इमरजेंसी-1975 पर सियासत : लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राष्ट्रपति ने भी अपने अभिभाषण में जिक्र क्यों किया?

नई दिल्ली। देश की संसद में राजनीति इमरजेंसी-1975 पर फाेकस हो गई है। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने दूसरी बार यह पद संभालने के बाद इमरजेंसी का जिक्र किया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी अपने अभिभाषण में इमरजेंसी का जिक्र करते हुए इसको लोकतंत्र के लिए काला अध्याय बताया है। बीजेपी भी फिलहाल इमरजेंसी को लेकर ही कांग्रेस पर हमला बोल रही है।
दरअसल इसके पीछे की वजह क्या है? इसको लेकर क्यों सवाल उठाए जा रहे हैं? बीजेपी के आलोचकों का कहना है कि राहुल गांधी और विपक्ष ने संविधान बचाने के मुद्दे पर बीजेपी को घेरे रखा। इसका उन्हें चुनावों में फायदा भी मिला। बीजेपी के सियासी हमले विपक्ष के इस मुद्दे को भेद नहीं सके।

संसद की शुरुआत वाले दिन ही विपक्ष के सभी सांसदों ने संविधान की प्रति हाथ में लेकर ही शपथ ली और संविधान को बचाने के संकल्प को दोहराया। लोकसभा स्पीकर के चुनाव में भी विपक्ष ने अपना प्रत्याशी उतारा, लेकिन संख्याबल एनडीए के पास था।
बहरहाल संविधान बचाने के विपक्ष के मुद्दे के जवाब में बीजेपी और सरकार ने इमरजेंसी पर ही कांग्रेस और विपक्ष को घेरना शुरू कर दिया। यही वजह है कि लोकसभा स्पीकर और राष्ट्रपति ने अपने भाषण में इमरजेंसी का जिक्र किया।

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला के संबोधन में इमरजेंसी के जिक्र पर विवाद हो रहा है। इसी मुद्दे पर विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने गुरुवार 27 जून को बिरला से मुलाकात की। राहुल ने उनसे आपातकाल का जिक्र करने पर नाखुशी जताई। राहुल ने ये भी कहा कि यह पूरी तरह से राजनीतिक मुद्दा है, इससे बचा जा सकता था।

राहुल के साथ सपा के धर्मेंद्र यादव, डिंपल यादव, DMK की कनिमोझी, NCP (शरद पवार) की सुप्रिया सुले, RJD की मीसा भारती, TMC के कल्याण बनर्जी और RSP के एनके प्रेमचंद्रन समेत अन्य सांसद बिरला से मिलने पहुंचे थे।

इस बीच, कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने भी बिरला को चिट्ठी लिखी। उन्होंने कहा कि संसद के इतिहास में अध्यक्ष का पद अभूतपूर्व है। एक नवनिर्वाचित स्पीकर के ‘पहले कर्तव्यों’ में से एक के रूप में अध्यक्ष की ओर से यह (इमरजेंसी का जिक्र) आना और भी गंभीर हो जाता है।

वेणुगोपाल ने ये भी लिखा कि मैं इसे संसद की संस्थागत विश्वसनीयता पर प्रभाव डालने वाले एक बहुत ही गंभीर मामले के संदर्भ में लिख रहा हूं। मैं, कांग्रेस की तरफ से संसदीय परंपराओं के इस उपहास पर अपनी गहरी चिंता जताता हूं।

About Author

Leave a Reply