लखनऊ। यूपी पुलिस ने एक सनसनीखेज एनकाउंटर में एक गैंगरेप के आरोपी को मार गिराया। यह घटना देर रात हुई जब पुलिस आरोपी को पकड़कर ले जा रही थी, तभी उसने भागने की कोशिश की और पुलिस ने जवाबी कार्रवाई में उसे ढेर कर दिया। हालांकि, इस एनकाउंटर के बाद कई सवाल भी खड़े हो गए हैं, खासकर पुलिस की रणनीति और इंस्पेक्टर की भूमिका को लेकर।
क्या था मामला? : जानकारी के मुताबिक, आरोपी पर एक युवती के साथ गैंगरेप का आरोप था, और पुलिस उसे पूछताछ के लिए लेकर जा रही थी। इसी दौरान चलते ऑटो में उसने भागने की कोशिश की, जिसके जवाब में पुलिस ने गोली चलाई। आरोपी को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका।
पुलिस की कार्रवाई पर सवाल : हालांकि, इस एनकाउंटर में कई सवाल उठ रहे हैं—
🔹 चलते ऑटो में एनकाउंटर कैसे संभव हुआ?
🔹 आरोपी के पास हथियार नहीं था, फिर पुलिस ने गोली क्यों चलाई?
🔹 इंस्पेक्टर की ग़लती क्या थी?
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, इंस्पेक्टर ने सुरक्षा उपायों में चूक की, जिससे आरोपी को भागने का मौका मिला। वरिष्ठ अधिकारियों ने इस लापरवाही को गंभीरता से लिया है और जांच के आदेश दिए गए हैं।
क्या कह रही है पीड़िता और परिजन?
पीड़िता के परिवार ने पुलिस कार्रवाई का समर्थन किया, लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि आरोपी को न्यायिक प्रक्रिया के तहत सजा मिलनी चाहिए थी, न कि एनकाउंटर में मारा जाना चाहिए था।
सरकार और प्रशासन की प्रतिक्रिया
प्रदेश सरकार ने मामले की निष्पक्ष जांच का आदेश दिया है। वहीं, पुलिस का कहना है कि यह आत्मरक्षा में उठाया गया कदम था।
अब सवाल उठता है—क्या यह असली न्याय था या पुलिस की जल्दबाजी?
इस एनकाउंटर से फिर वही बहस छिड़ गई है—क्या कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस को ऐसे फैसले लेने चाहिए, या न्यायालय की प्रक्रिया का पालन करना जरूरी है?
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