थीम 2024 "शिक्षा और अनुसंधान के लिए संग्रहालय"

इतिहास, संस्कृति तथा पूर्व की घटनाओं से समग्र शैक्षिक अनुभव प्रदान करने में म्यूजियम की महत्वपूर्ण भूमिका है। संग्रहालय गतिशील शैक्षिक केंद्र के रूप में काम करते हैं, म्यूजियम आम लोगों की जिज्ञासा, रचनात्मकता और आलोचनात्मक सोच को बढ़ावा देते हैं। यह दिवस लोगों को पूर्व के इतिहास के प्रमाणों से सीख लेकर अधिकाधिक जागरूक होने तथा लोगों को जागरूक करने पर जोर देता है।”

अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस के अवसर पर इंटेक ( उदयपुर स्कंध )तथा मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के भू विज्ञान विभाग के सांझे में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। सगोष्ठी में इंटेक प्रभारी डॉ ललित पांडे ने उपरोक्त विचार व्यक्त किए ।
संगोष्ठी में बोलते हुए प्रो. महेश शर्मा ने कहा कि आहाड़ सभ्यता का संग्रहालय अजायबघर या पुरानी चीजों का गोदाम नहीं है। असली संग्रहालय धूल कोट पर खुदाई में चार स्तर पर मिली मानव बस्तियों के अवशेष है ,जो हमें शिक्षा दे रही है कि आहाड़ की बस्तियां 5000 वर्ष पूर्व उदयपुर (मेवाड़) की सबसे पुरानी राजधानी थी , किंतु अज्ञानता वश इसी नदी के किनारे लोग बसते गए और उजड़ते गए । यहां के लोग अपने पुरखों की जमींदोज क़ब्रों पर ही अपनी “क़ब्रगाह” बनाते गए और जमींदोज होते गए।
इस प्रकार संग्रहालय दिवस हमें आगाह कर रहा है कि यह शहर /बस्तियां एक क़ब्रगाह पर बसा शहर है। आयड़ के आसपास की बस्तियां आर्कीयलॉजिकल साइट है जो हमारे इतिहास को चिल्ला चिल्ला कर बताती है कि इस नदी ने चार बार इस सभ्यता को उजाड़ा है । हमें इससे शिक्षा लेते हुए सावधानी बरतनी चाहिए ।

शर्मा ने कहा कि “इस प्रकार आहाड़ संग्रहालय की खुदाई के अवशेष हमारे लिए सूचना नहीं बल्कि चेतावनी है कि हम जिस प्रकार से सौंदर्यीकरण के नाम पर नदी को उथली कर उसे नाले में बदल रहे है वह घातक है । हमें अपने आप को इस प्रागेतिहासिक प्रक्रिया की एक सतह के रूप में तब्दील करने से बचना होगा । वरना आने वाली सदियों में हमारे वंशज हमे ढूंढ कर संग्रहालय का हिस्सा बनाएंगे।
संगोष्ठी में इंटेक के आजीवन सदस्यों, महाविद्यालय के प्राचार्य एवं अध्यक्ष प्रो. रितेश पुरोहित सहित महाविद्यालय के पीएच. डी. शोध छात्र,एम. एससी. के समस्त छात्र एवं प्राध्यापक गण उपस्थित थे।
कॉलेज डीन डॉ पुरोहित ने कॉलेज में स्थित राज्य के सबसे पुराने भूगर्भ संग्रहालय का परिचय दिया तथा बताया कि संग्रहालय शिक्षा , अनुसंधान, अन्वेषण के माध्यम से नए विचारों के प्रसार के लिए एक मंच प्रदान करते है। यह केवल कला और इतिहास की ही जानकारी नहीं देता बल्कि ऐतिहासिक विज्ञान और तकनीक से भी रूबरू करवाते है ।
About Author
You may also like
-
उदयपुर : राजस्थान विद्यापीठ का 89वां स्थापना दिवस, पंडित जनार्दन राय नागर की प्रतिमा का अनावरण
-
उदयपुर पुलिस का बड़ा खुलासा : जमीन घोटाले में हिस्ट्रीशीटर सहित दो गिरफ्तार, करोड़ों की धोखाधड़ी का पर्दाफाश
-
उदयपुर शहर भाजपा कार्यकारिणी—कटारिया गुट ने खुद दूरी बनाई या नेतृत्व ने उनकी अनदेखी की?
-
विश्व फोटोग्राफी दिवस 2025 : क्या आपको मालूम है 2025 का World Press Photo of the Year कौनसा है?
-
राजस्थान की मणिका विश्वकर्मा बनीं मिस यूनिवर्स इंडिया, अब थाईलैंड में करेंगी भारत का प्रतिनिधित्व