क्राइम स्टोरी : एक शांत कॉलोनी, एक खून से लथपथ लाश, और 24 घंटे में सुलझा ब्लाइंड मर्डर

उदयपुर। एक शांत कॉलोनी, एक खून से लथपथ लाश, और 24 घंटे में सुलझा ब्लाइंड मर्डर। उदयपुर के प्रताप नगर थाना क्षेत्र में नाकोड़ा नगर की एक सड़क पर मंगलवार शाम एक अज्ञात व्यक्ति की लाश ने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया। खून से सनी इस कहानी के पीछे छिपे राज़ को पुलिस ने अपनी तेज़ी और चतुराई से महज़ 24 घंटे में सुलझा लिया।

मंगलवार शाम, नाकोड़ा नगर के मेघा आवास के पास एक लाश मिलने की सूचना मिलते ही प्रताप नगर थाने के एसएचओ राजेंद्र सिंह चारण अपनी टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंचे। पीड़ित को धारदार हथियार से मौत के घाट उतार दिया गया था। लेकिन उसकी पहचान और हत्यारे का कोई सुराग नहीं था।

लाश को पोस्टमार्टम के लिए एमबी हॉस्पिटल के मुर्दाघर में रखवाया गया, और पुलिस ने इस ब्लाइंड मर्डर की जांच के लिए अलग-अलग टीमों का गठन किया। एसपी योगेश गोयल के नेतृत्व में, एएसपी उमेश ओझा और सीओ छगन पुरोहित ने इस केस पर काम शुरू किया।

12 घंटे में गुत्थी सुलझी

इस मामले की पेचीदगी को देखते हुए पुलिस ने घटनास्थल के आस-पास के 100 से अधिक सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली। साथ ही, साइबर सेल और स्थानीय सूत्रों की मदद से जानकारी जुटाई गई।

महज़ 12 घंटे के अंदर पुलिस ने मृतक और हत्यारे की पहचान कर ली। मृतक अहमदाबाद, गुजरात का रहने वाला सर्राफा व्यापारी हेमंत ओसवाल था।

उधारी का क़र्ज़ और सुनियोजित हत्या

जांच में सामने आया कि हेमंत ओसवाल का हत्यारा कोई और नहीं बल्कि उसका पूर्व ग्राहक, नाथद्वारा निवासी विक्रम सोनी था। विक्रम ने हेमंत से चांदी खरीदी थी लेकिन उधारी की रकम चुकाने में असमर्थ था। उधारी चुकाने से बचने के लिए, विक्रम ने व्यापारी को अपने जाल में फंसाया।

हेमंत उदयपुर आया तो विक्रम ने सुनियोजित ढंग से उसकी हत्या कर दी। हत्या के बाद वह मृतक की कार लेकर भाग निकला।

तेज़ कार्रवाई और गिरफ्तारी

पुलिस टीम ने सूझबूझ से कार्रवाई करते हुए 24 घंटे के अंदर विक्रम सोनी को गिरफ्तार कर लिया। हत्या में प्रयुक्त कार भी बरामद कर ली गई है। पुलिस ने मामले में विस्तृत जांच जारी रखी है।

अपराध की सजा तय करेगा कानून

एक व्यापारी को अपने बकाया पैसे की कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। विक्रम सोनी को तो कानून की गिरफ्त में ला दिया गया है, लेकिन यह घटना दिखाती है कि लालच और धोखे की साजिशें किस हद तक इंसानियत को शर्मसार कर सकती हैं।

(यह कहानी हमें एक बार फिर याद दिलाती है कि छोटे-छोटे अपराध बड़े अपराधों का रूप ले सकते हैं। पुलिस की त्वरित कार्रवाई ने एक बार फिर न्याय की उम्मीद को जीवित रखा है।)

 

 

 

 

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