फील्ड क्लब चुनाव : स्टेटस सिंबल या शहर के विकास का मंच?

 

उमेश मनवानी फिर बने सचिव, भूपेंद्र उपाध्यक्ष और गौरव कोषाध्यक्ष, लेकिन शहर को क्या मिला?

उदयपुर। शहर के प्रतिष्ठित फील्ड क्लब चुनावों के नतीजे आ चुके हैं। उमेश मनवानी ने लगातार दूसरी बार सचिव पद पर अपनी जीत का परचम लहराया, जबकि भूपेंद्र श्रीमाली उपाध्यक्ष और गौरव सिंघवी कोषाध्यक्ष चुने गए। चुनाव परिणाम आते ही क्लब परिसर में जश्न का माहौल बन गया, जहां समर्थकों ने नारेबाजी और जश्न के साथ विजेताओं का स्वागत किया। लेकिन सवाल वही पुराना है—क्या फील्ड क्लब केवल स्टेटस और पावर का प्रतीक बनकर रह गया है, या शहर के लिए भी कोई सकारात्मक योगदान देगा?

ग्लैमर और पावर का खेल या शहरहित में कोई पहल?

फील्ड क्लब का चुनाव भले ही आम जनता के लिए कोई विशेष मायने न रखता हो, लेकिन इसकी चमक-दमक और प्रभावशाली सदस्यों की वजह से यह चर्चा का विषय बन जाता है। इस बार भी प्रचार-प्रसार से लेकर चुनावी पार्टियों में पैसा पानी की तरह बहाया गया। उम्मीदवारों ने सोशल मीडिया से लेकर बड़े होटलों तक प्रचार किया, लेकिन महत्वपूर्ण सवाल यह है कि क्या यह क्लब अपने सदस्यों के लिए ही सीमित रहेगा, या कभी शहरहित में कोई कदम उठाएगा?

 

ब्यूरोक्रेसी और राजनीति का गढ़

यह सर्वविदित है कि फील्ड क्लब में ब्यूरोक्रेट्स, उद्योगपति और राजनेताओं का दबदबा रहता है। यहां चुनाव जीतने का अर्थ केवल क्लब प्रशासन में जगह बनाना नहीं, बल्कि अपने प्रभाव को और मजबूत करना होता है। मगर विडंबना यह है कि इस क्लब ने कभी भी शहर के प्रमुख मुद्दों—जैसे ट्रैफिक, सफाई, पर्यटन, खेल सुविधाओं—पर कोई ठोस पहल नहीं की।

इतिहास और आज की हकीकत

फील्ड क्लब की स्थापना 1931 में अंग्रेजों ने की थी, और तब से यह शहर के संभ्रांत वर्ग का केंद्र बना हुआ है। तत्कालीन महाराणा भूपाल सिंह ने क्लब को भूमि दी थी, लेकिन आज सदस्यता शुल्क 8.50 लाख रुपये तक पहुंच चुका है, जिससे यह आम नागरिकों की पहुंच से बाहर हो गया है। 1980 में मात्र 1500 रुपये में सदस्यता लेने वाले लोग आज यह बदलाव देखकर हैरान होते हैं।

क्या बदलाव संभव है?

हालांकि क्लब में खेल और अन्य गतिविधियों की व्यवस्था है, लेकिन यदि इसे केवल एक एलीट ग्रुप की पहचान से निकालकर शहर के विकास में भागीदार बनाया जाए, तो इसकी प्रासंगिकता और बढ़ सकती है। नव-निर्वाचित टीम क्या इस दिशा में कोई नई पहल करेगी, या यह चुनाव सिर्फ एक औपचारिकता बनकर रह जाएगा? यह देखने वाली बात होगी।

फील्ड क्लब का चुनाव हर साल ग्लैमर और रुतबे की कहानियों के साथ सुर्खियों में रहता है, लेकिन शहरवासियों के लिए इसका कोई ठोस योगदान नजर नहीं आता। नए पदाधिकारी यदि क्लब को सिर्फ एक प्रतिष्ठा का मंच बनाने के बजाय सामाजिक और खेल गतिविधियों के जरिए शहर के विकास में भागीदार बनाएं, तो यह सच में एक सकारात्मक बदलाव होगा। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि नव-निर्वाचित टीम केवल सत्ता के आनंद में मग्न रहती है या कोई सार्थक पहल करती है।

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