रात 11 बजे प्रेस ब्रीफिंग : पाकिस्तान ने किया सीजफायर का उल्लंघन, भारतीय सेना को फ्री हैंड : विदेश सचिव

 

नई दिल्ली | भारत और पाकिस्तान के बीच हुए शनिवार शाम हुए संघर्षविराम (सीज़फायर) समझौते को महज कुछ ही घंटे बीते थे कि पाकिस्तान ने इसका उल्लंघन कर दिया। इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने रात 11 बजे एक आपातकालीन प्रेस ब्रीफिंग की और पाकिस्तान की नीयत पर गंभीर सवाल खड़े किए।

मिसरी ने कहा, सीजफायर पर सहमति दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव को कम करने और सीमा पर शांति बहाल करने के उद्देश्य से हुई थी। रात 11 बजे की विशेष प्रेस ब्रीफिंग में विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने स्पष्ट रूप से कहा कि पाकिस्तान ने संघर्षविराम के समझौते का उल्लंघन किया है।

उन्होंने कहा, “पिछले कुछ दिनों से जारी सैन्य गतिविधियों को रोकने का समझौता आज शाम को हुआ था, लेकिन इसके कुछ ही घंटों बाद पाकिस्तान की ओर से घोर उल्लंघन किया गया है। हमारी सेना ने जवाबी कार्रवाई शुरू कर दी है।”

भारत की चेतावनी : सख़्त रुख अपनाने के संकेत
विदेश सचिव ने कहा कि भारतीय सेना को सीमा पर किसी भी प्रकार के अतिक्रमण से सख्ती से निपटने के निर्देश दे दिए गए हैं।

“हमारी सेना इस स्थिति पर कड़ी नजर रखे हुए है और उसे स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि वह किसी भी उकसावे का सटीक और सख़्त जवाब दे।”

पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश : ब्रीफिंग में मिसरी ने पाकिस्तान को साफ़ शब्दों में चेतावनी देते हुए कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि पाकिस्तान स्थिति की गंभीरता को समझे और संघर्षविराम के इस अतिक्रमण को तुरंत रोके। यदि यह रवैया जारी रहा तो भारत अपने हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगा।”

भारत की ओर से कड़ा रुख सामने आने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि संघर्षविराम समझौता फिलहाल खतरे में है। कूटनीतिक हलकों में इस घटनाक्रम को गंभीर चिंता का विषय माना जा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि पाकिस्तान की ओर से संघर्षविराम उल्लंघन जारी रहा, तो भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में एक बार फिर तीखा मोड़ आ सकता है।

पाकिस्तान द्वारा संघर्षविराम समझौते के कुछ ही घंटों में किए गए उल्लंघन ने दोनों देशों के बीच भरोसे की बहाली की कोशिशों को गहरा झटका दिया है। भारत ने साफ कर दिया है कि वह इस प्रकार की गतिविधियों को कतई बर्दाश्त नहीं करेगा। आने वाले दिन दोनों देशों के बीच कूटनीतिक और सैन्य प्रतिक्रिया के लिहाज़ से बेहद अहम होंगे।

 

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