
उदयपुर। हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय विश्वविद्यालय, श्रीनगर में 25 से 27 अक्टूबर के बीच इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ जियोग्राफी (IIG) के तत्वावधान में 46वां अंतरराष्ट्रीय भूगोलवेत्ता सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। यह सम्मेलन भूगोल के क्षेत्र में अनुसंधान, पर्यावरणीय अध्ययन और सतत विकास पर केंद्रित रहेगा।
इस प्रतिष्ठित सम्मेलन में प्रोफेसर पी. आर. व्यास को ‘प्रोफेसर मूनिस रज़ा मेमोरियल लेक्चर’ की अध्यक्षता के लिए आमंत्रित किया गया है। प्रोफेसर मूनिस रज़ा भारत के प्रख्यात शिक्षाविद, दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एवं जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU), नई दिल्ली में कई वर्षों तक प्रभावशाली पदों पर कार्यरत रहे हैं। उनकी स्मृति में आयोजित यह व्याख्यान श्रृंखला भारतीय भूगोल के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले विद्वानों को सम्मानित करने का अवसर प्रदान करती है।
प्रोफेसर पी. आर. व्यास देश के कई विश्वविद्यालयों में बोर्ड ऑफ स्टडीज़ के सदस्य और विषय विशेषज्ञ के रूप में जुड़े हुए हैं। उन्हें हाल ही में हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा भी विषय विशेषज्ञ के रूप में नामित किया गया है। प्रोफेसर व्यास ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भूगोल एवं पर्यावरण अध्ययन के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है।
हाल ही में प्रोफेसर व्यास ने उदयपुर में “प्रकृति शोध संस्थान” की स्थापना की है, जिसके माध्यम से पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास पर अनुसंधान को नई दिशा दी जा रही है। संस्थान द्वारा उदयपुर में आयोजित सम्मेलन में देशभर के 200 से अधिक पर्यावरण वैज्ञानिकों और भूगोलवेत्ताओं ने भाग लिया।
‘प्रकृति शोध संस्थान’ ने भारत के 28 राज्यों में 11 प्रादेशिक केंद्रों की स्थापना की है, जिनके माध्यम से क्षेत्रीय पर्यावरणीय मुद्दों पर कार्य किया जा रहा है।
प्रोफेसर व्यास को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मान्यता प्राप्त है। उन्हें एसोसिएशन ऑफ अमेरिकन जियोग्राफर्स (AAG) द्वारा सैन फ्रांसिस्को नगर में 17 मार्च 2026 को आयोजित होने वाले “अर्बन मेटाबॉलिक सस्टेनेबिलिटी मॉडल” विषयक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में अपना शोधपत्र प्रस्तुत करने और पैनल डिस्कशन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है।
वे AAG के जीवन सदस्य हैं, और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उनका योगदान उल्लेखनीय माना जा रहा है।
सम्मेलन के आयोजकों ने बताया कि यह आयोजन न केवल भूगोलवेत्ताओं के लिए विचार-विनिमय का मंच बनेगा, बल्कि भारत में भू-पर्यावरण अध्ययन, सतत विकास और वैश्विक जलवायु चुनौतियों पर नई दिशा भी तय करेगा।
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