
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने मंगलवार को 8वें केंद्रीय वेतन आयोग (Eighth Central Pay Commission) की टर्म्स एंड कंडीशंस को मंजूरी दे दी है। इससे देशभर के लगभग 50 लाख केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों और 69 लाख पेंशनधारियों को बड़ा लाभ मिलने की उम्मीद है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि 8वां वेतन आयोग अपनी सिफारिशें 18 महीनों के भीतर देगा। आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 2026 से लागू होने की संभावना है।
सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, आयोग में एक अध्यक्ष, एक अंशकालिक (पार्ट-टाइम) सदस्य और एक सदस्य-सचिव शामिल होंगे। आयोग की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश रंजन प्रकाश देसाई करेंगी।
सरकार ने जनवरी 2025 में 8वें वेतन आयोग के गठन की घोषणा की थी। आयोग का मुख्य उद्देश्य केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन, भत्ते और पेंशन संरचना की समीक्षा करना और उनमें आवश्यक संशोधन के सुझाव देना है।
आयोग का काम वर्तमान आर्थिक परिदृश्य, महंगाई दर, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI), और सरकारी राजकोषीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए कर्मचारियों के वेतनमान की यथार्थ समीक्षा करना होगा।
इससे केंद्रीय कर्मचारियों के साथ-साथ सेना, अर्धसैनिक बलों, रेलवे और केंद्र शासित प्रदेशों के कर्मचारियों की आय पर भी असर पड़ेगा।
जानकारों के मुताबिक, 8वें वेतन आयोग में वेतनवृद्धि का आधार फिटमेंट फैक्टर और महंगाई भत्ता (DA) मर्जर होगा।
7वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.57 तय किया गया था, जबकि 8वें में इसे घटाकर 2.46 किए जाने की संभावना जताई जा रही है।
हर वेतन आयोग में DA को जीरो से शुरू किया जाता है, क्योंकि नई बेसिक सैलरी पहले से ही महंगाई को ध्यान में रखकर तय की जाती है।
वर्तमान में केंद्रीय कर्मचारियों को बेसिक पे का 55% महंगाई भत्ता (DA) मिल रहा है। नए आयोग के लागू होते ही यह DA शून्य कर दिया जाएगा, जिससे प्रारंभिक तौर पर कुल सैलरी (बेसिक + DA + HRA) में बढ़ोतरी सीमित दिख सकती है।
कैबिनेट बैठक में वेतन आयोग के अलावा किसानों से जुड़ा एक अहम फैसला भी लिया गया। सरकार ने रबी सीजन के लिए खाद (फर्टिलाइज़र) पर 37,952 करोड़ रुपए की सब्सिडी को मंजूरी दी।
सरकार का कहना है कि इस निर्णय से किसानों को सस्ती दरों पर यूरिया और अन्य उर्वरक उपलब्ध हो सकेंगे, जिससे खेती की लागत में कमी और उत्पादन में वृद्धि की उम्मीद है।
आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि 8वें वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने से सरकार पर कुल राजकोषीय भार में उल्लेखनीय बढ़ोतरी होगी। हालांकि, केंद्र का तर्क है कि कर्मचारियों की आय में वृद्धि से खपत (Consumption) बढ़ेगी, जिससे आर्थिक गतिविधियों को बल मिलेगा।
7वां वेतन आयोग जनवरी 2016 से लागू किया गया था, जिसकी सिफारिशें 2015 में जस्टिस एके माथुर की अध्यक्षता वाले आयोग ने सौंपी थीं। उस समय भी करीब 1 करोड़ कर्मचारियों और पेंशनरों को फायदा हुआ था, और सरकार पर करीब 70,000 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ पड़ा था।
8वें आयोग के बाद यह राशि और बढ़ने की संभावना है, क्योंकि बीते दशक में महंगाई और राजस्व दोनों में वृद्धि हुई है।
वेतन आयोग की मंजूरी के बाद केंद्रीय कर्मचारियों में उत्साह देखा जा रहा है। कर्मचारी संगठनों ने इसे “लंबे समय से प्रतीक्षित फैसला” बताया है।
नेशनल फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लॉयीज़ के महासचिव ने कहा कि आयोग के गठन और शर्तों को मंजूरी मिलना एक स्वागत योग्य कदम है, जिससे महंगाई के दबाव में राहत मिलेगी।
अब आयोग अपने गठन के बाद आगामी महीनों में विभिन्न मंत्रालयों, विभागों और कर्मचारी संगठनों से सुझाव आमंत्रित करेगा।
इसके बाद मंत्रिमंडल सचिवालय को सिफारिशें सौंपी जाएंगी। केंद्र सरकार इन सिफारिशों को आंशिक या पूर्ण रूप से मंजूर कर सकती है।
केंद्र के इस फैसले को वित्तीय वर्ष 2025-26 की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले महीनों में सरकार कर्मचारियों और किसानों — दोनों वर्गों को राहत देने वाली नीतियों पर जोर दे सकती है।
अगर सब कुछ तय समय पर हुआ, तो 1 जनवरी 2026 से देशभर के सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों की सैलरी में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।
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