
उदयपुर। देव प्रबोधिनी एकादशी के पावन अवसर पर नारायण सेवा संस्थान के सेवा महातीर्थ, बड़ी ग्राम में रविवार को तुलसी–शालिग्राम विवाह वैदिक रीति-रिवाज़ों के साथ सोल्लास सम्पन्न हुआ। सनातन संस्कृति का यह शुभ संस्कार पारम्परिक उल्लास और धार्मिक आस्था के वातावरण में संपन्न हुआ।
वैदिक विधियों से हुई रस्में
कार्यक्रम की शुरुआत गणपति एवं कलश स्थापना के साथ हुई। इसके बाद विवाह से पूर्व की सभी पारम्परिक रस्में—तोरण, हल्दी, मेहंदी और बिंदौली—धार्मिक विधि-विधान के अनुसार सम्पन्न की गईं। विवाह आयोजन में श्रद्धालुओं और संस्थान से जुड़े लोगों की उत्साहपूर्ण भागीदारी देखी गई।
शालिग्राम की बारात का भव्य प्रस्थान
वैष्णों-देवी मंदिर प्रांगण से शालिग्राम जी की बारात धूमधाम से रवाना हुई। पाणिग्रहण संस्कार वर पक्ष की ओर से अमेरिका प्रवासी दम्पत्ति वीरेन्द्र कुमार – गीता देवी, तथा कन्या पक्ष की ओर से कैथल (हरियाणा) निवासी ललित कुमार – अंजु देवी की गरिमामयी उपस्थिति में सम्पन्न हुआ।
संस्थान अध्यक्ष का संदेश
इस अवसर पर संस्थान अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने अपने संदेश में तुलसी विवाह को सनातन परंपरा का पुण्यदायी एवं सौभाग्यशाली संस्कार बताया। उन्होंने कहा कि इस आयोजन से समाज में धर्म, सेवा और सद्भाव की भावना सुदृढ़ होती है।
वैदिक मंत्रोच्चार के बीच सम्पन्न हुआ विवाह
गोधूलि बेला में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ विवाह संस्कार पं. विकास उपाध्याय एवं पं. उपेन्द्र शास्त्री के निर्देशन में सम्पन्न हुआ। पूरा परिसर भक्ति, सौहार्द और उत्सव की अनुभूति से सराबोर रहा।
देशभर से आए दिव्यांग भी बने साक्षी
कार्यक्रम में संस्थान के ट्रस्टी-निदेशक देवेंद्र चौबीसा, राकेश शर्मा, विष्णु शर्मा हितैषी, रोहित तिवारी, अनिल आचार्य, दिलीप चौहान, बंशीलाल मेघवाल सहित देशभर से नि:शुल्क सर्जरी के लिए आए दिव्यांगजन और उनके परिजन उपस्थित रहे।
आयोजन का सफल संयोजन महिम जैन द्वारा किया गया।
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