हिसार की शांत गलियों में एक युवती ने इंटरनेट की दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई थी। नाम था — ज्योति मल्होत्रा। तेज़-तर्रार अंदाज़, बोलने का आत्मविश्वास और सोशल मीडिया पर हज़ारों फॉलोअर्स। वह खुद को एक ट्रैवल व्लॉगर, कल्चर एक्सप्लोरर और भारत की बेटियों की आवाज़ बताती थी। लेकिन इसी चमक-दमक के पीछे एक ऐसा स्याह सच छिपा था, जिसकी भनक तक उसके चाहने वालों को नहीं थी।
एक सुबह की दस्तक
15 मई की सुबह, हिसार के एक मोहल्ले में चहल-पहल कुछ ज़्यादा थी। चार-पांच गाड़ियों का काफ़िला जैसे ही एक छोटे से मकान के सामने रुका, लोगों ने समझ लिया कि कुछ बड़ा हुआ है। पुलिस की अगुवाई डीएसपी जितेंद्र कुमार कर रहे थे। बिना देर किए, टीम ने घर का दरवाज़ा खटखटाया और फिर अंदर दाखिल हुई। कुछ ही मिनटों में वहां से ज्योति मल्होत्रा को हिरासत में ले लिया गया।
लोग हैरान थे — “ज्योति? वही यूट्यूबर? जिसे हर कोई जानता है? वह क्यों?”
जवाब कुछ घंटे बाद सामने आया: “पाकिस्तान के लिए जासूसी के आरोप में गिरफ्तारी।”
ज्योति की दोहरी ज़िंदगी
बाहर से सब कुछ सामान्य लगता था। वीडियो बनाना, घूमना, धार्मिक स्थलों की यात्रा करना, महिलाओं के अधिकारों की बातें करना — लेकिन इस सबके पीछे एक ऐसा जाल बुना गया था जो सीधे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों से जुड़ता था।
पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, ज्योति तीन बार पाकिस्तान की यात्रा कर चुकी थी। दो बार वह सिख श्रद्धालुओं के जत्थे के साथ गई, और एक बार करतारपुर साहिब कॉरिडोर के ज़रिए। ये यात्राएं धार्मिक आस्था या सांस्कृतिक मेलजोल का हिस्सा लगती थीं, लेकिन उनका असली मकसद कुछ और था।
सूत्रों की मानें तो पाकिस्तान में उसकी मुलाकात कुछ खुफिया अधिकारियों से हुई थी। वहीं से शुरू हुआ डेटा और सूचनाओं का लेन-देन।
सोशल मीडिया: ज़रिया या हथियार?
ज्योति सोशल मीडिया पर बेहद सक्रिय थी। उसके यूट्यूब चैनल पर भारतीय सेना, बॉर्डर क्षेत्र, धार्मिक स्थलों और सेंसिटिव इलाकों की कई वीडियो थीं। यही नहीं, वह व्हाट्सएप, टेलीग्राम और इंस्टाग्राम जैसे ऐप्स के ज़रिए पाकिस्तान को संवेदनशील जानकारी भेजती थी।
पुलिस का दावा है कि वह भारत के सैन्य ठिकानों, सुरक्षाबलों की गतिविधियों और बॉर्डर मूवमेंट्स की जानकारी साझा करती थी, जिसे पाकिस्तान अपने हित में इस्तेमाल कर रहा था।
राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता
ज्योति पर भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की निगरानी महीनों से थी। उसकी यात्राओं, ऑनलाइन गतिविधियों और संपर्कों पर धीरे-धीरे नज़र रखी गई। हर एक पोस्ट, हर एक कॉल और हर एक चैट की बारीकी से जांच की जा रही थी।
जब पुष्टि हो गई कि यह केवल एक यूट्यूबर नहीं बल्कि एक स्लीपर एजेंट जैसा काम कर रही है, तब जाकर गिरफ्तारी की गई।
पाकिस्तान का नेटवर्क और बढ़ती गिरफ्तारियां
यह अकेला मामला नहीं है। पिछले एक हफ्ते में ही हरियाणा से 3 और पंजाब से 3 अन्य लोगों की गिरफ्तारी हुई है, जिन पर पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप हैं।
सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि पाकिस्तान ने सोशल मीडिया का इस्तेमाल करके एक नया और आधुनिक जासूसी नेटवर्क खड़ा किया है, जिसमें आम लोग भी शामिल हो रहे हैं — कुछ लालच में, कुछ विचारधारा के कारण, और कुछ ब्लैकमेलिंग के शिकार होकर।
5 दिन की रिमांड और गहराता रहस्य
हिसार पुलिस ने ज्योति को कोर्ट में पेश कर 5 दिन की रिमांड ली है। पूछताछ जारी है। इस दौरान उससे संपर्कों, धन के स्रोतों, डेटा ट्रांसफर और उसकी पाकिस्तान यात्राओं को लेकर सवाल पूछे जा रहे हैं।
क्या ज्योति के पीछे कोई बड़ा नेटवर्क था?
क्या उसे विदेशों से पैसा मिलता था?
क्या वह अकेली थी या कोई और भी शामिल है?
इन सभी सवालों के जवाब तलाशे जा रहे हैं।
परिवार और पड़ोस की चुप्पी
पड़ोसियों से जब मीडिया ने बात की, तो उन्होंने ज्योति को एक “साधारण लड़की” बताया।
“वह हमेशा व्यस्त रहती थी, वीडियो बनाती थी, कभी किसी से ज्यादा घुलती-मिलती नहीं थी। हमें तो यकीन ही नहीं हो रहा कि वो ऐसा कुछ कर सकती है,” एक बुजुर्ग महिला ने कहा।
पर जासूसी कोई चेहरा नहीं दिखाती। यह किसी भी आम इंसान की ज़िंदगी में गुप्त रूप से दाखिल हो सकती है, और यही इस मामले की सबसे चौंकाने वाली बात है।
यूट्यूब से खुफिया एजेंसी तक
सोशल मीडिया, खासकर यूट्यूब, अब केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं रहा। यह सूचना का एक ऐसा खुला दरवाज़ा बन चुका है, जहां से कुछ भी अंदर-बाहर किया जा सकता है।
भारत सरकार और सुरक्षा एजेंसियां अब ऐसे मामलों को गंभीरता से ले रही हैं। डिजिटल जासूसी, साइबर क्राइम और विदेशी एजेंसियों से सांठगांठ अब नए जमाने की चुनौती बन चुकी है।
सबक और चेतावनी
इस घटना ने एक अहम संदेश दिया है — देशद्रोह अब सिर्फ हथियार उठाने से नहीं होता, यह फोन उठाकर भी किया जा सकता है।
ज्योति मल्होत्रा की कहानी एक तमाचे की तरह है उन लोगों के लिए जो सोशल मीडिया को केवल लाइक्स और व्यूज की दुनिया समझते हैं।
जासूसी, चाहे किसी भी रूप में हो — देश की सुरक्षा से खिलवाड़ है। और इसके लिए कानून अपना काम करेगा।
अभी तो शुरुआत है।
पूछताछ चल रही है।
ज्योति के मोबाइल, लैपटॉप और सोशल अकाउंट्स की फॉरेंसिक जांच होगी।
और शायद जल्द ही देश को पता चलेगा कि एक यूट्यूबर की ज़िंदगी में कितने चेहरे थे।
क्योंकि पर्दा उठना अभी बाकी है…
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