केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “लैवेंडर ने जम्मू-कश्मीर के छोटे से शहर भद्रवाह को राष्ट्रीय पहचान दिलाई है और भारत के आर्थिक विकास में भी भूमिका निभाई

डॉ. सिंह ने कहा, “भद्रवाह, जो कभी एक शांत पहाड़ी शहर था, अब भारत की ग्रामीण स्टार्टअप क्रांति का प्रतीक है। लैवेंडर ने इन पहाड़ों में न केवल खुशबू डाली है – बल्कि इसने पहचान, आय और प्रेरणा भी जोड़ी है”

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने सीएसआईआर-आईआईआईएम जम्मू द्वारा आयोजित 2 दिवसीय लैवेंडर महोत्सव 2025 का उद्घाटन किया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने स्टार्टअप आंदोलन को प्रोत्साहन दिया और अपने ‘मन की बात’ में विस्तृत उल्लेख के माध्यम से भद्रवाह की बैंगनी क्रांति को दुनिया के सामने पेश किया: डॉ. जितेंद्र सिंह

लैवेंडर की खेती में युवा उद्यमी औसतन वार्षिक 65 लाख रुपये से अधिक कमाते हैं

भद्रवाह में 50 आसवन इकाइयाँ चालू हैं, जो महाराष्ट्र और अन्य राज्यों को लैवेंडर उत्पादों की आपूर्ति करती हैं: डॉ. सिंह

नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज जम्मू-कश्मीर के भद्रवाह शहर में वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद-भारतीय एकीकृत चिकित्सा संस्थान (सीएसआईआर-आईआईआईएम) जम्मू द्वारा आयोजित दो दिवसीय लैवेंडर महोत्सव 2025 का उद्घाटन किया। डॉ. सिंह ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा, “लैवेंडर ने जम्मू-कश्मीर के छोटे से शहर भद्रवाह को राष्ट्रीय पहचान दी है और साथ ही भारत के आर्थिक विकास में राष्ट्रीय भूमिका भी निभाई है।”

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग और कार्मिक, लोक शिकायत तथा पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने लैवेंडर की खेती के कृषि-स्टार्टअप मॉडल की एक परिवर्तनकारी शक्ति के रूप में प्रशंसा की, जिसने दूरस्थ और पहाड़ी इलाकों में उद्यमिता की कहानी को फिर से लिख दिया है।

डॉ. सिंह ने कहा, “भद्रवाह, जो कभी एक शांत पहाड़ी शहर था, अब भारत की ग्रामीण स्टार्टअप क्रांति का प्रतीक बन गया है। लैवेंडर ने इन पहाड़ों में सिर्फ़ खुशबू ही नहीं डाली है -बल्कि इसने पहचान, आय और प्रेरणा भी दी है।”

 

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “इस एक मिशन ने कई चुनौतियों का समाधान किया है। इसने इस मिथक को तोड़ दिया है कि स्टार्टअप केवल सूचना प्रौद्योगिकी तक ही सीमित हैं या इसके लिए विदेशी डिग्री की आवश्यकता होती है। जम्मू-कश्मीर में हमारे युवाओं ने वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद-भारतीय एकीकृत चिकित्सा संस्थान (सीएसआईआर-आईआईआईएम) के सहयोग से दिखाया है कि जुनून, दृढ़ता और सीखने से कृषि में निहित स्थायी उद्यम बनाए जा सकते हैं।”

उन्होंने गर्व के साथ बताया कि भद्रवाह में युवा उद्यमी लैवेंडर की खेती और मूल्यवर्धित उत्पादों के माध्यम से औसतन वार्षिक 65 लाख रुपये कमा रहे हैं, जिससे कई अन्य लोग पारंपरिक नौकरियां छोड़कर आकर्षक व्यवसाय के अवसर के रूप में खेती करने के लिए प्रेरित हो रहे हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने भद्रवाह और बैंगनी क्रांति को राष्ट्रीय मंच पर लाने का श्रेय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को दिया। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “जब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आकाशवाणी से अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में लैवेंडर मिशन के बारे में विस्तार से बात करने के लिए लगभग दस मिनट समर्पित किए, तो इससे भद्रवाह को सर्वोत्तम संभव वैश्विक परिचय मिला – जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते थे।”

केंद्रीय मंत्री महोदय ने इस बात पर बल दिया कि यह प्रधानमंत्री मोदी की स्टार्टअप इंडिया और स्टैंडअप इंडिया की परिकल्पना थी, जिसकी घोषणा लाल किले की प्राचीर से की गई थी, जिसने उन क्षेत्रों में उद्यमशीलता की भावना को प्रज्ज्वलित किया, जिन्हें पहले विकास के नक्शे पर अपने अस्तित्व को सही ठहराने के लिए लंबे स्पष्टीकरण की आवश्यकता थी।

 

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि वर्तमान में भद्रवाह में 50 आसवन इकाइयाँ चालू हैं, जहाँ लैवेंडर से बने उत्पादों की आपूर्ति महाराष्ट्र और अन्य राज्यों के बाज़ारों में की जाती है। इस मॉडल ने न केवल हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे पड़ोसी राज्यों का ध्यान आकर्षित किया है, बल्कि पूर्वोत्तर राज्यों का भी ध्यान आकर्षित किया है, जिनके प्रतिनिधि प्रत्यक्ष जानकारी प्राप्त करने के लिए इस उत्सव में उपस्थित थे।

उन्होंने कहा, “यह एक नया प्रतिमान है जिसे दुनिया देख रही है – एक ग्रामीण, कृषि-आधारित स्टार्टअप क्रांति जो विशाल पैमाने पर और टिकाऊ दोनों है।” डॉ. जितेंद्र सिंह ने एक और मिथक को संबोधित किया, वह यह गलत धारणा है कि स्टार्टअप केवल युवाओं के लिए हैं। उन्होंने बताया कि उत्सव के अगले संस्करण में 60 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के उद्यमियों की एक विशेष प्रदर्शनी दिखाई जाएगी।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने व्यापक आर्थिक संदर्भ को रेखांकित करते हुए कहा, “भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और लैवेंडर की खेती जैसे क्षेत्र हमारी उन्नति को और बढ़ावा देंगे। ये अनछुए क्षेत्र, जब सशक्त होंगे, तो मूल्य संवर्धन और रोजगार सृजन के स्तंभ बनेंगे।”

उन्होंने आक्रामक रक्षा रुख के बीच भारत की आर्थिक मजबूती को लेकर संदेह को भी संबोधित किया। उन्होंने बल देकर कहा, “चुनौतीपूर्ण समय और सिंदूर जैसे अभियानों के बावजूद, भारत की अर्थव्यवस्था न केवल उछाल भरी रही है बल्कि बढ़ी भी है। यह संदेह करने वालों के लिए एक करारा जवाब है।”

 

डॉ. जितेंद्र सिंह ने अपने संबोधन का समापन करते हुए भद्रवाह में एक अभूतपूर्व कार्यक्रम आयोजित करने के लिए डॉ. ज़बीर और वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद-भारतीय एकीकृत चिकित्सा संस्थान (सीएसआईआर-आईआईआईएम) टीम की प्रशंसा की, जिसमें पूरे भारत से आगंतुक आए। उन्होंने सभी को अगले 10-15 दिनों में लैवेंडर के फूलों को पूरी तरह से खिलने के दौरान लैवेंडर के खेतों का दौरा करने और उद्यमियों से सीधे बात करने के लिए आमंत्रित किया।

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