
पूर्व मुख्यमंत्री ने NIA पर उठाए सवाल, कहा – यदि राजस्थान पुलिस को जांच मिलती, तो अब तक हो चुकी होती सज़ा
जयपुर | राजस्थान के उदयपुर में वर्ष 2022 में घटित कन्हैयालाल हत्याकांड को तीन वर्ष बीतने को हैं, लेकिन पीड़ित परिवार को अब तक न्याय नहीं मिल पाया है। इस संबंध में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बार फिर एनआईए की भूमिका और केंद्र सरकार के इरादों पर संदेह जताते हुए तीखा हमला बोला है। गहलोत ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा कि “यदि यह केस राजस्थान पुलिस के पास होता, तो आज दोषियों को सजा मिल चुकी होती।”
क्या कहा अशोक गहलोत ने?
गहलोत ने लिखा – “उदयपुर के कन्हैयालाल हत्याकांड को लेकर भाजपा ने जमकर राजनीति की और इसे राजस्थान चुनाव का मुख्य मुद्दा बना दिया। घटना की रात को ही यह केस एनआईए ने ले लिया। अब तीन साल बाद भी इस स्पष्ट प्रकृति के मामले में दोषियों को सजा नहीं मिल सकी है। पीड़ित परिवार का कहना है कि फास्ट ट्रैक कोर्ट की कोई व्यवस्था नहीं की गई और पिछले छह महीने से केस की कोई सुनवाई नहीं हो रही है।”
पूर्व मुख्यमंत्री का यह बयान ऐसे समय आया है जब पीड़ित परिवार भी मुकदमे की धीमी प्रगति को लेकर चिंता जता चुका है।
केस की वर्तमान स्थिति: छह महीने से नहीं हुई कोई सुनवाई
NIA कोर्ट जयपुर में केस विचाराधीन है।
कोर्ट का एडिशनल चार्ज उस जज के पास था जिनका हाल ही में तबादला कर दिया गया। पिछले 6 महीनों में कोई तारीख तय नहीं हुई। प्रमुख गवाहों के बयान अब तक दर्ज नहीं किए गए। दो आरोपी अब तक जमानत पर रिहा हो चुके हैं।
इस स्थिति ने न्याय मिलने की प्रक्रिया को बाधित कर दिया है।
घटना का संक्षिप्त विवरण: कैसे हुई थी हत्या?
28 जून 2022, उदयपुर के भूतमहल क्षेत्र में दर्जी कन्हैयालाल टेलर की दुकान पर गौस मोहम्मद और रियाज़ अत्तारी नामक दो युवकों ने धारदार हथियार से दिनदहाड़े गला रेतकर हत्या कर दी थी। हत्या के बाद आरोपियों ने खुद वीडियो बनाकर ‘इस्लाम की रक्षा’ के नाम पर हत्या की जिम्मेदारी ली।
घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने से देशभर में सदमा और आक्रोश की लहर दौड़ गई थी।
एनआईए की चार्जशीट और पाकिस्तान कनेक्शन
NIA ने इस हत्याकांड को आतंकी साजिश मानते हुए UAPA, आर्म्स एक्ट और अन्य धाराओं में केस दर्ज किया। पाकिस्तान के कराची निवासी सलमान और अबू इब्राहिम को फरार आरोपी बताया गया। कुल 11 आरोपियों के खिलाफ NIA ने 2023 में चार्जशीट दाखिल की। इनमें गौस मोहम्मद, रियाज़ अत्तारी, मोहसिन, आसिफ, जावेद, मुस्लिम मोहम्मद सहित अन्य नाम शामिल हैं।
9 फरवरी 2023 को विशेष NIA कोर्ट ने संज्ञान लिया, लेकिन तभी से प्रक्रिया धीमी हो गई।
राजस्थान पुलिस बनाम एनआईए : किसके पास होती तो बेहतर होता?
गहलोत का तर्क है कि राजस्थान पुलिस ने अपराधियों को मात्र 4 घंटे में गिरफ्तार कर लिया था, और यदि उसे केस की जांच का जिम्मा मिलता, तो अब तक निर्णय हो चुका होता। “भाजपा ने इस केस को राजनीति का हथियार बनाया, पर न्याय में कोई गंभीरता नहीं दिखाई,” – गहलोत ने कहा।
गहलोत ने यह भी जोड़ा कि पीड़ित परिवार को 50 लाख रुपए मुआवजा दिया गया।दोनों बेटों को सरकारी नौकरी दी गई। भाजपा ने झूठ फैलाया कि केवल 5 लाख रुपए मुआवजा मिला।
गंभीर संकेत : न्याय की देरी, क्या यह राजनीति या सिस्टम की कमजोरी?
इस केस में जो बातें विशेष रूप से चिंताजनक हैं। NIA जैसी केंद्रीय एजेंसी द्वारा जांच के बावजूद तीन सालों में निर्णय नहीं। कोर्ट की तारीखें नहीं पड़ना, स्थानांतरण के चलते बाधित न्याय। UAPA जैसे सख्त कानून के बावजूद आरोपियों की जमानत।
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