सुप्रीम कोर्ट का संभल जामा मस्जिद मामले में अहम आदेश: सिविल कोर्ट की सुनवाई पर रोक, शांति बनाए रखने का निर्देश

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के संभल जिले स्थित शाही जामा मस्जिद से जुड़े विवाद में अहम आदेश दिए हैं। यह मामला 16वीं सदी के एक ध्वस्त मंदिर के स्थान पर मस्जिद बनाए जाने के दावे से संबंधित है। पिछले कुछ समय से इस मुद्दे को लेकर सांप्रदायिक तनाव बढ़ने के बाद हिंसा भड़क उठी थी, जिसमें पांच लोगों की मौत हो गई थी। इस हिंसा के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए उत्तर प्रदेश पुलिस और संभल जिला प्रशासन को कड़ा निर्देश दिया है कि वे पूरी तरह तटस्थ रहकर शांति बनाए रखें।

कोर्ट ने सिविल कोर्ट की सुनवाई पर लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने यह स्पष्ट किया कि सिविल कोर्ट में इस मामले की कोई और सुनवाई नहीं होगी। अदालत ने कहा कि मस्जिद के प्रबंधन से जुड़ी शाही मस्जिद कमिटी को कानूनी विकल्पों का पूरा अधिकार है, और वह इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सकती है या फिर इलाहाबाद हाई कोर्ट में अपील कर सकती है।

आदेश की वजह: हिंसा और सांप्रदायिक तनाव

संभल के शाही जामा मस्जिद में हुए सर्वे के दौरान हिंसा भड़क उठी थी, और इसके परिणामस्वरूप पांच लोगों की मौत हो गई थी। इस हिंसा को लेकर पुलिस ने चार मौतों की पुष्टि की थी। इसके बाद, अदालत ने इस विवाद को सुलझाने के लिए सिविल कोर्ट में सर्वे और सुनवाई के आदेश दिए थे, लेकिन इसके परिणामस्वरूप और भी विवाद और सांप्रदायिक तनाव बढ़ गया। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर संज्ञान लिया और इस विवाद को निपटाने का एक नया मार्गदर्शन दिया।

मस्जिद कमिटी को हाई कोर्ट में याचिका दायर करने की सलाह

सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद कमिटी को यह सुझाव दिया कि वह सिविल कोर्ट के आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर करे। इसके साथ ही, कोर्ट ने यह भी सुनिश्चित किया कि अगर कोई याचिका दायर की जाती है तो हाई कोर्ट को उसे तीन दिन के अंदर सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करना होगा। अदालत ने इस पूरे मामले में उत्तर प्रदेश सरकार से शांति बनाए रखने और पूरी तरह से तटस्थ रहने को कहा।

भविष्य की कानूनी प्रक्रिया

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 6 जनवरी, 2025 के सप्ताह में तय की है। इस दौरान, कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वह इस केस के मेरिट पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते। अदालत ने यह भी आदेश दिया कि सिविल कोर्ट में इस मामले से जुड़ा कोई नया दस्तावेज दाखिल नहीं किया जाए।

मस्जिद कमिटी की ओर से पेश हुए वकील का बयान

मस्जिद कमिटी की ओर से वरिष्ठ वकील हुज़ैफा अहमदी ने अदालत में कहा कि देश भर में ऐसे कई मामले चल रहे हैं, जिनमें दावा किया जा रहा है कि प्राचीन मंदिरों के ऊपर मस्जिदें बनी हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह के मामलों में स्थानीय अदालतें मस्जिदों का सर्वे करने के आदेश देती हैं, और इस मामले में भी सर्वे का आदेश सिविल कोर्ट द्वारा दिया गया था।

हिंदू-मुस्लिम विवादों से जुड़ी अन्य घटनाएँ

यह मामला भारत में धार्मिक स्थलों के विवादों से जुड़ी घटनाओं का हिस्सा है। पिछले कुछ वर्षों में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें यह दावा किया गया है कि प्राचीन मस्जिदें पहले मंदिरों पर बनाई गई थीं। मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि, वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद और अजमेर शरीफ दरगाह जैसे मामलों में अदालतों ने सर्वे के आदेश दिए थे। इन विवादों में अक्सर हिंसा और सांप्रदायिक तनाव का माहौल पैदा होता है।

सुप्रीम कोर्ट का ताजा आदेश इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि इससे न केवल कानून के समक्ष न्याय की प्रक्रिया स्पष्ट होती है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि इस मामले में शांति और सौहार्द बना रहे।

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