न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश ने गढ़चिरौली आगजनी मामले में सुरेंद्र गाडलिंग की ज़मानत याचिका पर सुनवाई से खुद को किया अलग

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश ने 2016 के गढ़चिरौली आगजनी मामले से जुड़े वकील और मानवाधिकार कार्यकर्ता सुरेंद्र गाडलिंग की ज़मानत याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है। अब यह याचिका किसी अन्य पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की जाएगी।


गाडलिंग लंबे समय से जेल में बंद हैं और उन्होंने उच्चतम न्यायालय में ज़मानत की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि उन्हें झूठे मामले में फंसाया गया है और बिना ट्रायल पूरे हुए उन्हें वर्षों से हिरासत में रखा गया है।


क्या है गढ़चिरौली आगजनी मामला?
यह मामला मार्च 2016 का है, जब महाराष्ट्र के गढ़चिरौली ज़िले में माओवादियों पर आरोप है कि उन्होंने सुरक्षाबलों के वाहनों में आगजनी कर भारी नुकसान पहुंचाया था। इस प्रकरण में कई लोगों को आरोपी बनाया गया, जिनमें नागपुर के अधिवक्ता सुरेंद्र गाडलिंग का नाम भी शामिल किया गया। गाडलिंग लंबे समय से आदिवासियों और माओवादी मामलों से जुड़े आरोपितों की पैरवी करते रहे हैं।


आगे की प्रक्रिया
न्यायमूर्ति सुंदरेश के खुद को अलग करने के बाद अब सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्री द्वारा यह मामला किसी अन्य पीठ के पास भेजा जाएगा। अदालत की नई तिथि जल्द तय की जाएगी।
पृष्ठभूमि
सुरेंद्र गाडलिंग का नाम भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में भी सामने आ चुका है और वे इस मामले में भी जेल में बंद हैं। कई मानवाधिकार संगठनों और वकील संगठनों ने उनकी गिरफ्तारी को लेकर चिंता जताई है और ज़मानत दिए जाने की मांग की है।

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