नई दिल्ली। 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने देश को हिला कर रख दिया। 26 निर्दोष नागरिकों की जान लेने वाला यह हमला केवल एक भयावह घटना नहीं थी, बल्कि भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव की एक नई कड़ी बन गया। इसी पृष्ठभूमि में भारत सरकार ने एक अभूतपूर्व निर्णय लिया—सात मई को पूरे देश में एक साथ मॉक ड्रिल। इस फैसले ने केवल सुरक्षा तंत्र को नहीं, बल्कि राजनीतिक, कूटनीतिक और मनोवैज्ञानिक समीकरणों को भी सक्रिय कर दिया है।
देशभर में ऐसी व्यापक मॉक ड्रिल आखिरी बार 1971 की भारत-पाकिस्तान जंग के समय देखी गई थी। सवाल यह उठता है: क्या यह केवल सुरक्षा तैयारी है या इसके पीछे कोई और रणनीति है?
मॉक ड्रिल क्या होती है और इसका मक़सद क्या है?
मॉक ड्रिल यानी भ्यास—एक ऐसा सिमुलेशन जिसमें आपात स्थिति, आपदा, या हमले की स्थिति में कैसे प्रतिक्रिया देनी है, इसका अभ्यास किया जाता है। इसमें शामिल होते हैं:
नागरिक सुरक्षा विभाग (Civil Defence)
जिला प्रशासन
पुलिस और फायर ब्रिगेड
स्कूली और कॉलेज स्टूडेंट्स
एनसीसी, एनएसएस और नेहरू युवा केंद्र
स्थानीय स्वयंसेवक और होम गार्ड्स
भारत में सामान्यतः ये ड्रिल्स प्राकृतिक आपदाओं के संदर्भ में होती रही हैं—जैसे भूकंप, बाढ़ या अग्निकांड। मगर इस बार जो मॉक ड्रिल हो रही है, उसका फोकस युद्धकालीन परिस्थितियों पर है—हवाई हमले, ब्लैकआउट, इवैक्युएशन, बिजली कटौती और संचार बाधा जैसी स्थितियों पर।
पहलगाम हमला और बढ़ता तनाव
यह निर्णय अचानक नहीं लिया गया। पहलगाम हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान को दोषी ठहराया, जबकि पाकिस्तान ने आरोपों को नकारते हुए स्वतंत्र जांच की मांग की। लेकिन इसके बाद भारत ने कई कदम उठाए:
सिंधु जल संधि को निलंबित करना
पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र से भारतीय विमानों की उड़ान पर रोक
सैन्य और सुरक्षा मामलों पर कई उच्चस्तरीय बैठकें
इसके जवाब में पाकिस्तान ने चेतावनी दी कि “अगर भारत पानी रोकने की कोशिश करता है तो इसे युद्ध की कार्रवाई मानी जाएगी।” इस स्थिति में मॉक ड्रिल की योजना और उसका पैमाना अप्रत्याशित नहीं लगता।
क्या यह सैन्य तैयारी है?
1971 से तुलना
रक्षा विश्लेषक राहुल बेदी कहते हैं, “1971 के बाद से अब तक इतनी बड़ी मॉक ड्रिल नहीं हुई। उस समय पूरे देश में ब्लैकआउट होता था, रेलगाड़ियों के शीशे काले किए जाते थे, और नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने की योजना होती थी।”
आधुनिक दृष्टिकोण
आज की मॉक ड्रिल में तकनीकी उपकरणों का सहारा लिया जा रहा है:
एयर रेड सायरन
मोबाइल अलर्ट
बिजली बंद कर आपात स्थिति का अभ्यास
संवेदनशील भवनों को ढंकने का प्रशिक्षण
इनका लक्ष्य है: युद्ध की आशंका में आम नागरिकों की भागीदारी और तत्परता।
राजनीतिक संकेत: 2025 के चुनावी समीकरण
भारत में हर राष्ट्रीय सुरक्षा घटना का एक राजनीतिक आयाम भी होता है। 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 की बालाकोट एयर स्ट्राइक को याद करें:
दोनों घटनाओं के बाद बीजेपी ने “राष्ट्रीय सुरक्षा” को चुनावी मुद्दा बनाया।
2019 में बालाकोट स्ट्राइक के तुरंत बाद हुए लोकसभा चुनावों में बीजेपी को स्पष्ट बहुमत मिला।
अब 2025 में, जब बिहार सहित कई राज्यों में चुनाव होने हैं, तो मॉक ड्रिल को केवल सुरक्षा अभ्यास मानना भोलेपन की बात होगी।
बीजेपी ने सभी नागरिकों, सांसदों और कार्यकर्ताओं से इस ड्रिल में हिस्सा लेने की अपील की है। इससे एक राष्ट्रीय एकता और सामूहिक सुरक्षा की छवि बनती है, जो राजनीतिक रूप से लाभकारी हो सकती है।
साइकोलॉजिकल वॉरफेयर: पाकिस्तान को संदेश
रणनीति का एक अहम हिस्सा होता है मन:स्थिति पर नियंत्रण। भारत की इस मॉक ड्रिल का एक उद्देश्य है पाकिस्तान को यह दिखाना कि:
भारत न केवल सैन्य रूप से तैयार है, बल्कि उसका नागरिक समाज भी मानसिक रूप से युद्ध के लिए तैयार है।
यह एक प्रकार का “साइकोलॉजिकल वॉर” है—बिना गोलियों के दबाव बनाना।
पाकिस्तान की सरकार ने मीडिया को बताया कि उन्हें शक है भारत “अगले 24 से 36 घंटों में सैन्य कार्रवाई कर सकता है।” भारत की ओर से कोई औपचारिक पुष्टि नहीं हुई, लेकिन मॉक ड्रिल जैसी गतिविधियाँ इस तरह की आशंकाओं को बल देती हैं।
राष्ट्रीय सुरक्षा में नागरिकों की भूमिका
भारत में युद्ध की स्थिति को केवल सैनिकों तक सीमित नहीं रखा जा सकता, विशेषकर जब:
दुश्मन ड्रोन और साइबर अटैक के जरिये आम नागरिकों को निशाना बना सकते हैं।
हवाई हमलों में शहर के केंद्र बिंदु भी संभावित लक्ष्य हो सकते हैं।
इसलिए मॉक ड्रिल से आम नागरिकों को आत्म-सुरक्षा, सहयोग और प्रशासनिक आदेशों का पालन सिखाया जा रहा है। यह एक नई सुरक्षा नीति का संकेत है, जिसमें नागरिक समाज को भी शामिल किया जा रहा है।
क्या यह अंतरराष्ट्रीय कूटनीति का हिस्सा है?
संयुक्त राष्ट्र और वैश्विक शक्तियां लगातार भारत और पाकिस्तान से तनाव कम करने की अपील कर रही हैं। मगर भारत मूक प्रतिक्रिया देने के बजाय एक्शन-ओरिएंटेड रणनीति दिखा रहा है:
मॉक ड्रिल्स दिखाती हैं कि भारत खतरे को गंभीरता से ले रहा है।
यह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की स्थिति को मजबूत करता है कि वह एक जिम्मेदार राष्ट्र है जो अपनी सुरक्षा को गंभीरता से लेता है।
संभावनाओं का आकलन: क्या युद्ध की स्थिति बन रही है?
पाकिस्तान और भारत दोनों परमाणु शक्ति संपन्न देश हैं। ऐसे में युद्ध किसी भी पक्ष के लिए लाभकारी नहीं। मगर:
1947, 1965, 1971 और 1999—चार युद्धों का इतिहास
सीमित सर्जिकल स्ट्राइक (2016) और बालाकोट जैसी एयर स्ट्राइक (2019)
अब, पाकिस्तान की चेतावनी और भारत की मॉक ड्रिल
इन संकेतों से स्पष्ट है कि क्षेत्रीय तनाव अपने चरम पर है।
सवाल उठते हैं
क्या भारत वास्तव में युद्ध की तैयारी कर रहा है?
आधिकारिक तौर पर कोई युद्ध घोषणा नहीं हुई
है।
क्या यह राजनीतिक रूप से प्रेरित कदम है?
परिस्थितियों को देखते हुए राजनीतिक लाभ की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
क्या आम नागरिकों को डराने की रणनीति है?
इसके दो पहलू हैं—डर और जागरूकता के बीच की पतली रेखा।
आम जनता की भूमिका और चुनौतियाँ
देशभर में मॉक ड्रिल का आयोजन केवल सरकारी आदेश नहीं है; यह एक जन-जागरूकता अभियान भी है। मगर इसके साथ कुछ चुनौतियाँ हैं:
सभी नागरिकों को सैन्य शब्दावली और अभ्यास की प्रक्रिया समझ में नहीं आती।
डर और भ्रम फैल सकता है, खासकर ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में।
प्रशासन को संचार और प्रशिक्षण को सरल और प्रभावी बनाना होगा।
राज्य सरकारों और संस्थाओं की प्रतिक्रियाएं
कर्नाटक: सिविल डिफेंस विभाग ने कहा कि उन्होंने गृह मंत्रालय के साथ संभावित खतरों पर चर्चा की है।
उत्तर प्रदेश: लखनऊ पुलिस लाइंस में आग बुझाने और बचाव का अभ्यास किया गया।
पंजाब: 20 जगहों पर ड्रिल—मोहाली, अमृतसर, पटियाला, जालंधर शामिल।
जम्मू-कश्मीर: स्कूलों में छात्रों को सिखाया गया कि हवाई हमले के समय कैसे व्यवहार करें।
समाप्ति: यह सिर्फ मॉक ड्रिल नहीं, नीति है
देशभर में मॉक ड्रिल कोई तात्कालिक प्रतिक्रिया नहीं है, यह एक नीति का हिस्सा है—एक ऐसी नीति जो सुरक्षा, राजनीति, कूटनीति और जनमानस—चारों मोर्चों पर काम कर रही है।
“मौजूदा हालात जटिल हैं और अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी इससे चिंतित है”—राहुल बेदी की यह टिप्पणी केवल स्थिति का आकलन नहीं, बल्कि एक चेतावनी है।
मोदी सरकार इस समय एक बहुपक्षीय रणनीति पर काम कर रही है—जो सिर्फ बम और बंदूक से नहीं, बल्कि योजना, संदेश और मानसिकता के स्तर पर लड़ी जा रही है।
भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा 7 मई 2025 को देशभर में आयोजित की जा रही सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल, वर्तमान भारत-पाकिस्तान तनाव के मद्देनज़र एक महत्वपूर्ण कदम है। यह अभ्यास नागरिकों और सुरक्षा एजेंसियों की आपातकालीन स्थितियों में तत्परता और समन्वय को परखने के लिए आयोजित किया जा रहा है।
मॉक ड्रिल का उद्देश्य और पृष्ठभूमि
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 भारतीय पर्यटकों की हत्या के बाद, भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है। भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान समर्थित आतंकियों को जिम्मेदार ठहराया है, जबकि पाकिस्तान ने इस आरोप से इनकार किया है। इस घटना के बाद, भारत सरकार ने सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल का आदेश दिया है, ताकि देश की आपातकालीन तैयारियों का मूल्यांकन किया जा सके।
मॉक ड्रिल की प्रमुख गतिविधियाँ
इस मॉक ड्रिल के तहत देशभर के 244 सिविल डिफेंस जिलों में विभिन्न गतिविधियाँ आयोजित की जाएंगी:
एयर रेड सायरन का परीक्षण: हवाई हमले की चेतावनी देने वाले सायरनों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन किया जाएगा।
ब्लैकआउट अभ्यास: कुछ क्षेत्रों में बिजली कटौती की जाएगी ताकि आपातकालीन स्थितियों में नागरिकों की प्रतिक्रिया का परीक्षण किया जा सके।
नागरिकों और छात्रों का प्रशिक्षण: आपातकालीन स्थितियों में नागरिकों और छात्रों को सुरक्षित रहने के लिए आवश्यक प्रशिक्षण दिया जाएगा।
आपातकालीन नियंत्रण कक्षों का परीक्षण: जिला नियंत्रण कक्षों और अन्य संबंधित एजेंसियों की प्रतिक्रिया समय और समन्वय का मूल्यांकन किया जाएगा।
राज्यों और शहरों में तैयारियाँ
देश के विभिन्न राज्यों और शहरों में मॉक ड्रिल के लिए व्यापक तैयारियाँ की गई हैं:
महाराष्ट्र: मुंबई, पुणे, नासिक, और औरंगाबाद सहित 15 जिलों में मॉक ड्रिल आयोजित की जाएगी।
उत्तर प्रदेश: लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, और आगरा सहित सभी जिलों में मॉक ड्रिल आयोजित की जाएगी।
पंजाब: अमृतसर, लुधियाना, पटियाला, और जालंधर सहित 20 जिलों में मॉक ड्रिल आयोजित की जाएगी।
दिल्ली: राजधानी में सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ा दी गई है, और विभिन्न क्षेत्रों में मॉक ड्रिल आयोजित की जाएगी।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने भारत और पाकिस्तान से संयम बरतने और वार्ता के माध्यम से तनाव को कम करने का आग्रह किया है। हालांकि, पाकिस्तान ने हाल ही में मिसाइल परीक्षण किए हैं, जिससे क्षेत्रीय तनाव और बढ़ गया है।
7 मई 2025 को आयोजित की जा रही सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल, भारत की आपातकालीन तैयारियों का एक महत्वपूर्ण परीक्षण है। यह अभ्यास न केवल नागरिकों को आपातकालीन स्थितियों के लिए तैयार करेगा, बल्कि सुरक्षा एजेंसियों के समन्वय और प्रतिक्रिया क्षमता का भी मूल्यांकन करेगा।
About Author
You may also like
-
वेदांता बनी निवेशकों की नई उम्मीद, जबरदस्त मुनाफा और मज़बूत बैलेंस शीट के साथ FY25 की धमाकेदार क्लोज़िंग
-
राजस्थान में 44 हजार करोड़ की रेल परियोजनाएं प्रगति पर, 750 स्टेशनों पर एयरक्राफ्ट जैसी सफाई व्यवस्था लागू होगी
-
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खेलो इंडिया युवा खेलों का किया उद्घाटन, बिहार को बताया खेल क्रांति की नई धरती
-
सिंधी समाज की सराहनीय पहल : सास-बहू के रिश्तों का होगा सम्मान, सास बहू की सर्वश्रेष्ठ जोड़ियां होंगी सम्मनित
-
उदयपुर की धड़कन पर नजर : एमबी अस्पताल के औचक निरीक्षण में कलेक्टर ने जताई संवेदनशीलता, लेकिन सुधार की अब भी जरूरत