
उदयपुर। शहीदों की गाथाओं से सजी, सामाजिक सरोकारों से जुड़ी, और प्रतिभाओं की पहचान को मंच देती एक शाम… ये सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं था, ये सम्मान की वो परंपरा थी जिसने हर दिल में उम्मीद की लौ जलाई। राजस्थान संस्कृति एवं साहित्य संस्थान द्वारा आयोजित ‘उदयपुर रत्न सम्मान समारोह’ की पांचवीं कड़ी ने इस बार अपने ही स्तर को पार कर लिया।
शहीदों को सलाम, परिजनों को प्रणाम
जब सभागार की हर कुर्सी भरी थी और मंच पर उन वीर शहीदों के नाम पुकारे गए जिन्होंने देश के लिए प्राण अर्पण किए, तो पूरा माहौल सम्मान और गर्व से भर गया।
कैप्टन विक्रम बत्रा, मेजर दीक्षांत थापा, कैप्टन अंशुमान सिंह, कर्नल मनप्रीत सिंह और कैप्टन शुभम गुप्ता को मरणोपरांत ‘उदयपुर रत्न’ से नवाज़ा गया।
जिन माता-पिता ने अपने लाल को देश के लिए खोया, उन्हें खड़े होकर सम्मानित करते वक्त पूरा सभागार अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख पाया। हर आंख नम थी, पर सीना गर्व से चौड़ा।
प्रतिभाओं की परछाइयों से उजालों तक की यात्रा
इस आयोजन की खूबी रही – उम्र की कोई सीमा नहीं, क्षेत्र की कोई बाधा नहीं।
10 साल की कियाना परिहार से लेकर 100 साल की प्रेरणाओं तक, शिक्षा, समाजसेवा, साहित्य, खेल और स्त्री उत्थान जैसे क्षेत्रों में बेहतरीन योगदान देने वालों को मंच से आवाज़ दी गई, तालियों से नवाज़ा गया।
लाइफटाइम अचीवमेंट हो या यंग अचीवर कैटेगरी, हर सम्मान एक प्रेरणा था।
मुख्य अतिथि की जुबां से निकले दिल के बोल
रिटायर्ड मेजर जनरल डॉ गगनदीप बक्शी ने इस समारोह की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए कहा –
“कार्यक्रम तो बहुत होते हैं, पर ऐसा गरिमामय आयोजन विरले होते हैं। उदयपुर की तरह ही ये शाम भी खूबसूरत और ऐतिहासिक थी।”
आयोजन समिति की सोच और संकल्प
संस्थापक अध्यक्ष रोहित बंसल ने स्पष्ट कहा –
“हमारा उद्देश्य सिर्फ सम्मान देना नहीं, गुमनाम सितारों को पहचान देना है। यह मंच उन्हें रोशनी में लाने का जरिया है, ताकि अगली पीढ़ी उनसे प्रेरणा ले सके।”
सम्मान सिर्फ एक ट्रॉफी नहीं होता,
वो किसी जीवन की तपस्या की गूंज होता है।
जो शहीदों के नाम हो, वो गर्व होता है,
और जो समाज को दिशा दे, वो ‘उदयपुर रत्न’ होता है।
अंत में बस इतना ही कहा जा सकता है…
जिनके हौसले आसमानों से ऊंचे हैं,
उन्हीं को मिलता है ये रत्न सम्मान।
न उम्र की सीमा, न क्षेत्र का बंधन,
हर कर्मयोगी को मिलता है पहचान।
शहीदों की मिट्टी में है वतन की जान,
उन्हें नमन, उन्हें सलाम,
और हर कर्मवीर को हमारा प्रणाम।
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