
उदयपुर। हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड की सामाजिक पहल ‘सखी’ के अंतर्गत आयोजित सखी उत्सव 2025 ग्रामीण महिला सशक्तिकरण का एक प्रेरणादायक उदाहरण बन गया है। राजस्थान के उदयपुर, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद और उत्तराखंड के रुद्रपुर में एक साथ आयोजित इस उत्सव में 7,000 से अधिक महिलाओं ने भाग लेकर आत्मनिर्भरता और सामूहिक प्रगति का संकल्प लिया।
उत्सव के दौरान महिलाओं ने पारंपरिक सांस्कृतिक प्रस्तुतियों, लोक गीतों, नृत्य, नुक्कड़ नाटकों और खेल प्रतियोगिताओं के माध्यम से अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। साथ ही, लाइव कौशल प्रदर्शन, वित्तीय साक्षरता सत्र, युवाओं द्वारा प्रस्तुत जागरूकता अभियानों और स्वयं सहायता समूहों की प्रदर्शनी ने उत्सव को ज्ञान और नवाचार का संगम बना दिया।

कार्यक्रम का भव्य समापन सखी महोत्सव 2025 के रूप में ज़िंक सिटी, उदयपुर में हुआ। इसमें ग्रामीण और शहरी समुदायों ने एक साथ भाग लिया, जहां महिलाओं द्वारा तैयार किए गए हस्तनिर्मित उत्पाद, पारंपरिक व्यंजन और स्थानीय शिल्पकला ने सभी का ध्यान खींचा।
हिंदुस्तान जिंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री अरुण मिश्रा ने इस अवसर पर कहा, “सखी महिलाएं केवल अपने परिवारों ही नहीं, बल्कि पूरे समाज को नई दिशा देने वाली प्रेरणास्रोत हैं। हिंदुस्तान जिंक का विश्वास है कि सशक्त महिलाएं ही सशक्त राष्ट्र की नींव होती हैं।”
सखी पहल के तहत अब तक 25,000 से अधिक महिलाओं को रोजगार, क्रेडिट लिंकिंग और नेतृत्व के अवसर मिल चुके हैं। 2,000 से अधिक स्वयं सहायता समूहों का नेटवर्क ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक और सामाजिक बदलाव ला रहा है।
हिंदुस्तान जिंक शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, जल संरक्षण और खेलों के क्षेत्र में भी ग्रामीण भारत को सशक्त बनाने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। कंपनी की सीएसआर पहलों से अब तक 20 लाख से अधिक लोग लाभान्वित हो चुके हैं, जो इसे देश की शीर्ष 10 सामाजिक जिम्मेदारी निभाने वाली कंपनियों में शामिल करते हैं।
सखी उत्सव 2025 इस बात का प्रतीक बन गया है कि जब महिलाएं साथ आती हैं, तो सिर्फ उत्सव नहीं, बदलाव की एक नई लहर जन्म लेती है।
About Author
You may also like
-
साज़ ओ आवाज़ का जादू : उदयपुर में पला, देशभर में छा गया आदिज इमरान का नया नग़्मा
-
उदयपुर बनेगा अमृतमय! भीषण गर्मी में राहत देगी ‘अमृत धारा’ औषधि
-
आरोपों से घिरी पुलिस…एक मां की पीड़ा, एक सिस्टम की लीपा-पोती और एक बेटे की चुप्पी जो बहुत कुछ कहती है…
-
सिसारमा गांव को नगर निगम में शामिल करने के फैसले का विरोध तेज, 21 अप्रैल को कलेक्ट्रेट पर होगा प्रदर्शन
-
जन जागरूकता और सहभागिता से ही संभव है उदयपुर की विरासत का संरक्षण