चंडीगढ़। जिस समय दुनिया इसराइल और लेबनान के युद्ध की खबरों में उलझी थी, उसी वक्त मंगलवार को हरियाणा के सियासी अखाड़े में एक और निर्णायक युद्ध लड़ा जा रहा था। हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में चुनावी रण का फैसला होना था, और जब नतीजे सामने आए, तो बीजेपी ने हरियाणा में हैरतअंगेज तरीके से कांग्रेस को सियासी पिच पर क्लीन बोल्ड कर दिया। बीजेपी तीसरी बार सरकार बनाने की राह पर है, और इस जीत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के नेतृत्व को एक बार फिर मजबूत कर दिया है, भले ही पार्टी लोकसभा में 303 से 240 सीटों पर सिमट गई हो।
चुनावी परिणामों की सुबह की शुरुआत कांग्रेस के लिए मिठाइयों के साथ हुई। 60 सीटों पर कांग्रेस की बढ़त ने जैसे सियासी उत्सव छेड़ दिया। लेकिन जैसे क्रिकेट में आखिरी ओवर में गेम बदलता है, वैसे ही यहां भी नतीजों ने पलटी मारी। महज एक घंटे में कांग्रेस का स्कोर आधा होकर 30 सीटों के नीचे सिमट गया, और बीजेपी ने बहुमत का आंकड़ा छू लिया। जैसे-जैसे समय बीतता गया, काउंटिंग का खेल कभी इस तरफ तो कभी उस तरफ झूलता रहा, पर कांग्रेस आगे बढ़ने में नाकाम रही।
कांग्रेस के नेता इस पूरे मैच को आखिरी गेंद तक देखते रहे, उम्मीदें आखिरी क्षण तक बनी रहीं, लेकिन अंत में हार माननी पड़ी। दिलचस्प यह रहा कि न तो एग्जिट पोल जनता का मूड भांप पाए, और न ही हरियाणा की ज़मीनी रिपोर्टिंग ने सच्चाई उजागर की। कांग्रेस की हवा में जीत का दावा करने वाले पत्रकार और एंकर भी अचानक बीजेपी की जीत पर मोदी के “जादू” की कहानियाँ बुनने लगे। चुनाव परिणामों का यही हश्र होता है—जीतने वाले की रणनीति की तारीफ होती है, हारने वाले की कमियों का पोस्टमार्टम।
बीजेपी का मास्टरस्ट्रोक :
हरियाणा की पिच पर कांग्रेस किसान, जवान और पहलवान के मुद्दों की फिल्डिंग जमाए खड़ी थी, लेकिन बीजेपी ने सियासी पिच को कुछ इस कदर तैयार किया कि कांग्रेस अपनी ही रणनीति में उलझ गई। बीजेपी ने जातिवाद और क्षेत्रवाद की फील्ड में शॉट मारते हुए वो सीटें झटक लीं, जो कांग्रेस के लिए आसान लग रही थीं। सबसे दिलचस्प यह रहा कि बीजेपी ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ स्विंग बॉल फेंकते हुए, सैलजा की नाराजगी को बड़ा मुद्दा बना दिया। कांग्रेस इस सियासी गेंदबाजी को समझ ही नहीं पाई और अपने ही आत्मविश्वास में डूबी रही।
सियासत का क्रिकेट मैदान :
किसी भी खेल की तरह सियासत में भी दिन का महत्व होता है। जिस टीम का दिन होता है, वो जीत जाती है। जीतने वाले की रणनीति के कसीदे पढ़े जाते हैं, और हारने वाले के हिस्से में आलोचना और सवाल आते हैं। इस चुनाव में भी यही हुआ। कांग्रेस ने लोकसभा चुनावों में बीजेपी को 240 सीटों पर रोकने के बाद अति आत्मविश्वास दिखाया, लेकिन हरियाणा में बाजी बीजेपी ने मार ली।
बीजेपी ने एक बार फिर साबित कर दिया कि सियासी खेल की मास्टर वही है। हार की कगार पर खड़ी होने के बावजूद बीजेपी ने चुनावी रणभूमि में आक्रामकता से वापसी की। उसकी रणनीति किसी चालबाज़ी पर आधारित नहीं थी, बल्कि एक सीधा और सधा हुआ हमला था। जैसे इसराइल चारों तरफ से हमले झेलते हुए भी अपने दुश्मनों पर भारी पड़ रहा है, वैसे ही बीजेपी ने भी कांग्रेस के हर दांव को नाकाम कर जीत का झंडा गाड़ दिया।
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