चंडीगढ़। भारत-पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चले आ रहे तनावपूर्ण रिश्तों में एक नया और चिंताजनक मोड़ सामने आया है। हरियाणा और पंजाब पुलिस ने पाकिस्तान की खुफ़िया एजेंसी आईएसआई और पाक उच्चायोग से जुड़े संदिग्ध एजेंटों के साथ गोपनीय जानकारी साझा करने के आरोप में चार लोगों को गिरफ्तार किया है। इन गिरफ्तारियों ने भारत की आंतरिक सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, विशेष रूप से जब ये मामले ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे अत्यंत गोपनीय सैन्य अभियान से जुड़े पाए जा रहे हैं।
1. ट्रैवल व्लॉगर से संदिग्ध: ज्योति मल्होत्रा की गिरफ्तारी
हरियाणा के हिसार ज़िले की रहने वाली ज्योति मल्होत्रा एक यूट्यूबर और ट्रैवल व्लॉगर हैं, जिन्होंने ‘Travel With Jo’ नामक चैनल के ज़रिए कई देशों की यात्रा कहानियाँ साझा की हैं। ज्योति की गिरफ्तारी ने सिर्फ पत्रकारिता और व्लॉगिंग की दुनिया को नहीं, बल्कि आम नागरिकों को भी चौंका दिया है।
पुलिस के अनुसार, ज्योति पाकिस्तान की यात्रा के दौरान वहाँ के एक नागरिक से संपर्क में आई थीं और लौटने के बाद भी लगातार उस व्यक्ति से संवाद बनाए रखे हुए थीं। हरियाणा पुलिस ने उन्हें सरकारी गोपनीयता अधिनियम और भारतीय न्याय संहिता की धारा 152 के अंतर्गत गिरफ्तार किया है।
डीएसपी कमलजीत सिंह के मुताबिक, “ज्योति के लैपटॉप और मोबाइल फ़ोन से कुछ संदिग्ध फाइलें और संवाद मिले हैं। वह एक पाकिस्तानी नागरिक के लगातार संपर्क में थी, जिसकी पुष्टि के लिए और गहन पूछताछ की जा रही है।”
उनके पिता हरीश कुमार ने बताया कि ज्योति केवल एक बार पाकिस्तान गई थी और वह भी सरकार की अनुमति और वीज़ा के माध्यम से। उन्होंने कहा, “वो किसी सरकारी मंज़ूरी के बिना विदेश नहीं जाती। हम नहीं जानते कि उसका यूट्यूब चैनल कैसे चलता है या क्या कंटेंट डालती है।”
2. कैथल का छात्र और जासूसी के आरोप: देवेंद्र सिंह की कहानी
हरियाणा के कैथल ज़िले के मस्तगढ़ गांव का रहने वाला देवेंद्र सिंह (25 वर्ष) पटियाला में शिक्षा ग्रहण कर रहा था। उसकी गिरफ्तारी उससे कहीं अधिक चिंताजनक है, क्योंकि उस पर सीधे तौर पर भारतीय सेना से जुड़ी संवेदनशील जानकारियाँ पाकिस्तान की खुफ़िया एजेंसी ISI को भेजने का आरोप है।
डीएसपी वीरभान सिंह ने बताया कि देवेंद्र करतारपुर साहिब यात्रा के बहाने पाकिस्तान गया था। वहीं उसने ISI एजेंटों से संपर्क स्थापित किया। भारत लौटने के बाद, उसने आर्मी कैंटोनमेंट क्षेत्रों की तस्वीरें लीं और उन्हें पाकिस्तानी एजेंटों को भेजा।
चौंकाने वाली बात यह है कि 13 मई को ही देवेंद्र को फेसबुक पर अवैध हथियारों से संबंधित पोस्ट डालने के कारण हिरासत में लिया गया था। यह संकेत देता है कि वह पहले से ही आपराधिक मानसिकता की ओर झुका हुआ था और सोशल मीडिया के ज़रिए प्रभाव में आ चुका था।
देवेंद्र के फ़ोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण ज़ब्त किए गए हैं। पुलिस ने अदालत से रिमांड प्राप्त कर ली है ताकि उससे गहराई से पूछताछ की जा सके।
3. मलेरकोटला में चला नेटवर्क: दो और गिरफ्तारियाँ
पंजाब के मलेरकोटला क्षेत्र से गुजाला और यामीन मोहम्मद नामक दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इन पर आरोप है कि इन्होंने पाकिस्तान उच्चायोग में कार्यरत एक अधिकारी को संवेदनशील जानकारियाँ लीक कीं।
पंजाब के डीजीपी गौरव यादव ने इस गिरफ्तारी की पुष्टि करते हुए बताया कि दोनों आरोपी अपने पाकिस्तानी संपर्क के निर्देशों पर काम कर रहे थे। वे न सिर्फ जानकारी साझा कर रहे थे, बल्कि इसके बदले ऑनलाइन भुगतान भी प्राप्त कर रहे थे। ये आरोपी पैसे को अन्य स्थानीय एजेंटों में भी बाँटते थे।
उनके कब्जे से दो मोबाइल फ़ोन बरामद किए गए हैं और तकनीकी जाँच जारी है।
4. ऑपरेशन सिंदूर: संवेदनशीलता और सुरक्षा का सवाल
सभी आरोपियों के तार जिस सैन्य ऑपरेशन से जुड़ते दिख रहे हैं, वह है ‘ऑपरेशन सिंदूर’। हालांकि इस अभियान की पूर्ण जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है, पर माना जा रहा है कि यह भारत के सीमावर्ती इलाकों में रणनीतिक सैन्य तैनाती से संबंधित है।
यदि ऐसे अभियान की सूचनाएँ पाकिस्तान को लीक हुई हैं, तो यह भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक बहुत बड़ा खतरा है।
5. खुफ़िया एजेंसियों की चिंताएं और अगली रणनीति
इन मामलों से यह स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान की एजेंसियाँ:
युवाओं को हनीट्रैप, पैसों के लालच या विचारधारा के ज़रिए फँसाने की रणनीति अपना रही हैं।
सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म का दुरुपयोग कर रही हैं।
भारत में अपने एजेंटों का नेटवर्क विस्तारित करने की कोशिश कर रही हैं।
राष्ट्रीय जांच एजेंसियाँ अब इस दिशा में व्यापक पड़ताल कर रही हैं। NIA, RAW और IB जैसी संस्थाओं को इन मामलों की तह तक जाने और पूरे नेटवर्क को बेनकाब करने के निर्देश मिल चुके हैं।
6. सोशल मीडिया और यूट्यूब — जासूसी का नया मोर्चा?
इस केस ने एक बड़ा और अनदेखा मोर्चा खोल दिया है — सोशल मीडिया आधारित जासूसी।
ज्योति मल्होत्रा जैसी यूट्यूब इन्फ्लुएंसर जब गोपनीय जानकारी लीक करने में संदिग्ध पाई जाती हैं, तो यह सवाल खड़ा होता है कि:
क्या सोशल मीडिया क्रिएटर्स की यात्रा और गतिविधियों पर नज़र रखने की ज़रूरत है?
क्या सीमा पार यात्रा करने वालों के लिए विशेष जांच प्रणाली होनी चाहिए?
क्या सरकार को सोशल मीडिया निगरानी की नीति में बदलाव लाना चाहिए?
निष्कर्ष: जागरूकता ही सुरक्षा की पहली शर्त
इन गिरफ्तारियों से यह तो स्पष्ट हो गया है कि दुश्मन देश की एजेंसियाँ भारतीय युवाओं को विभिन्न माध्यमों से अपने जाल में फँसाने की कोशिश कर रही हैं। कभी धार्मिक यात्रा, कभी यूट्यूब चैनल और कभी सोशल मीडिया के ज़रिए — इन तरीकों का विस्तार होता जा रहा है।
इसलिए आज ज़रूरत है:
आम नागरिकों की सतर्कता की
सोशल मीडिया पर जिम्मेदार व्यवहार की
सरकारी एजेंसियों की सख्त निगरानी की
यात्राओं से पहले और बाद की गहन जांच की
भारत की आंतरिक और बाह्य सुरक्षा एक ऐसी रेखा है जिसे हर नागरिक को समझना और उसका सम्मान करना होगा। क्योंकि जासूसी अब सिर्फ जासूसों का काम नहीं रह गया — यह किसी भी अनजाने क्लिक, चैट या शेयर के ज़रिए हो सकती है।
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