उदयपुर। भारत की अग्रणी गैर-लौह धातु उत्पादक कंपनी हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (HZL) ने स्वच्छ और टिकाऊ ऊर्जा समाधान की दिशा में एक उल्लेखनीय कदम उठाते हुए उभरती जिंक आधारित बैटरी तकनीकों पर अनुसंधान को मजबूती से आगे बढ़ाया है। देश के दो प्रमुख वैज्ञानिक संस्थानों — आईआईटी मद्रास और जेएनसीएएसआर, बेंगलुरु — के साथ हुए रणनीतिक सहयोग से यह पहल तकनीकी नवाचार, ऊर्जा सुरक्षा और हरित भविष्य की ओर एक मजबूत संकेत देती है।
तकनीकी दृष्टिकोण : अगली पीढ़ी की बैटरी तकनीकों में मील का पत्थर
हिंदुस्तान जिंक द्वारा समर्थित अनुसंधान का उद्देश्य उच्च ऊर्जा घनत्व, बेहतर थर्मल स्थिरता, और लंबी परिचालन क्षमता वाली जिंक-आयन एवं जिंक-एयर बैटरियों का विकास करना है। इन उन्नत बैटरियों में गैर-ज्वलनशील संरचना, चौड़ा तापमान संचालन दायरा, और बेहतर रिचार्जेबिलिटी जैसी विशेषताएँ उन्हें लिथियम आधारित पारंपरिक बैटरियों की तुलना में कहीं अधिक सुरक्षित और टिकाऊ बनाती हैं।
जेएनसीएएसआर में चल रहे अनुसंधान में उन्नत इलेक्ट्रोलाइट्स के साथ नवीन जिंक एनोड फॉर्मूलेशन पर फोकस किया गया है। वहीं आईआईटी मद्रास के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग द्वारा 1 किलोवॉट की 6/12-सेल जिंक-एयर बैटरी मॉड्यूल के डिजाइन पर कार्य हो रहा है, जो ग्रिड स्केल स्टोरेज, ईवी सेक्टर और कंज़्यूमर डिवाइसेज़ में व्यापक रूप से उपयोगी हो सकता है।
सामाजिक दृष्टिकोण : भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम
यह पहल न केवल भारत की ऊर्जा सुरक्षा को सशक्त बनाती है, बल्कि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में स्वच्छ ऊर्जा के लोकतांत्रिक प्रसार को भी गति देती है। लिथियम जैसे कच्चे माल की सीमित उपलब्धता और विदेशी निर्भरता के विपरीत, जिंक भारत में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। इससे देश आत्मनिर्भर भारत अभियान को मजबूती से आगे बढ़ा सकता है।
गैर-खतरनाक कच्चे माल का उपयोग और पारंपरिक बैटरियों की तुलना में 6 गुना कम ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन इस तकनीक को पर्यावरणीय दृष्टि से भी आदर्श बनाता है। इससे स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी तंत्र पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
आर्थिक दृष्टिकोण : ग्रीन अर्थव्यवस्था को मिलेगा बूस्ट
ब्लूमबर्गएनईएफ की रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक ऊर्जा भंडारण बाजार में 2030 तक 442 GWh तक पहुंचने की उम्मीद है, जिसमें 21% CAGR की वृद्धि अनुमानित है। ऐसे में हिंदुस्तान जिंक की यह पहल राष्ट्रीय और वैश्विक बैटरी बाजार में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाने में सहायक सिद्ध हो सकती है।
एचजेडएल की धातुकर्म विशेषज्ञता, विशेष मिश्रधातु निर्माण क्षमता और बैटरी-ग्रेड इलेक्ट्रोड जैसे संसाधन उसे इस क्षेत्र में औद्योगिक उत्पादन के लिए एक उत्प्रेरक (catalyst) के रूप में स्थापित करते हैं। इसके साथ ही, अमेरिकी बैटरी निर्माता Æsir Technologies के साथ किए गए एमओयू से वैश्विक तकनीकी हस्तांतरण और व्यापारिक सहयोग को भी बढ़ावा मिलेगा।
कंपनी नेतृत्व की प्रतिबद्धता
एचजेडएल के सीईओ अरुण मिश्रा के अनुसार, “हम बैटरी टेक्नोलॉजी को सिर्फ ऊर्जा स्टोरेज समाधान नहीं, बल्कि आने वाले दशकों की ऊर्जा स्वतंत्रता की कुंजी मानते हैं। जिंक जैसी धातुओं में हमारी विशेषज्ञता हमें ऊर्जा क्रांति में अग्रणी भूमिका निभाने का अवसर देती है।”
भारत के हरित भविष्य की दिशा में ठोस कदम
हिंदुस्तान जिंक की यह बहुपरतीय पहल तकनीकी नवाचार, पर्यावरणीय संरक्षण और आर्थिक अवसरों का संगम है। यह न केवल भारत को वैश्विक बैटरी मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की ओर ले जाती है, बल्कि वैश्विक जलवायु लक्ष्यों की दिशा में एक सार्थक योगदान भी करती है।
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