
उदयपुर। रोटरी क्लब ऑफ उदयपुर द्वारा आयोजित “नेशन बिल्डर अवॉर्ड” समारोह केवल सम्मान कार्यक्रम भर नहीं था, बल्कि यह समाज में शिक्षक की केंद्रीय भूमिका की पुनर्पुष्टि भी थी। 28 शिक्षकों को सम्मानित कर यह संदेश दिया गया कि शिक्षा व्यवस्था का वास्तविक आधार वही लोग हैं, जो पुस्तकों से परे जाकर बच्चों के व्यक्तित्व और जीवन मूल्यों का निर्माण करते हैं।
शिक्षक : केवल ज्ञानदाता नहीं, मार्गदर्शक
मुख्य अतिथि सांसद चुन्नीलाल गरासिया ने सही ही कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल जानकारी देना नहीं, बल्कि “जीवन जीने की कला” सिखाना है। आज जब भौतिकता और प्रतिस्पर्धा जीवन को दिशा दे रही है, तब शिक्षक ही वह शक्ति हैं जो विद्यार्थियों को विवेक, संवेदनशीलता और मूल्यों से जोड़ते हैं। वास्तव में, जीवन निर्माण के बिना राष्ट्र निर्माण संभव नहीं।

समाज का कृतज्ञ भाव
कार्यक्रम संयोजक डॉ. प्रदीप कुमावत का यह कथन महत्वपूर्ण है कि “शिक्षक ईश्वर के साक्षात स्वरूप हैं।” यह दृष्टि बताती है कि भारतीय समाज शिक्षकों को केवल पेशेवर भूमिका में नहीं देखता, बल्कि उन्हें प्रेरणा, संस्कार और आत्मबल के स्रोत के रूप में स्वीकार करता है।
नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा
समारोह में शिक्षकों के साथ-साथ केंद्रीय कंपनी सेक्रेटरी परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाली तिथि बोहरा का सम्मान यह दर्शाता है कि शिक्षा व्यवस्था में शिक्षक और विद्यार्थी, दोनों की उपलब्धियाँ एक-दूसरे की पूरक हैं। यह संदेश देता है कि प्रेरणा का दीपक जलाकर ही भविष्य की राह रोशन की जा सकती है।
व्यापक संदेश
रोटरी क्लब जैसे सामाजिक संगठनों द्वारा शिक्षकों का सम्मान समाज में शिक्षा की प्रतिष्ठा को और बढ़ाता है। यह समारोह केवल 28 नामों तक सीमित नहीं, बल्कि उन हजारों शिक्षकों की मान्यता है जो प्रतिदिन निःस्वार्थ भाव से बच्चों के भीतर “जीवन का सच्चा अर्थ” जगाने का प्रयास करते हैं।
राष्ट्र निर्माण की सबसे ठोस नींव विद्यालय की कक्षा में रखी जाती है। शिक्षक केवल पुस्तकीय ज्ञान नहीं देते, बल्कि मनुष्य को मनुष्य बनाते हैं। यही कारण है कि जब शिक्षक का सम्मान होता है तो वास्तव में पूरी सभ्यता का सम्मान होता है।
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