
उदयपुर। उदयपुर में हाईकोर्ट बेंच की मांग को लेकर वकीलों ने शुक्रवार को संभागीय आयुक्त कार्यालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। इस आंदोलन को चालीस साल हो चुके हैं, लेकिन अब तक मांग अधूरी ही है। वकीलों का कहना है कि यहां के नेता मंत्री और राज्यपाल तक बन गए, लेकिन हाईकोर्ट बेंच की लड़ाई को मुकाम तक नहीं पहुंचा पाए।
जब आवाज नहीं सुनी जा रही है तो उदयपुर के वकीलों व आमजन को दिल्ली जाकर जंतर-मंतर पर बैठना पड़ेगा, जहां से आवाज राष्ट्रपति भवन और सुप्रीम कोर्ट को भी सुनाई देगी। तभी इस क्षेत्र को न्याय मिल पाएगा। वकीलों ने एक बार तो यहां सर्किट बेंच की घोषणा की आस में मिठाइयां तक बांट दी गई थीं, लेकिन आज तक सिर्फ आश्वासन ही मिले।
कोर्ट चौराहे से जुलूस, नारेबाजी
शुक्रवार दोपहर को सैकड़ों वकील कोर्ट चौराहे पर जुटे और वहां से जुलूस के रूप में चेतक सर्किल होते हुए पैदल संभागीय आयुक्त कार्यालय पहुंचे। कार्यालय गेट पर पुलिस जाब्ता तैनात किया गया, जबकि सामने टेंट लगाकर वकीलों का धरना शुरू हुआ, जो शनिवार तक जारी रहेगा। इस दौरान वकीलों ने “केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल मुर्दाबाद” और “मेवाड़ मांगे हाईकोर्ट बेंच” जैसे नारे लगाए।
सांसद-विधायकों की बेरुख़ी पर गुस्सा
वरिष्ठ अधिवक्ता राजेन्द्र सिंह हिरण ने कहा, “उदयपुर को हाईकोर्ट बेंच बहुत पहले मिल जानी चाहिए थी, लेकिन यहां के सांसद-विधायकों ने कभी गंभीरता नहीं दिखाई। अगर जनप्रतिनिधि ईमानदारी से प्रयास करते तो आज यह मांग पूरी हो चुकी होती।”
बार एसोसिएशन अध्यक्ष चन्द्रभान सिंह शक्तावत ने कहा कि “लंबे समय से उदयपुर के लिए बेंच की मांग उठ रही है, लेकिन नेताओं की उदासीनता से यह आज तक अधूरी है। केंद्रीय कानून मंत्री अपने गृह जिले में बेंच ले आए, जबकि मेवाड़ को लगातार वंचित रखा जा रहा है।”
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