फोटो : कमल कुमावत

जनुभाई के आदर्शों का प्रतीक बना समारोह, संस्कृति और शिक्षा के मूल्यों की पुनः स्थापना
उदयपुर। राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित एक गरिमामय समारोह में पंजाब के राज्यपाल महामहिम गुलाबचंद कटारिया को मनीषी पंडित जनार्दन राय नागर की स्मृति में प्रदत्त “संस्कृति रत्न” अलंकरण से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें भारतीय जीवन मूल्यों, सांस्कृतिक एवं नैतिक दृढ़ता तथा शिक्षा और सेवा कार्यों के प्रति उनके दीर्घकालीन समर्पण के लिए प्रदान किया गया।
समारोह प्रतापनगर स्थित आईटी सभागार में आयोजित हुआ, जहां देश की सांस्कृतिक चेतना और शिक्षात्मक परंपरा को समर्पित यह आयोजन एक विचार-प्रवाह और मूल्यों के पुनर्संस्कार का सजीव प्रतीक बन गया।
कटारिया : “जनुभाई का जीवन एक आदर्श की खुली पुस्तक”
मुख्य अतिथि के रूप में अपने उद्बोधन में महामहिम गुलाबचंद कटारिया ने कहा, “पंडित जनार्दन राय नागर एक सामान्य व्यक्ति नहीं, बल्कि शिक्षा जगत में क्रांति लाने वाले विचारक थे। उनका जीवन आदर्शों की वह पुस्तक है, जो हर पीढ़ी का मार्गदर्शन कर सकती है।”

कटारिया ने इस बात पर बल दिया कि जनुभाई ने शिक्षा को सिर्फ पठन-पाठन का माध्यम नहीं, बल्कि समाज के वंचित तबकों को सशक्त करने का औज़ार बनाया।
उन्होंने कहा, “किसी असहाय की सहायता करना और अशिक्षित को शिक्षित करना ही सच्ची मानव सेवा है। यह अलंकरण मेरे लिए केवल सम्मान नहीं, बल्कि अत्यंत भावनात्मक जुड़ाव का क्षण है, क्योंकि मेरा छात्र जीवन, शिक्षकीय भूमिका और सेवा का प्रारंभ इसी विद्यापीठ से हुआ था।”
सम्मान स्वरूप प्राप्त एक लाख रुपये की राशि को भी कटारिया ने विद्यापीठ के विकास हेतु पुनः भेंट कर अपनी सेवा भावना को और अधिक उजागर किया।
शाश्वत मूल्यों की स्थापना में जनुभाई का योगदान अविस्मरणीय – प्रो. सारंगदेवोत
विश्वविद्यालय के कुलपति कर्नल प्रो. शिवसिंह सारंगदेवोत ने समारोह में प्रशस्ति पत्र का वाचन करते हुए कहा, “संस्कृति और संस्कार ही जीवन के शाश्वत मूल्य हैं। जनुभाई का दर्शन सामाजिक समरसता, नारी सशक्तिकरण और वंचितों के उत्थान का सम्मिलित प्रतिबिंब है। उनका चिंतन आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना स्वतंत्र भारत के निर्माण काल में था।”

“संस्कृति रत्न” अलंकरण – मूल्यों के प्रति आस्था का सम्मान
समारोह की अध्यक्षता करते हुए कुलाधिपति भंवरलाल गुर्जर ने कहा कि यह राजस्थान के लिए गौरव की बात है कि गुलाबचंद कटारिया जैसे विचारशील, कर्मठ और मूल्यनिष्ठ व्यक्तित्व को यह अलंकरण प्रदान किया गया।
“यह केवल एक व्यक्ति का सम्मान नहीं, बल्कि विद्यापीठ के संस्थापक पं. जनार्दन राय नागर के जीवन-दर्शन और मूल्यों का पुनर्पाठ है।”
प्रो. सोडानी : “कटारिया बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी”
महावीर कोटा ओपन यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. कैलाश सोडानी ने कटारिया के व्यक्तित्व की बहुआयामी झलक पर प्रकाश डालते हुए कहा, “वे एक साथ शिक्षक, समाजसेवी, राजनीतिज्ञ और सांस्कृतिक संवाहक हैं। उनका सार्वजनिक जीवन नैतिक अनुशासन और सेवा की उत्कृष्ट मिसाल है। यह अलंकरण उनके इसी सतत योगदान का अभिनंदन है।”
सम्मान का स्वरूप और पुनर्दान का आदर्श
“संस्कृति रत्न” अलंकरण के अंतर्गत महामहिम कटारिया को अशोक स्तंभ, भारत माता स्मृति चिन्ह, प्रशस्ति पत्र और एक लाख रुपये की राशि भेंट की गई, जिसे उन्होंने तुरंत विद्यापीठ के विकास कार्यों हेतु समर्पित कर एक अनुकरणीय परंपरा की पुनर्स्थापना की।
उद्घाटन एवं भावभूमि : शिक्षा, संस्कृति और श्रद्धा का त्रिवेणी संगम
समारोह का शुभारंभ माॅं सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलन एवं पुष्पांजलि अर्पण से हुआ। इस अवसर पर शिक्षा और संस्कृति के प्रतीक भावों के साथ जनुभाई की स्मृति में आदर्श मूल्य प्रणाली को सामने रखने का संकल्प लिया गया।
साहित्य, शिक्षा और समाज के विविध आयामों से जुटे गणमान्य जन
इस समारोह में पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष रविन्द्र श्रीमाली, भाजपा नेता अतुल चण्डालिया, प्रो. रेणु राठौड़, प्रो. सरोज गर्ग, प्रो. जीवन सिंह खरकवाल, डॉ. कला मुणेत, डॉ. पारस जैन, डॉ. युवराज सिंह राठौड़, प्रो. आईजे माथुर, डॉ. हेमेन्द्र चौधरी, डॉ. शैलेन्द्र मेहता, प्रो. गजेन्द्र माथुर, डॉ. सपना श्रीमाली, डॉ. अमी राठौड़ सहित विद्यापीठ के विभिन्न विभागों के डीन, निदेशकगण, प्राध्यापकगण एवं शहर के अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
सम्मान से प्रेरणा की ओर
“संस्कृति रत्न” अलंकरण न केवल महामहिम गुलाबचंद कटारिया की दीर्घ सामाजिक, शैक्षिक और सांस्कृतिक सेवाओं का सम्मान है, बल्कि यह उस गहन सांस्कृतिक चेतना और राष्ट्र निर्माण के विचार को जीवित रखने का संकल्प भी है, जो पंडित जनार्दन राय नागर के जीवन दर्शन की आत्मा है। यह आयोजन आज की पीढ़ी को उस विरासत से जोड़ने का सेतु बन गया, जिसमें सेवा, संस्कार और समर्पण सर्वोच्च मूल्य हैं।
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