
उदयपुर। उदयपुर की शाश्वत सुंदरता के बीच गणगौर घाट स्थित बागोर की हवेली इन दिनों कला के एक अद्भुत उत्सव की साक्षी बनी हुई है। मंगलवार से आरंभ हुई तीन दिवसीय चित्र प्रदर्शनी ने शहर के कला-रसिकों के भीतर जैसे कोई पुराना, भूला हुआ सुर फिर से जगा दिया हो। गुजरात ललितकला अकादमी के सहयोग से आयोजित यह प्रदर्शनी, कला वीथी में प्रवेश के साथ ही दर्शक को रंग, ऊर्जा और अनुभूति की एक शांत, दिव्य धारा में बहा ले जाती है।
अंकलेश्वर के युवा चित्रकार प्रकाश टेलर की एकल प्रदर्शनी में सजी 35 से अधिक कृतियाँ अपनी पहली ही दृष्टि में दर्शक के मन पर ऐसी छाप छोड़ती हैं, मानो कैनवास पर रंग नहीं, बल्कि आत्मा के स्पंदन उतरे हों। प्रत्येक चित्र में रंगों की लय, प्रकाश की मृदुता और ऊर्जा की प्रवाहमान धड़कन मिलकर एक ऐसी अनुभूति रचती हैं, जो साधारण दृश्य अनुभव से कहीं आगे जा धड़कती है—सीधे भीतर, आत्मा तक।
प्रदर्शनी का शुभारंभ विख्यात पिछवाई एवं मिनिएचर कलाकार राजाराम शर्मा ने किया। इस अवसर पर पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के प्रोग्राम एग्जीक्यूटिव हेमंत मेहता सहित शहर के वरिष्ठ कलाकार, कला प्रेमी और नई पीढ़ी के उभरते रचनाकार बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। वातावरण में एक अनकही आह्लादमयी शांति थी, जैसे हर कृति अपने दर्शक से एक निजी संवाद करने के लिए तत्पर खड़ी हो।
प्रकाश टेलर बताते हैं कि उनकी कृतियाँ प्रकृति और अध्यात्म के बीच के सूक्ष्म, अदृश्य संवाद को दृश्य रूप में अभिव्यक्त करने का प्रयास हैं। बचपन से अध्यात्म के प्रति उनकी रुचि हर कैनवास पर दिखाई देती है—हर रचना जैसे एक अंतर्यात्रा है, जहाँ दर्शक खुद को किसी शांत, गहरे, रूहानी संसार में विचरता पाता है।
कला वीथी की दीवारों पर सजी ये पेंटिंग्स मनुष्य के अंतर्मन की उन परतों को उजागर करती हैं, जिन्हें हम अपनी व्यस्तता में अक्सर छू भी नहीं पाते। शायद इसी वजह से दर्शक इन्हें देखते ही एक अलग ही भावलोक में प्रवेश कर जाते हैं—जहाँ शब्द नहीं, सिर्फ अनुभूति बोलती है।
यह प्रदर्शनी 27 नवंबर तक प्रतिदिन सुबह 10 बजे से शाम 7 बजे तक खुली रहेगी।
उदयपुर के कला प्रेमियों के लिए यह आयोजन सिर्फ एक प्रदर्शनी नहीं, बल्कि अनुभव, ऊर्जा और आत्मा की यात्रा बन चुका है—एक ऐसा अनुभव, जो लंबे समय तक स्मृति में बना रहेगा।
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