पाकिस्तान के एयरस्पेस बंद होने से भारत पर असर

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए दुखद चरमपंथी हमले के बाद उपजे तनाव के माहौल में, पाकिस्तान द्वारा भारतीय विमानों के लिए अपना एयरस्पेस बंद करने का फैसला भारत पर कई तरह से प्रभाव डालेगा। यह कदम, जिसकी घोषणा भारतीय समयानुसार गुरुवार शाम छह बजे के बाद लागू हुई, न केवल भारतीय विमान कंपनियों के लिए परिचालन संबंधी चुनौतियां खड़ी करेगा बल्कि यात्रियों की यात्रा योजनाओं और टिकट की कीमतों पर भी असर डालेगा।

तत्काल प्रतिक्रिया और विमानों का मार्ग परिवर्तन:

पाकिस्तान की इस अप्रत्याशित घोषणा ने भारतीय विमान कंपनियों को तत्काल हरकत में ला दिया। उस समय हवा में मौजूद विमानों, जिनमें से कई पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र से गुजरने वाले थे, उन्हें सुरक्षित रूप से वापस भारत की ओर मोड़ने की प्राथमिकता दी गई। एक वरिष्ठ विमान कंपनी अधिकारी के अनुसार, पहली चिंता यही थी कि इन विमानों को बिना किसी बाधा के भारतीय सीमा में लाया जाए, जिसके बाद आगे की रणनीति पर विचार किया जाना था। यह घटनाक्रम 2019 में बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद पाकिस्तान द्वारा लगाए गए लंबे एयरस्पेस प्रतिबंध की याद दिलाता है, जब भारतीय विमानों को 27 फरवरी से 16 जुलाई के बीच वैकल्पिक मार्गों का उपयोग करना पड़ा था।

दिल्ली और उत्तरी भारत पर सबसे ज़्यादा असर:

पाकिस्तान के इस नए फैसले का सबसे महत्वपूर्ण प्रभाव दिल्ली से उड़ान भरने वाले विमानों पर पड़ेगा। इसके अतिरिक्त, उत्तर भारत के कुछ अन्य हवाई अड्डे, जैसे अमृतसर और लखनऊ, भी इससे प्रभावित होंगे। दिल्ली, जो मध्य एशिया, पश्चिम एशिया, यूरोप, ब्रिटेन और उत्तरी अमेरिका के लिए उड़ानों का एक प्रमुख केंद्र है, से संचालित होने वाली भारतीय विमान कंपनियों को अब अपने सामान्य उड़ान मार्गों में बदलाव करना होगा।

एविएशन कंसल्टेंट और एयर इंडिया के पूर्व एग्ज़िक्यूटिव डायरेक्टर जीतेंद्र भार्गव के अनुसार, मुंबई से यूरोप और अमेरिका जाने वाले विमानों पर इस प्रतिबंध का कोई खास असर नहीं होगा। हालांकि, दिल्ली से उड़ान भरने वाले विमानों को पाकिस्तानी एयरस्पेस से बचने के लिए अहमदाबाद से होकर एक लंबा चक्कर लगाना पड़ेगा।

बढ़ी हुई उड़ान अवधि और ईंधन का अतिरिक्त खर्च:

इस मार्ग परिवर्तन का सीधा परिणाम यात्रियों के लिए उड़ान की अवधि में वृद्धि होगी। जहां पहले सीधी उड़ानें कम समय में गंतव्य तक पहुंच जाती थीं, वहीं अब लंबा रास्ता तय करने के कारण यात्रा में अधिक समय लगेगा। इसके साथ ही, विमान कंपनियों के लिए उड़ानों का ईंधन खर्च भी काफी बढ़ जाएगा। विमानों को अधिक दूरी तय करनी होगी, जिसके लिए उन्हें अधिक एविएशन टर्बाइन फ्यूल (ATF) की आवश्यकता होगी। इंडियन ऑयल के आंकड़ों के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय मार्गों पर उड़ने वाली भारतीय विमान कंपनियों के लिए 1 अप्रैल, 2025 से दिल्ली में एटीएफ की कीमत 794.41 डॉलर प्रति किलोलीटर और मुंबई में 794.40 डॉलर प्रति किलोलीटर है। लंबा रूट अपनाने से विमानों का ईंधन की खपत बढ़ेगी और कंपनियों को अधिक ईंधन खरीदना पड़ेगा, जिससे उनकी परिचालन लागत में वृद्धि होगी।

टिकट की कीमतों पर संभावित प्रभाव:

ईंधन और परिचालन लागत में वृद्धि की संभावना को देखते हुए, यह मुमकिन है कि आने वाले समय में विमान कंपनियां इस अतिरिक्त खर्च का बोझ यात्रियों पर डालें और टिकट की कीमतों में वृद्धि करें। यदि ऐसा होता है, तो हवाई यात्रा महंगी हो सकती है, खासकर उन मार्गों पर जो पाकिस्तान के एयरस्पेस बंद होने से सबसे ज़्यादा प्रभावित हैं।

2019 में हुआ था 500 करोड़ रुपये से ज़्यादा का नुकसान:

भारत के नागरिक उड्डयन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2019 में जब पाकिस्तान ने इसी तरह का कदम उठाया था, तो भारतीय विमान कंपनियों को 500 करोड़ रुपये से ज़्यादा का नुकसान हुआ था। इस बार भी, लंबे समय तक एयरस्पेस बंद रहने की स्थिति में यह नुकसान और बढ़ सकता है।

पाकिस्तान को भी होगा वित्तीय नुकसान:

हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि एयरस्पेस बंद होने से न केवल भारत को नुकसान होगा, बल्कि पाकिस्तान को भी वित्तीय नुकसान उठाना पड़ेगा। दुनिया के कई देश अपनी हवाई सीमा का उपयोग करने के लिए विमान कंपनियों से शुल्क वसूलते हैं, जिसे ओवरफ्लाईट फीस कहा जाता है। पाकिस्तान भी विदेशी विमान कंपनियों से यह फीस लेता है, जिसमें भारतीय कंपनियां भी शामिल हैं। यह फीस विमान के टेक-ऑफ वजन और तय की गई दूरी पर निर्भर करती है। जब पाकिस्तान अपना एयरस्पेस बंद करेगा, तो उसे भारतीय कंपनियों से मिलने वाली यह फीस नहीं मिलेगी, जिससे उसकी कमाई में कमी आएगी। 2019 में पाकिस्तान के तत्कालीन नागरिक उड्डयन मंत्री गुलाम सरवर खान ने बताया था कि भारतीय कंपनियों के लिए पाकिस्तानी एयरस्पेस बंद करने से पाकिस्तान को भी करीब पांच करोड़ डॉलर का नुकसान हुआ था।

लंबी दूरी की उड़ानों पर विशेष प्रभाव:

भारत से मध्य एशिया, यूरोप, ब्रिटेन और अमेरिका जाने वाले विमान आमतौर पर अरब सागर या मध्य एशिया के लंबे रूट के बजाय पाकिस्तानी एयरस्पेस का उपयोग करते रहे हैं, क्योंकि यह मार्ग अधिक सीधा और समय बचाने वाला होता है। अब, रूट लंबा होने से भारतीय विमान कंपनियों का ऑपरेशनल खर्च बढ़ेगा। विमानों को ज़्यादा समय तक उड़ान भरनी होगी, जिससे उन्हें ज़्यादा ईंधन की ज़रूरत होगी।

इसके अलावा, पाकिस्तानी एयरस्पेस बंद होने से दिल्ली या उत्तर भारत के दूसरे बड़े एयरपोर्ट से पश्चिम की तरफ़ जाने वाली लंबी दूरी की सीधी उड़ानों पर भी असर होगा। अभी जहां विमान 10-15 घंटे उड़ान भरकर अपने गंतव्य तक पहुंचते हैं, वहीं रूट बदलने की वजह से उन्हें बीच में कहीं लैंड करना पड़ सकता है। इससे खर्च बढ़ना तय है, क्योंकि विमान कंपनी को एयरपोर्ट पर विमान उतारने के लिए लैंडिंग चार्ज देना पड़ता है। विदेशी एयरपोर्ट पर उतरने की सूरत में वहीं से ईंधन भी खरीदना पड़ सकता है, जिसके दाम भारत की तुलना में ज़्यादा भी हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त, पायलटों के लिए उड़ान की समय सीमा निर्धारित होती है, इसलिए सीधी उड़ान के बजाय बीच में उतरने की स्थिति में कंपनियों को अतिरिक्त पायलटों की सेवाएं लेनी पड़ सकती हैं, जिससे लागत में और वृद्धि होगी।

किन विमानों पर लागू होगी पाबंदी:

जीतेंद्र भार्गव स्पष्ट करते हैं कि यह पाबंदी मुख्य रूप से उन विमानों पर लागू होगी जो भारत में पंजीकृत हैं। इसके अलावा, यदि किसी भारतीय विमान कंपनी ने विदेश में कोई विमान लीज पर लिया है, तो यह उस पर भी लागू होगी। हालांकि, मुंबई से उड़ने वाले विमानों पर इसका कोई खास असर नहीं होना चाहिए, क्योंकि उनके लिए उड़ान का समय केवल आधा घंटा तक बढ़ सकता है। दिल्ली से उड़ने वाले विमानों के लिए समय में कहीं ज़्यादा वृद्धि होगी।

विदेशी कंपनियों को हो सकता है फायदा:

पाकिस्तान के इस फैसले के बाद दिल्ली, लखनऊ और अमृतसर जैसे हवाई अड्डों से उड़ान भरने वाले भारतीय कंपनियों के विमानों को पश्चिम की तरफ बढ़ने से पहले अब गुजरात और महाराष्ट्र की तरफ जाना होगा और उसके बाद वे मुड़कर पश्चिम एशिया, यूरोप और उत्तरी अमेरिका की तरफ बढ़ेंगे।

एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि पाकिस्तान ने यह पाबंदी सिर्फ भारतीय कंपनियों पर लगाई है। ऐसे में, विदेशी एयरलाइन कंपनियां जो दिल्ली से ऑपरेट करती हैं, वे आराम से पाकिस्तानी एयरस्पेस का इस्तेमाल कर सकती हैं। उनके खर्च में कोई वृद्धि नहीं होगी, जिससे उन्हें भारतीय कंपनियों की तुलना में फायदा मिल सकता है। जाहिर है, जब उनके खर्च में इजाफा नहीं होगा तो टिकट के दाम भी नहीं बढ़ेंगे, जबकि भारतीय कंपनियों को खर्च बढ़ने के बाद टिकट के दाम बढ़ाने पड़ सकते हैं।

निष्कर्ष:

पाकिस्तान द्वारा एयरस्पेस बंद करने का फैसला भारतीय विमान कंपनियों और हवाई यात्रियों दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती है। जहां विमान कंपनियों को बढ़े हुए परिचालन खर्च और लंबी उड़ानों का सामना करना पड़ेगा, वहीं यात्रियों को लंबी यात्रा अवधि और संभावित रूप से बढ़ी हुई टिकट की कीमतों का सामना करना पड़ सकता है। इसके विपरीत, विदेशी एयरलाइन कंपनियां इस स्थिति का लाभ उठा सकती हैं। यह देखना होगा कि यह प्रतिबंध कितने समय तक जारी रहता है और भारतीय विमान कंपनियां और सरकार इस स्थिति से निपटने के लिए क्या कदम उठाती हैं।

About Author

Leave a Reply