
उदयपुर के डबोक थाना क्षेत्र में 8 मार्च की शाम को एक मां ने अपनी ही ममता का गला घोंट दिया। गांव के एक कुएं में चार साल के मासूम किशन की लाश तैर रही थी। पूरा गांव सन्न था, आंखें नम थीं, लेकिन किसी को ये अंदाजा नहीं था कि इस मासूम की हत्या उसी की मां के हाथों हुई है।
गुमशुदगी की गूंज और एक खौफनाक सच
सुबह का वक्त था, जब मोहन गाडरी अपने दोस्त के साथ काम पर निकला था। दोपहर 4:30 बजे अचानक पत्नी लीला का फोन आया— “किशन कहीं गुम हो गया है!” घबराए पिता ने गांववालों के साथ मिलकर खोजबीन शुरू कर दी। लेकिन जब शाम करीब 6 बजे गांव के एक व्यक्ति ने कुएं में तैरती हुई मासूम की निःसंग देह देखी, तो पूरा गांव सिहर उठा।
पुलिस की पैनी नजर और मां के झूठ का पर्दाफाश
पहले तो यह मामला एक हादसा लगा, लेकिन जब डबोक थाना पुलिस की टीम ने जांच शुरू की, तो सच्चाई का ऐसा डरावना चेहरा सामने आया, जिसने सभी को हिला दिया। एसएचओ हुकम सिंह और उनकी टीम ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया और गांववालों से पूछताछ की। सबूतों और तकनीकी जांच की कड़ियां जोड़ते-जोड़ते शक की सुई खुद किशन की मां लीला उर्फ उदी की तरफ घूमने लगी।
घर की दीवारों में दबी नफरत की गूंज
लीला और मोहन का रिश्ता बीते कुछ महीनों से कलह और झगड़ों की आग में झुलस रहा था। लीला तीन महीने पहले मायके चली गई थी और महज 8 दिन पहले ही वापस लौटी थी। मगर इस बार उसके मन में अपने ही बेटे के लिए ऐसी नफरत थी, जो उसने खुद कुएं में उतार दी।
पूछताछ में लीला टूट गई और कबूल कर लिया कि “पारिवारिक झगड़ों और गुस्से में उसने ही अपने बेटे को कुएं में धकेल दिया था।” एक मां के मुंह से निकले ये शब्द सुनकर पुलिसवाले भी सन्न रह गए।
गिरफ्तारी और इंसाफ की पहली सीढ़ी
पुलिस टीम ने तुरंत लीला को गिरफ्तार कर लिया। हत्या की इस गुत्थी को सुलझाने में एसएचओ हुकम सिंह के साथ कांस्टेबल विकास और महिला कांस्टेबल रिंका व पूजा की अहम भूमिका रही।
जिस मां की गोद सबसे सुरक्षित मानी जाती है, वही मां अपने ही बच्चे के लिए काल बन जाएगी, यह किसी ने नहीं सोचा था। उदयपुर की यह घटना सिर्फ एक हत्या नहीं, बल्कि ममता के नाम पर लगा एक ऐसा दाग है, जो कभी नहीं मिटेगा।
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