बांसवाड़ा में 16 साल की नाबालिग से गैंगरेप : प्राइवेट पार्ट में बोतल डालकर सड़क पर फेंका, एक आरोपी डिटेन

उदयपुर | बांसवाड़ा ज़िले में 16 साल की एक नाबालिग के साथ दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। स्कूल से लौटते समय दो नाबालिग लड़कों ने उसका अपहरण कर गैंगरेप किया और फिर उसके प्राइवेट पार्ट में बोतल डालकर सड़क किनारे फेंक दिया। पीड़िता को गंभीर हालत में पहले बांसवाड़ा और बाद में उदयपुर एमबी हॉस्पिटल रेफर किया गया, जहाँ उसकी सर्जरी करनी पड़ी। पुलिस ने एक आरोपी को डिटेन कर लिया है।

पीड़िता के परिजनों ने बताया कि 20 अगस्त को लड़की स्कूल गई थी। घर लौटने के लिए वह ऑटो का इंतज़ार कर रही थी। तभी बाइक पर दो लड़के पहुँचे। उनमें से एक उसी स्कूल का पूर्व छात्र था। उसने “घर छोड़ने” की बात कही, लेकिन नाबालिग ने मना कर दिया। इसके बाद दोनों उसे जबरन बाइक पर बैठाकर ले गए।

शराब के नशे में धुत दोनों किशोरों ने पहले एक मकान में उसके साथ दुष्कर्म किया। इसके बाद एक आरोपी उसे अपनी बुआ के घर ले गया और वहाँ भी रेप किया। आरोपियों ने क्रूरता की हद पार करते हुए पीड़िता के प्राइवेट पार्ट में बोतल डाल दी, जिससे वह बेहोश हो गई। 21 अगस्त को उसे पीपलखूंट क्षेत्र में सड़क किनारे फेंक दिया गया।

सड़क पर बेसुध पड़ी बच्ची को राहगीरों ने देख अस्पताल पहुँचाया। हालत गंभीर होने पर उसे उदयपुर एमबी हॉस्पिटल रेफर किया गया। अधीक्षक डॉ. आर.एल. सुमन ने बताया, “बच्ची जिस हालत में आई थी, वह बेहद नाज़ुक थी। तुरंत ऑपरेशन करना पड़ा। फिलहाल उसे वार्ड में शिफ्ट किया गया है।”

पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर एक आरोपी नाबालिग को डिटेन कर लिया है। दूसरे आरोपी की तलाश जारी है। अधिकारियों का कहना है कि मामले में कठोर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी।

यह वारदात सिर्फ अपराध की नहीं, बल्कि पूरे समाज की सोच पर सवाल खड़ा करती है। आखिर क्यों किशोर उम्र में ही लड़कों के भीतर ऐसी मानसिकता जन्म ले रही है? परिवार बेटों को संस्कार क्यों नहीं दे पा रहे? और सबसे बड़ा सवाल—क्या किशोर न्याय अधिनियम ऐसे दरिंदों को उम्र के बहाने बचाने का रास्ता नहीं देता?

इस केस ने साफ कर दिया है कि अपराधियों के लिए “नाबालिग” होने का बहाना काम नहीं आना चाहिए। रेप जैसे अपराध में कठोर और तेज़ सज़ा ही समाज को संदेश दे सकती है। विशेषज्ञ मानते हैं कि—

कानून को और सख़्त बनाने की ज़रूरत है।

परिवारों और स्कूलों को बच्चों में संवेदनशीलता और सम्मान की शिक्षा देनी होगी।

समाज को चुप्पी तोड़कर अपराधियों के खिलाफ सामूहिक रूप से खड़ा होना होगा।

यह घटना सिर्फ एक बच्ची की नहीं, बल्कि पूरे समाज की चेतावनी है। अगर ऐसे अपराधियों को कठोर और तेज़ सज़ा नहीं मिली, तो कल किसी और बेटी की इज़्ज़त सड़क पर पड़ी मिलेगी।

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