उदयपुर की धावक, हमीदा बानो का इंतकाल : एथलेटिक्स की दुनिया में एक बड़ी क्षति


उदयपुर। उदयपुर की जानी-मानी अंतरराष्ट्रीय एथलीट, हमीदा बानो का शनिवार को इंतकाल हो गया। वे बीमार थीं और अमेरिकन हॉस्पिटल में भर्ती थीं।

हमीदा बानो ने 1982 में दिल्ली में आयोजित एशियन गेम्स में रजत पदक जीतकर न केवल उदयपुर, बल्कि भारत का नाम रोशन करने वाली पहली महिला एथलीट थीं, जिन्होंने एथलेटिक्स में अंतरराष्ट्रीय पदक जीते। उनका योगदान खेल जगत में कभी नहीं भुलाया जा सकता।

हमीदा बानो का जन्म और पालन-पोषण उदयपुर में हुआ था, जहाँ उन्होंने अपने खेल जीवन की शुरुआत की और अनेक प्रतियोगिताओं में पदक जीतकर अपने शहर का मान बढ़ाया। उनकी शानदार करियर में अनेक उपलब्धियाँ शामिल हैं, जिनमें 1980 में हिसार में हुए इंटरनेशनल गेम्स में हर्डल्स में स्वर्ण पदक, 1982 में एशियन गेम्स में रजत और कांस्य पदक, और कई अन्य राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक जीतना शामिल है।

हमीदा बानो के खेल की दीवानगी और समर्पण ने उन्हें महाराणा सज्जनसिंह पुरस्कार, माणक सुवरण पदक, मेजर ध्यानचंद पुरस्कार और कई अन्य सम्मान दिलवाए। उनके साथ ही खेलों में एक नया मानक स्थापित हुआ, जिससे आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा मिलेगी।

40 साल के लंबे अंतराल के बाद, जब वे राजीव गांधी ओलंपिक खेलों में फिर से मैदान में उतरीं, तो यह उनकी वापसी की अनूठी मिसाल थी। उन्होंने हमेशा अपने खेल और कड़ी मेहनत के जरिए यह साबित किया कि उम्र सिर्फ एक संख्या है।

हमीदा बानो का निधन खेल जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनका योगदान न केवल भारतीय एथलेटिक्स के इतिहास में, बल्कि समाज में महिला खेल कूद के प्रति सम्मान और प्रेरणा का प्रतीक बनेगा। आज हमीदा बानो के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए, उनके योगदान को हमेशा याद करेंगे और उनकी आत्मा को शांति मिले, यही कामना करते हैं।

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