नशीला पदार्थ देकर पत्नी के साथ बलात्कार करने वाले पति समेत 51 पुरुषों को सजा तो मिली पर कम मिली…यहां पढ़िए पूरी कहानी

फ्रांस के एविग्नन में गिसेले पेलिकॉट बलात्कार मामले ने न केवल न्याय व्यवस्था पर बल्कि समाज की नैतिकता पर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं। गुरुवार को इस मामले में 51 लोगों को दोषी ठहराया गया, लेकिन उनके अपराधों की तुलना में सुनाई गई सजा ने कई को निराश किया।

मामले का इतिहास और अपराध की जटिलता
यह मामला गिसेले पेलिकॉट के पूर्व पति डोमिनिक पेलिकॉट के अत्याचारों से शुरू हुआ। उन्होंने एक दशक तक अपनी पत्नी को नशीला पदार्थ देकर बलात्कार किया और अन्य पुरुषों को भी इसमें शामिल किया। यह अपराध इसलिए और भयावह हो जाता है क्योंकि यह लंबे समय तक छुपा रहा और इसके शिकार ने यह पीड़ा अकेले झेली। डोमिनिक को 20 साल की सजा मिली, जो इस मामले में सबसे कठोर सजा है, लेकिन सवाल उठता है कि क्या यह पर्याप्त है?

अन्य दोषियों में जीन-पियरे मारेचल और चार्ली आर्बो जैसे अपराधी शामिल थे, जिन्होंने न केवल इस अपराध में भाग लिया, बल्कि इसे बार-बार अंजाम दिया। जीन-पियरे को 12 साल की सजा दी गई, जबकि अभियोजन पक्ष ने 17 साल की सिफारिश की थी। चार्ली, जो सबसे कम उम्र के दोषियों में से एक थे, को 13 साल की सजा मिली।

न्याय व्यवस्था पर सवाल
अधिकांश अभियुक्तों को 8 से 10 साल की सजा दी गई, जो कि अभियोजक की 10 से 18 साल की सिफारिश से कम है। यह सजा न केवल अपराध की गंभीरता को कमतर आंकती है, बल्कि पीड़िता और समाज को गलत संदेश भी देती है। क्या न्याय व्यवस्था इन अपराधों के प्रति पर्याप्त सख्ती नहीं दिखा रही है?

सामाजिक परिप्रेक्ष्य
इस मामले ने यह भी उजागर किया कि समाज में ऐसे अपराधों के लिए संवेदनशीलता और जागरूकता की कितनी कमी है। दोषियों में से कई ने मुकदमे के दौरान अपनी गलतियों के लिए माफी मांगी, लेकिन यह माफी वास्तविक पछतावे की ओर इशारा करती है या सिर्फ एक औपचारिकता है, यह अभी भी स्पष्ट नहीं है।

क्या समाज तैयार है?
इस तरह के मामले यह दर्शाते हैं कि सिर्फ कानूनी सजा से इस प्रकार के अपराधों को रोका नहीं जा सकता। आवश्यकता इस बात की है कि समाज में महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान और उनके अधिकारों को लेकर गंभीर चर्चा हो। इसके साथ ही अपराधियों को पुनर्वास के ऐसे कार्यक्रमों में शामिल किया जाना चाहिए, जो उनके मानसिक ढांचे को बदल सके।

क्या सजा अपराध के बराबर है?
अपराध की गंभीरता और सजा के बीच का असंतुलन इस मामले का सबसे बड़ा सवाल है। क्या 8-10 साल की सजा इन अपराधों के लिए पर्याप्त है? क्या यह भविष्य के अपराधियों को ऐसा करने से रोक पाएगी?

गिसेले पेलिकॉट बलात्कार मामला केवल दोषियों की सजा तक सीमित नहीं है। यह समाज, न्याय व्यवस्था और अपराधों के प्रति हमारी सामूहिक प्रतिक्रिया की परीक्षा है। यह जरूरी है कि ऐसे मामलों में सख्त सजा के साथ-साथ समाज में शिक्षा और जागरूकता अभियान चलाए जाएं, ताकि भविष्य में इस तरह के अपराधों को जड़ से खत्म किया जा सके।

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