
नई दिल्ली। G20 समिट के दूसरे सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने प्राकृतिक आपदाओं, क्लाइमेट चेंज, कृषि संकट और ऊर्जा सुरक्षा को लेकर व्यापक वैश्विक सहयोग का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि इस वर्ष भी प्राकृतिक आपदाओं ने दुनिया की विशाल आबादी को प्रभावित किया है, जो यह संकेत देता है कि वैश्विक स्तर पर आपदा प्रबंधन क्षमता को और मज़बूत करने की आवश्यकता है।
डिज़ास्टर रेज़िलिएन्स पर विकास-केंद्रित दृष्टिकोण की ज़रूरत
प्रधानमंत्री ने कहा कि आपदा प्रबंधन के लिए दुनिया को “रिस्पॉन्स-सेंट्रिक” नहीं बल्कि “डेवलपमेंट-सेंट्रिक” अप्रोच अपनानी होगी। उन्होंने याद दिलाया कि भारत ने अपनी G20 अध्यक्षता के दौरान Disaster Risk Reduction Working Group की स्थापना की थी और इस एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए दक्षिण अफ्रीका को बधाई दी।
उन्होंने Coalition for Disaster Resilient Infrastructure (CDRI) की प्रासंगिकता बताते हुए कहा कि G20 देश इस प्लेटफॉर्म के जरिए फाइनेंस, टेक्नॉलॉजी और स्किल डेवलपमेंट को बढ़ाकर एक सुरक्षित और रेज़िलिएंट भविष्य का निर्माण कर सकते हैं।
G20 ओपन सैटेलाइट डेटा पार्टनरशिप का प्रस्ताव
प्रधानमंत्री ने स्पेस टेक्नॉलॉजी को मानवता के हित में अधिक सुलभ बनाने पर बल दिया। भारत ने G20 Open Satellite Data Partnership का सुझाव दिया है, जिसके तहत G20 देशों की स्पेस एजेंसियों का सैटेलाइट डेटा ग्लोबल साउथ के लिए अधिक उपयोगी और इंटर-ऑपरेबल बनाया जा सकेगा।
क्रिटिकल मिनरल्स पर वैश्विक सर्कुलैरिटी इनिशिएटिव
क्लीन एनर्जी और सस्टेनेबिलिटी को वैश्विक ग्रोथ का आधार बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि क्रिटिकल मिनरल्स मानवता की साझा संपदा हैं। भारत ने G20 Critical Minerals Circularity Initiative का प्रस्ताव दिया, जिसके तहत—
रीसाइक्लिंग
अर्बन माइनिंग
सेकंड-लाइफ़ बैटरी टेक्नॉलॉजी
जैसे नवाचारों को बढ़ावा देने की बात कही गई। इससे प्राइमरी माइनिंग पर निर्भरता घटेगी और सप्लाई चेन पर दबाव कम होगा। उन्होंने कहा कि यह इनिशिएटिव जॉइंट रिसर्च, टेक्नॉलॉजी स्टैंडर्ड्स और ग्लोबल साउथ में पायलट प्रोजेक्ट्स को सपोर्ट कर सकता है।
रिन्यूएबल एनर्जी के लक्ष्यों को पाने के लिए क्लाइमेट फाइनेंस की जरूरत
प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि नई दिल्ली G20 समिट में यह संकल्प लिया गया था कि 2030 तक रिन्यूएबल एनर्जी उत्पादन को तीन गुना और ऊर्जा दक्षता (energy efficiency) दर को दोगुना किया जाएगा। उन्होंने विकसित देशों से अपील की कि वे सस्ती क्लाइमेट फाइनेंस और टेक्नॉलॉजी ट्रांसफर की अपनी प्रतिबद्धताओं को समयबद्ध तरीके से पूरा करें।
कृषि और खाद्य सुरक्षा पर बढ़ता खतरा
क्लाइमेट चेंज और अन्य वैश्विक संकटों के कारण कृषि क्षेत्र पर मंडरा रहे खतरों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया के कई देशों में किसानों को फर्टिलाइज़र्स, टेक्नॉलॉजी, क्रेडिट, इंश्योरेंस और मार्केट एक्सेस जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने बताया कि भारत—
दुनिया का सबसे बड़ा फूड सिक्योरिटी व न्यूट्रिशन सपोर्ट प्रोग्राम,
सबसे बड़ा हेल्थ इंश्योरेंस कार्यक्रम,
और सबसे बड़ी फसल बीमा योजना
सफलतापूर्वक चला रहा है। भारत ने श्री-अन्न (मिलेट्स) को पोषण और पर्यावरण दोनों के लिए सुपरफूड बताते हुए उन्हें बढ़ावा देने पर जोर दिया।
डेकन प्रिंसिपल्स पर आगे बढ़ने का आह्वान
प्रधानमंत्री ने कहा कि दिल्ली G20 में बनाए गए डेकन प्रिंसिपल्स को आगे बढ़ाने के लिए अब G20 को एक व्यापक रोडमैप तैयार करना चाहिए।
‘Resilience cannot be built in silos’
अपने संबोधन के अंत में प्रधानमंत्री ने कहा कि रेज़िलिएन्स निर्माण अलग-अलग क्षेत्र में बिखरे प्रयासों से नहीं हो सकता। G20 को ऐसी व्यापक रणनीतियों को बढ़ावा देना होगा जो—
न्यूट्रिशन
पब्लिक हेल्थ
सस्टेनेबल एग्रीकल्चर
डिज़ास्टर प्रिपेयर्डनेस
को जोड़कर एक मज़बूत वैश्विक सुरक्षा ढांचा तैयार करें।
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