राजस्थानी में उदयपुर की वर्षा राठौड़, हिंदी में जयपुर की माधुरी, उर्दू में उदयपुर की अख्तर बानो, अंग्रेजी में चंद्रपुर की पारोमिता गोस्वामी को मिली रमा मेहता लेखन ग्रांट

उदयपुर। भाषाओं की विविधता बनी रहनी चाहिए तथा हर भाषा में साहित्य सृजन को पूर्ण अवसर,प्रोत्साहन व सम्मान मिलना चाहिए। वंही, यह भी जरुरी है कि स्थानीय बोलियाँ बड़ी भाषाओं के प्रभाव में लुप्त नहीं हो । यह विचार प्रसिद्ध लेखिका व सम्पादक , मुंशी प्रेमचंद की पौत्री सारा राय ने विद्या भवन ऑडिटोरियम में आयोजित रमा मेहता जन्म शताब्दी स्मृति व्याख्यान में व्यक्त किये। कार्यक्रम का आयोजन रमा मेहता मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा किया गया।

सारा ने “भाषा की झीनी चादर” विषयक अपने संबोधन में भाषाई विविधता की सुन्दरता व महत्त्व का उल्लेख करते हुए कहा कि साहित्य निरंतर बदलता रहता है पर मूल में निहित शाश्वत तत्व व मूल्य नहीं बदलते ।मूल्यों से जुड़ा साहित्य लेखन ही दीर्घ जीवी होता है । साहित्य की दूनियाँ तस्वीरों का सिलसिला है और इसमें ध्वनि की भाषा औऱ लेखन की भाषा दोनों सम्मिलित होते हैं । ध्वनि की भाषा हमारी कल्पनाओं पर गहरा प्रभाव डालती हैं।

सारा राय ने कहा कि साहित्य एक समानांतर संसार है, जिसका अपना एक सच है और सच की संभावनाओं की असीमितता है । परिष्कृत लेखन एक लम्बी प्रक्रिया है जिसमे मानसिक व शारीरिक दोनों स्मृतियाँ व अनुभव सम्मिलित होते हैं । हमारी अभिव्यक्ति में शब्दों का चयन बहुत महत्वपूर्ण है जो हम अपनी परवरिश के दौरान सीखते हैं । शब्दों की सुगंध हमारे शरीर के अंगों की स्मृतियों में समाहित रहती है और अपनी माटी की गंध की याद दिलाती है । यही देश प्रेम भी हैं ।
अंग्रेजी के प्रसिद्ध लेखक पद्मश्री विक्रम सेठ ने कहा कि साहित्य देश की सीमाओं से ऊंचा उठकर वसुधैव कुटुम्बकम की भवनाओं से परिपूर्ण होता है। 

उन्होंने रमा मेहता लिखित प्रसिद्ध उपन्यास ” इनसाइड द हवेली” को उदृत करते हुए कहा कि साहित्य सदैव कालजयी बना रहता है। साहित्य लेखन और साहित्य को पढ़ना बहुत ही व्यक्तिगत अभिरुचि का हिस्सा है, परंतु इसका प्रभाव बहुत ही व्यापक है ।रमा मेहता के लेखन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनके लेखन में पारम्परिकता व आधुनिकता का सामंजस्य रहा । प्रकाशन समूह पेंगुइन इंडिया की सम्पादक कामिनी महादेवन ने भी रमा मेहता के लेखन के विविध पहलूँओं पर प्रकाश डाला ।
कार्यक्रम में विक्रम सेठ, सारा राय तथा कामिनी महादेवन ने रमा मेहता लेखन ग्रांट के विजेताओं की घोषणा की। राजस्थानी भाषा मे उदयपुर की वर्षा राठौड़ , हिंदी भाषा में जयपुर की माधुरी, उर्दू में उदयपुर की अख्तर बानो व अंग्रेजी में चंद्रपुर की पारोमिता गोस्वामी को लेखन ग्रांट प्रदान की गई। इनका चयन कुल 177 नवोदित महिला लेखिकाओं में से किया गया।

प्रारंभ में ट्रस्टी अजय एस मेहता ने रमा मेहता मेमोरियल की विविध गतिविधियों के बारे में अवगत कराया , संचालन विद्या भवन स्कूल के प्राचार्य पुष्पराज सिंह राणावत ने किया ।धन्यवाद नीलिमा खेतान ने व्यक्त किया ।
कार्यक्रम में साहित्यकार किशन दाधीच, विजय मारू , आई आई एम उदयपुर के संस्थापक निदेशक जनत शाह , शिक्षाविद पुष्पा शर्मा, प्रो अरुण चतुर्वेदी , डॉ वी वी सिंह , पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव अदिति मेहता , विद्या भवन के सचिव गोपाल बम्ब, सेवा मंदिर के संचालक रौनक शाह सहित नवोदित महिला लेखिकाएं व साहित्य , शिक्षा , समाज सेवा से जुड़े गणमान्य नागरिक उपस्थित थे ।
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