गणगौर घाट की बेचैन लहरें : एक अधूरी जिंदगी की दर्दनाक कहानी

उदयपुर। लेकसिटी की जगमगाती रात, पिछोला झील की शांत लहरें और गणगौर घाट का वो ठहरा हुआ सौंदर्य… लेकिन इसी ठहराव के बीच शुक्रवार की रात एक जिंदगी हमेशा के लिए थम गई। सवाई जाट, 21 साल का वो नौजवान, जिसने शायद सपनों से भरी आंखों के साथ इस ऐतिहासिक शहर में कदम रखा होगा, अब कभी अपने घर नहीं लौटेगा।

रात के करीब 10 बजे गणगौर घाट पर अफरा-तफरी मच गई। झील की सतह पर उठते-गिरते हलकों ने यह इशारा कर दिया था कि कोई इसमें समा चुका है। सूचना मिलते ही घंटाघर थाना पुलिस हरकत में आई, लेकिन उम्मीद और दुआओं की वो पतली डोर ज्यादा देर तक न टिक सकी। राजस्थान नागरिक सुरक्षा विभाग और नगर निगम की टीम ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी। गोताखोर छोटू भाई, दीपक वडेरा, जुम्मा, कैलाश मेनारिया, भवानी शंकर, इस्माइल, दिनेश गमेती और हुसैन ने पूरी रात उस अनजान युवक को खोजने में बिता दी।

हर बीतते पल के साथ घड़ी की सुइयां उम्मीद को निगलती जा रही थीं। और फिर, तमाम कोशिशों के बाद जब उसका निढाल शरीर पानी से बाहर निकाला गया, तब घाट के किनारे खड़े लोगों की आंखें नम हो गईं। सवाई अब इस दुनिया में नहीं था। एक घर, एक परिवार, जो उसके लौटने की राह देख रहा होगा, उन्हें अब एक ऐसे संदेश का सामना करना पड़ेगा, जो हर माता-पिता के लिए किसी वज्रपात से कम नहीं होता— “आपका बेटा अब इस दुनिया में नहीं रहा…”

उसके सपने अधूरे रह गए, उसकी हंसी अब सिर्फ यादों में बसी रहेगी। पुलिस ने शव को मोर्चरी में रखवा दिया है, परिजनों को सूचना दे दी गई है। लेकिन इस हादसे के पीछे क्या वजह थी? क्या ये एक हादसा था या कोई अनसुनी पुकार जो गणगौर घाट की लहरों में समा गई?

यह सवाल अभी बाकी हैं, लेकिन जो चला गया, वो अब कभी वापस नहीं आएगा…।

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