़ों का बढ़ता खतरा और हमारी तैयारी की परीक्षा
-
प्रखर ने कोपरनिकस ओलंपियाड में प्रथम स्थान प्राप्त कर बढ़ाया भारत का मान
-
उदयपुर के दिलीप सिंह शेखावत करेंगे म्यांमार में भारतीय महिला अंडर-20 टीम के प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई
-
हिन्दुस्तान जिंक का ग्रीन लॉजिस्टिक्स की ओर ऐतिहासिक कदम, 200 ईवी और एलएनजी ट्रकों के साथ 100% डीकार्बोनाइजेशन की दिशा में अग्रसर
-
विदाई की वो सुबह जो कोई नहीं चाहता था…