उदयपुर से डॉ. गिरिजा व्यास या गौरव वल्लभ हो सकते हैं कांग्रेस प्रत्याशी?

उदयपुर। बीजेपी से ताराचंद जैन के प्रत्याशी बनने के बाद शहर के लोगों में कांग्रेस प्रत्याशी को लेकर इंतजार बढ़ गया है। प्रत्याशी के नाम को लेकर लोग अपने कयास लगा रहे हैं। शहर में हो रही चर्चा में गौरव वल्लभ का नाम सबसे ऊपर है। दिल्ली और जयपुर से आ रही खबरों के मुताबिक उदयपुर से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में गौरव वल्लभ का नाम लगभग तय है, लेकिन कांग्रेस पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं के बीच डॉ. गिरिजा व्यास, दिनेश खोड़निया के नाम भी शामिल है।

हाईकमान ने उन लोगों के बारे में फीडबैक लिया है जो कांग्रेस प्रत्याशी के विरोध कर सकते हैं। उदयपुर में कांग्रेस प्रत्याशी के चयन को लेकर लगातार विरोधाभास चल रहा है, लेकिन लोगों की जुबां पर गौरव वल्लभ का नाम है। इसकी वजह यह है कि गौरव वल्लभ उदयपुर में लगातार लोगों से मुलाकात कर रहे हैं। जैन संतों से लेकर तमाम धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रमों में वे पिछले दो तीन माह से शामिल हो रहे हैं। उनके पोस्टर व होर्डिंग्स आपणा गौरव ने भी लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता के तौर पर टीवी पर दिखने वाले गौरव वल्लभ के नाम को लेकर आमजन आश्चर्यचकित भी है। बीजेपी आलाकमान के पास पहले से यह संदेश जा चुका है कि उदयपुर से कांग्रेस गौरव वल्लभ को टिकट दे सकती है, यही वजह है कि बीजेपी ने अपने सबसे पुराने कार्यकर्ता को चुनाव मैदान में उतारा है। बीजेपी ने परंपरा के अनुसार जैन सीट को भी कायम रखा है।


उधर, कांग्रेस में जैन समाज के कुछ नेताओं की ओर से दिनेश खोड़निया का नाम जोर-शोर से लिया जा रहा था, लेकिन ईडी की कार्रवाई के बाद उनका शोर थमा है। हालांकि खोड़निया को सीएम अशोक गहलोत का अतिकरीबी माना जाता है। समाज को जमीन दिलवाने में उनकी अहम भूमिका मानी जा रही है।


कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर गौरव वल्लभ को लेकर भी कई ब्राह्मण लीडर एकजुट दिखाई दे रहे हैं। उनका मानना है कि उदयपुर सीट पर ब्राह्मण मतदाता प्रभावी होने के बावजूद शिव किशोर सनाढ्य के बाद ब्राह्मण प्रत्याशी नहीं जीत सका।

बीजेपी के कटारिया के कद के सामने पहले दिनेश श्रीमाली और बाद में डॉ. गिरिजा व्यास को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। इस बार बीजेपी से रवींद्र श्रीमाली जो सभापति और यूआईटी चेयरमैन रहे हैं, उनको बीजेपी से टिकट मिलने की पूरी उम्मीद थी जो पूरी नहीं हो सकी।
टिकट किसी को भी मिले कांग्रेस को अपने जमीनी कार्यकर्ताओं को मैदान में उतारना पड़ेगा। इसमें कांग्रेस की मौजूद कार्यकारिणी की अहम भूमिका हो सकती है। कुछ लोगों कांग्रेस में स्थानीय नेता का राग अलाप रहे हैं, लेकिन राष्ट्रीय छवि वाले नेताओं के लिए यह मुद्दा मायने नहीं रखता है। यदि ऐसा होता तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के होने के बावजूद बनारस से भारी बहुमत से नहीं जीतते।


बहरहाल कांग्रेस से गौरव वल्लभ या डॉ. गिरिजा व्यास को टिकट मिलता है तो इस बार मुकाबला ज्यादा रोमांचक होने वाला है।

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