
उदयपुर शहर की गलियों में जब जनता ने शिकायतों की पुकार लगाई, तो जवाब आया—“विधायक साहब आ रहे हैं!”
गुरुवार को विधायक ताराचंद जैन खुद स्मार्ट सिटी की स्मार्ट बैठक लेने पहुंच गए। अब यह बात अलग है कि जिन कामों का फॉलो-अप 1 मई को तय किया गया है, वो समस्याएं सालभर से ‘वर्क इन प्रोग्रेस’ के बोर्ड तले आराम फरमा रही थीं।
बैठक में जैसे ही निवर्तमान पार्षदों ने अपनी-अपनी परेशानियों का पुलिंदा खोला, विधायक साहब ने कमर कस ली—फिसलन से लेकर सीवरेज तक और ट्रांसफार्मर से लेकर पानी के प्रेशर तक सब कुछ दुरुस्त करने के निर्देश दे डाले।
सीधा सा संदेश—“अबकी बार कोई बहाना नहीं चलेगा, 1 मई को फिर हिसाब लिया जाएगा।”

गुलाबबाग नाले में घुस आया सीवरेज पानी, कंवरपदा स्कूल के पास सड़कों पर बहता गंदा पानी, बिजली की जुगाड़ू वायरिंग और स्क्रेपिंग मशीनों की किल्लत जैसी समस्याएं सुनकर विधायक ने स्पष्ट कर दिया कि अब अफसरों को फील्ड वर्कर बनने का वक्त आ गया है।
सीवरेज हो या सड़क, ट्रांसफार्मर हो या टूटी गली—सभी को रेड अलर्ट पर लाया गया है।
अब यहां अधिकारियों की ‘तंद्रा’ का क्या ही कहना—बैठक में मौजूद अभियंताओं के चेहरों पर ऐसा भाव था जैसे कह रहे हों, “हम तो यूं ही बैठे थे, विधायक जी अचानक एक्टिव कैसे हो गए?”
पर अफसरों को समझना चाहिए कि अब ये स्मार्ट सिटी है—स्मार्टनेस दिखानी भी पड़ेगी, सिर्फ स्लाइड प्रेजेंटेशन से काम नहीं चलेगा।

विधायक जैन ने जो चेतावनी दी, वो बस इतनी सी थी—“काम कीजिए, नहीं तो 1 मई को मैं याद दिला दूंगा कि किसने क्या नहीं किया।”
बैठक में मौजूद भाजपा नेताओं, इंजीनियरों और कंपनी प्रतिनिधियों की लंबी सूची देखकर साफ समझ आता है कि अब केवल “मीटिंग” से काम नहीं चलेगा, “मौके पर जाकर पसीना बहाना होगा।”
तो अब गेंद अधिकारियों के पाले में है—देखना ये है कि वे इसे “किक” मारते हैं या फिर “फाइलों” में गुम कर देते हैं।
सोर्स : विधायक प्रतिनिधि ललित तलेसरा
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