“शिक्षा ही सशक्तिकरण का सर्वश्रेष्ठ माध्यम” – राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू
उदयपुर। मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय (एमएलएसयू) के 32वें दीक्षांत समारोह का अवसर एक ऐतिहासिक पल बन गया, जब देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शिक्षा के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, “शिक्षा ही सशक्तिकरण का सर्वश्रेष्ठ माध्यम है।” उन्होंने कहा कि एक शिक्षित और सुसंस्कारित व्यक्ति अपने परिवार, समाज और देश की उन्नति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
यह कार्यक्रम गुरुवार को विवेकानंद सभागार में आयोजित किया गया, जहां राष्ट्रपति ने विद्यार्थियों को उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि आज का दिन केवल स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों के लिए नहीं, बल्कि उनके शिक्षकों और अभिभावकों के लिए भी गर्व का क्षण है।
समारोह में 85 विद्यार्थियों को 102 स्वर्ण पदक प्रदान किए गए, जिनमें से 16 छात्र और 69 छात्राएं थीं। इसके अलावा, 68 शोधार्थियों को पीएचडी की उपाधि से नवाजा गया।
उच्च आचरण और कर्म से देश का गौरव बढ़ाएं : राष्ट्रपति
महामहिम ने समारोह के दौरान विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि शिक्षा के साथ-साथ चरित्र और आचरण का भी उतना ही महत्व है। उन्होंने बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के शब्दों को दोहराते हुए कहा कि “चरित्र और विनम्रता के बिना मनुष्य हिंसक पशु के समान है।” राष्ट्रपति ने विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे उच्च नैतिक मूल्यों का पालन करते हुए अपने कर्मों से देश का नाम रोशन करें।
बेटियां सभी क्षेत्रों में कर रही हैं श्रेष्ठ प्रदर्शन
राष्ट्रपति मुर्मू ने समारोह में बेटियों की उत्कृष्टता की भी सराहना की। उन्होंने कहा, “यह देखकर अत्यधिक खुशी होती है कि हमारी बेटियां सभी क्षेत्रों में श्रेष्ठ प्रदर्शन कर रही हैं। गोल्ड मेडल प्राप्त करने वालों में बेटियों की अधिक संख्या होना हमारे समाज की प्रगति का परिचायक है।”
सतत सीखने की प्रवृत्ति से ही शिक्षा की उपयोगिता
श्रीमती मुर्मू ने वर्तमान समय में हो रहे तेज बदलावों का उल्लेख करते हुए विद्यार्थियों को सतत सीखने की प्रवृत्ति को बनाए रखने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि ज्ञान और तकनीक में तेजी से परिवर्तन हो रहा है, और ऐसे में सतत सीखना ही शिक्षा की असली उपयोगिता बनाए रखेगा।
मेवाड़ : भक्ति और शक्ति का संगम
राष्ट्रपति ने मेवाड़ की महान विभूतियों का स्मरण करते हुए कहा कि यह क्षेत्र राष्ट्र निर्माण और स्वाधीनता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है। “राणा सांगा, महाराणा प्रताप और मीराबाई की यह भूमि शक्ति और भक्ति का अद्वितीय संगम है,” उन्होंने कहा।
समारोह का भव्य आयोजन
समारोह की अध्यक्षता राज्यपाल श्री हरिभाऊ किसनराव बागड़े ने की, जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ प्रशासक श्री गुलाबचंद कटारिया उपस्थित रहे। राज्यपाल ने सभी पदक और उपाधि प्राप्त विद्यार्थियों को शुभकामनाएं देते हुए भारत की नई शिक्षा नीति की प्रशंसा की, जो प्राचीन भारत की शिक्षापद्धति से प्रेरित है।
इस भव्य आयोजन के दौरान प्रदेश के उप मुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा, जिले के प्रभारी मंत्री हेमंत मीणा, सांसद डॉ. मन्नालाल रावत, और अन्य प्रमुख जनप्रतिनिधियों व गणमान्य व्यक्तियों ने भी शिरकत की।
समारोह के अंत में कुलपति प्रो. सुनीता मिश्रा ने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया।
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