सामाजिक परिवर्तन की मिसाल : हिन्दुस्तान जिंक को प्रतिष्ठित 29वें भामाशाह सम्मान समारोह में एक साथ 6 पुरस्कारों से नवाज़ा

उदयपुर। राजस्थान की धरती पर शिक्षा और सामाजिक उत्तरदायित्व के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक अध्याय तब जुड़ गया, जब भारत की सबसे बड़ी और विश्व की दूसरी सबसे बड़ी एकीकृत जिंक उत्पादक कंपनी हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड को प्रतिष्ठित 29वें भामाशाह सम्मान समारोह में एक साथ 6 पुरस्कारों से नवाज़ा गया। यह महज़ एक पुरस्कार वितरण नहीं था, बल्कि उस परिवर्तनकारी यात्रा का औपचारिक सम्मान था, जिसे हिन्दुस्तान जिंक ने शिक्षा और सामाजिक सशक्तिकरण के क्षेत्र में निरंतर आगे बढ़ते हुए रचा है।

एक दशक की स्थायी प्रतिबद्धता का सम्मान

हिन्दुस्तान जिंक को यह गौरव लगातार 10वें वर्ष प्राप्त हुआ है, जो यह प्रमाणित करता है कि यह सम्मान कोई संयोग नहीं, बल्कि संकल्प की परिणति है। रामपुरा आगुचा माइन, चंदेरिया लेड जिंक स्मेल्टर, जावर माइन्स, राजपुरा दरीबा कॉम्प्लेक्स, जिंक स्मेल्टर देबारी को शिक्षा विभूषण और कायड माइन को शिक्षा भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया। ये सम्मान दर्शाते हैं कि शिक्षा के क्षेत्र में हिन्दुस्तान जिंक की इकाइयां केवल खनन नहीं, बल्कि ज्ञान के बीज बोने का भी कार्य कर रही हैं।

430 करोड़ रुपये का ऐतिहासिक निवेश

2017 से अब तक 430 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश हिन्दुस्तान जिंक ने अपनी सीएसआर योजनाओं के तहत शिक्षा क्षेत्र में किया है। यह निवेश न केवल इमारतें खड़ी करने के लिए था, बल्कि एक नवाचार आधारित समावेशी शिक्षा प्रणाली के निर्माण हेतु था। इनमें से 80 करोड़ रुपये विद्यालयों के बुनियादी ढांचे के उन्नयन — जैसे कि कक्षा निर्माण, शौचालय, पेयजल, विद्युतीकरण और खेल मैदानों के निर्माण में लगाए गए। शेष 350 करोड़ रुपये को दीर्घकालिक शिक्षा पहलों में समर्पित किया गया, जैसे कि:

नंद घर : आधुनिक आंगनवाड़ी केंद्रों की स्थापना

शिक्षा संबल : ग्रामीण वंचितों के लिए सहायक शिक्षण

जीवन तरंग : विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की समावेशी शिक्षा

ऊंची उड़ान : ग्रामीण बालिकाओं के लिए उच्च शिक्षा में अवसर

कंपनी-संचालित स्कूलों का सहयोग : गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का विस्तार

दो लाख से अधिक बच्चों का भविष्य संवारना

हर वर्ष हिन्दुस्तान जिंक के शिक्षा कार्यक्रमों से 2 लाख से अधिक ग्रामीण व आदिवासी बच्चे लाभान्वित हो रहे हैं। शिक्षा के क्षेत्र में यह हस्तक्षेप विशेष रूप से किशोर बालिकाओं के लिए स्कूल नामांकन, पुनः विद्यालय से जुड़ाव, और शैक्षणिक प्रदर्शन में सुधार जैसे क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव लाया है। इसका परिणाम स्पष्ट रूप से कक्षा 10वीं के परीक्षा परिणामों में देखा गया — जहाँ 2007 में उत्तीर्ण प्रतिशत 47% था, वहीं 2025 में यह 93.6% तक पहुंच गया है। विशेष बात यह कि बालिकाओं का प्रदर्शन बालकों से बेहतर रहा है, जो सामाजिक संरचनाओं के भीतर परिवर्तन का परिचायक है।

सरकार के साथ मिलकर बड़ा बदलाव

राजस्थान सरकार के शिक्षा विभाग के साथ 36 करोड़ रुपये के एमओयू पर हस्ताक्षर कर हिन्दुस्तान जिंक ने यह साबित कर दिया कि उनका उद्देश्य तात्कालिक नहीं, बल्कि भविष्य को गढ़ने वाला है। अगले पांच वर्षों में यह साझेदारी राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता और पहुंच को एक नई ऊंचाई तक ले जाएगी।

सामूहिक सामाजिक परिवर्तन की मिसाल

हिन्दुस्तान जिंक का योगदान केवल शिक्षा तक सीमित नहीं है। इसके प्रयासों ने 2300 से अधिक गांवों में 23 लाख से अधिक लोगों के जीवन को छुआ है — स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण, किसानों का उत्थान, स्वच्छता, जल संरक्षण और स्थायी आजीविका के क्षेत्रों में। हिन्दुस्तान जिंक आज न केवल एक खनिज उत्पादक कंपनी है, बल्कि यह सामाजिक परिवर्तन की एक चलती-फिरती संस्था बन चुकी है।

नेतृत्व की दूरदृष्टि : अरुण मिश्रा का विज़न

हिन्दुस्तान जिंक के सीईओ अरुण मिश्रा ने इस उपलब्धि पर कहा, “हमारा मानना है कि शिक्षा सशक्त समुदायों के निर्माण की सबसे मजबूत नींव है। भामाशाह सम्मान इस बात का प्रमाण है कि हमारे प्रयासों ने राजस्थान के स्कूलों, शिक्षकों और परिवारों पर स्थायी प्रभाव डाला है।”

उनका यह वक्तव्य उस सोच को दर्शाता है, जहां उद्योग केवल लाभ कमाने की इकाई नहीं बल्कि समाज निर्माण की धुरी बन जाता है।

खनिज से चरित्र निर्माण तक

29वें भामाशाह सम्मान समारोह में हिन्दुस्तान जिंक की यह उपलब्धि एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है। यह कहानी केवल एक कंपनी की नहीं, बल्कि उस सोच की है जिसमें औद्योगिक विकास के साथ सामाजिक उत्तरदायित्व को जोड़ा गया है। यह सम्मान बताता है कि जब कोई उद्योग अपनी सफलता को समाज के साथ साझा करता है, तो वह सिर्फ समृद्धि नहीं लाता — वह भविष्य गढ़ता है।

हिन्दुस्तान जिंक की यह यात्रा भारत के कॉर्पोरेट क्षेत्र के लिए एक प्रेरणा है, एक मार्गदर्शन है, और सबसे बढ़कर — एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।

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