राजसमंद की पैमाइश में रिश्वत का जाल : भू-अभिलेख निरीक्षक 7 लाख लेते ही धर दबोचा गया

राजसमंद। राजसमंद में शुक्रवार को एक ऐसी कार्रवाई हुई, जिसने भू-अभिलेख विभाग की गलियारों में हड़कंप मचा दिया। पैमाइश और नक्शा शुद्धिकरण जैसे सरकारी कामों में लोगों को महीनों तक दौड़ाने वाले सिस्टम का एक खिलाड़ी आखिरकार ACB के ट्रैप में फंस गया। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के महानिदेशक पुलिस गोविन्द गुप्ता के निर्देशन में यह कार्रवाई की गई।

भू-अभिलेख निरीक्षक कमलेश चन्द्र खटीक को 7 लाख रुपये की रिश्वत लेते ही ACB ने उस समय पकड़ लिया, जब वह खुद को पूरी तरह सुरक्षित समझ रहा था।

10 लाख की ‘डील’, ACB की पैनी नजर

कहानी एक परेशान किसान की शिकायत से शुरू हुई। शिकायतकर्ता का आरोप था कि कमलेश चन्द्र खटीक उसकी जमीन की पैमाइश और नक्शा शुद्धिकरण करने के बदले पूरे 10 लाख रुपये मांग रहा था।

हर बार वही पुरानी कहानी— “फाइल अटकी है… ऊपर तक बात करनी पड़ेगी… थोड़ा खर्चा पड़ेगा…” इन बहानों से तंग आकर शिकायतकर्ता सीधे ACB पहुँचा, और यहीं से शुरू हुई एक योजनाबद्ध जाल बिछाने की प्रक्रिया।

140 असली नोट, 1260 डमी नोट… और घेराबंदी

ACB टीम ने आज वह पल पकड़ा, जिसका इंतजार था। रिश्वत के 500-500 के कुल 140 असली नोट (70,000 रुपये) और 1260 डमी नोट (6,30,000 रुपये) मिलाकर 7 लाख रुपये का पैकेट आरोपी तक पहुँचते ही टीम हरकत में आ गई।

कमलेश खटीक ने जैसे ही पैकेट हाथ में लिया, वैसे ही कमरे में गूंज उठी— “ACB! हाथ ऊपर करिए!”

और देखते ही देखते मामला खत्म।

आरोपी के चेहरे पर छाई हड़कंप और टीम की फुर्ती—दोनों की कहानी मौके पर मौजूद लोगों ने अपनी आंखों से देखी।

सख्त सुपरविजन, सटीक कार्रवाई

यह पूरा ऑपरेशन ACB के डॉ. रामेश्वर सिंह, उप महानिरीक्षक पुलिस—प्रथम की निगरानी में हुआ। मैदान में टीम का नेतृत्व कर रहे थे राजसमंद चौकी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक हिम्मत चारण। कार्रवाई इतनी तेज और सटीक रही कि आरोपी को पलटकर सोचने का भी मौका नहीं मिला।

वहीं, आगे की जांच ACB की अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस स्मिता श्रीवास्तव की सुपरविजन में जारी है। पूछताछ में कई और परतें खुलने की उम्मीद जताई जा रही है।

ACB ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया है। आगे की जांच में आरोपी की भूमिका, पुराने मामलों, और कार्यालय में संभावित अनियमितताओं
सबकी परतें खोली जाएंगी।

राजसमंद के भू-अभिलेख और पैमाइश विभाग में यह कार्रवाई एक साफ संदेश है—
अब रिश्वत लेकर ₹10 लाख की डील नहीं, बल्कि जेल की चाबी घूमेगी।

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