“जिसका हमें था इंतजार वो घड़ी आ गई, आ गई…”
उदयपुर। शहर की हवाओं में आज यही धुन तैर रही है। फिज़ा में कुछ खास है, ऐसा एहसास जो शब्दों से परे है। बरसों से लोग जिस पल की बाट जोह रहे थे, वह आखिरकार सामने है—फतहसागर झील पूरी तरह लबालब हो चुकी है।
उदयपुर सिर्फ झीलों का शहर नहीं, यह झीलों के साथ जीता-बढ़ता है। फतहसागर उसका दिल है, धड़कन है, और जब यह भरती है तो लगता है जैसे पूरा शहर एक साथ सांस ले रहा हो। लोग कहते हैं, “अगर उदयपुर की आत्मा को देखना है, तो फतहसागर के पानी में झांक लो।”
आज जब यह झील लबालब है, तो पूरा शहर जैसे उत्सव मना रहा है। बच्चे किनारों पर भाग रहे हैं, परिवार झील किनारे जुट रहे हैं, और हर चेहरा मुस्कान से दमक रहा है।
पिछले कई महीनों से आसमान की ओर निगाहें टिकी थीं। हर बादल, हर बूंद लोगों के लिए उम्मीद लेकर आती थी। कभी लोग कहते—“अबकी बार झील जरूर भरेगी।” तो कभी चिंता होती—“पानी अभी कम है।”
लेकिन इस बार प्रकृति ने उदारता दिखाई। झमाझम बारिश ने पहाड़ियों से बहकर झील के हर कोने को भर दिया। और फिर वही पल आया, जिसका गीत शहरवासियों की जुबां पर है—“जिसका हमें था इंतजार वो घड़ी आ गई…”
सिनेमाई नजारा
अगर कोई कैमरा इस घड़ी को फिल्मा रहा होता, तो दृश्य किसी ब्लॉकबस्टर फिल्म से कम नहीं होता।
शॉट वन : बादलों से घिरा आसमान, झील का फैलता हुआ पानी, और किनारों पर उमड़ती भीड़।
शॉट टू : बच्चों का किलकारियों से भरा खेल, पानी पर तैरती नावें और मोबाइल फ्लैश की चमक।
शॉट थ्री : बुजुर्गों की आंखों में चमक और भावुकता—“हमने ये नजारा कई बरस पहले देखा था, अब फिर किस्मत से देख पा रहे हैं।”
और बैकग्राउंड में वही गाना बज रहा है—“जिसका हमें था इंतजार वो घड़ी आ गई…”
भावनाओं का सैलाब
फतहसागर का भरना महज़ एक प्राकृतिक घटना नहीं है, यह उदयपुरवासियों की भावनाओं का ज्वार है। किसानों के लिए यह खेतों में जीवन है, व्यापारियों के लिए पर्यटन का नया मौसम है, और आम लोगों के लिए गर्व का क्षण।
एक स्थानीय निवासी ने कहा—
“जब फतहसागर भर जाता है तो लगता है जैसे भगवान ने हमारी दुआएं सुन लीं। ये सिर्फ पानी नहीं, हमारी उम्मीद है।”
सोशल मीडिया पर बाढ़
आजकल हर खुशी का जश्न सोशल मीडिया पर दिखता है। इंस्टाग्राम पर फतहसागर की तस्वीरें छा गई हैं, फेसबुक पर लाइव वीडियो चल रहे हैं और व्हाट्सएप ग्रुप्स में लोग सिर्फ एक ही लाइन लिख रहे हैं—
“जिसका हमें था इंतजार वो घड़ी आ गई…”
अब सबकी निगाहें प्रशासन पर हैं। किसी भी वक्त फतहसागर के नाले के गेट खोले जा सकते हैं। यह वह क्षण होगा जब पानी का शोर और भीड़ का जयकारा मिलकर एक संगम रच देंगे। यह नजारा देखने के लिए शहरवासी ही नहीं, बाहर से आए सैलानी भी बेताब हैं।
फतहसागर सिर्फ पानी का स्रोत नहीं, यह उदयपुर का ताज है। यहां सुबह-सवेरे जॉगिंग करने वाले हों या शाम को डूबते सूरज का नजारा देखने वाले पर्यटक, सबकी धड़कन यही झील है। इसके भरने का मतलब है कि आने वाले महीनों में शहर की प्यास बुझेगी, किसानों के खेत लहलहाएंगे और पर्यटन उद्योग में नई जान आ जाएगी।
शहर के कोने-कोने में यही गीत गूंज रहा है। बच्चे हों, बूढ़े हों या युवा—हर किसी के दिल में एक ही सुर, एक ही खुशी है।
और जब गेट खुलेगा, तो शायद पूरा शहर एक स्वर में यही कहेगा—
“जिसका हमें था इंतजार वो घड़ी आ गई, आ गई…”
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