फोटो : कमल कुमावत

भारतीय नववर्ष समाजोत्सव समिति के तत्वावधान में आयोजित धर्मसभा में संतों का आह्वान
उदयपुर, 30 मार्च। आने वाली पीढ़ी को धर्म की सुदृढ़ नींव पर स्थापित करना हर सनातनी का कर्तव्य है। इसके लिए शास्त्र के साथ शस्त्र को धारण करने की आवश्यकता है। यह संदेश झाड़ोल स्थित मांकड़ादेव धाम के संत गुलाबदास महाराज ने दिया।
वे भारतीय नववर्ष समाजोत्सव समिति द्वारा आयोजित तीन दिवसीय आयोजन के समापन दिवस पर टाउन हॉल में धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। इससे पहले भव्य शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं की भागीदारी रही।

गुलाबदास महाराज ने ओजस्वी उद्बोधन में कहा,
“आज मेवाड़ एक महाकुंभ का दृश्य प्रस्तुत कर रहा है। समाज जागरूक हो रहा है और अपनी सांस्कृतिक धरोहर को बचाने के लिए प्रतिबद्ध है। यदि हम संगठित नहीं हुए, तो कोई भी हमारे महापुरुषों पर अनर्गल टिप्पणियां कर सकता है। हमें धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए निरंतर जागरूक रहना होगा।”
उन्होंने कहा कि आने वाली पीढ़ी को नैतिकता और आध्यात्मिकता से जोड़ने के लिए संघ की शाखाएं उत्तम मंच हैं, जहां राष्ट्रभक्ति और वीरता की शिक्षा दी जाती है।

“एकता और आत्मबल से होगा सनातन धर्म का उत्थान”
धर्मसभा में गोपाल पुरुषोत्तम आश्रम, बड़ीसादड़ी के पीठाधीश्वर सुदर्शनाचार्य महाराज ने भी अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा,
“समय परिवर्तनशील है। वह घड़ी आ चुकी है जब हिंदू समाज अपने मूल धर्म और संस्कृति की ओर जागृत हो रहा है। पहले अंग्रेजी नववर्ष का ही प्रचार-प्रसार होता था, लेकिन अब परिस्थितियां बदल रही हैं। सनातन धर्म की गौरवशाली परंपरा पुनः जाग्रत हो रही है।”
उन्होंने समाज को एकजुट रहने की प्रेरणा देते हुए देवराज कांड और कन्हैयालाल हत्याकांड जैसी घटनाओं का जिक्र किया और कहा कि इनसे सीख लेकर हमें अपनी एकता और आत्मबल को सशक्त करना होगा।

संतों का दिव्य सान्निध्य
धर्मसभा में अनेक संत-महंतों ने शिरकत की, जिनमें प्रमुख रहे:
🔹 महंत इंद्रदेव दास (चतुरभुज हनुमान हरिदासजी की मगरी)
🔹 महंत दयाराम (रामद्वारा धोलीबावड़ी)
🔹 महंत नारायण दास (कल्लाजी धाम बोहरा गणेशजी)
🔹 महंत राधिका शरण (सर्वेश्वर आश्रम, सवीना)
🔹 महंत मैत्रेय दास (इस्कॉन मंदिर, भूपालपुरा)
🔹 गादीपति रविंद्र बापू (ओम बन्ना धाम, बलीचा)
🔹 महंत ओम दास (नरसिंहजी मंदिर, देहलीगेट)
प्रकाश माली के भजनों से गूंज उठा पंडाल
धर्मसभा के बाद प्रसिद्ध भजन गायक प्रकाश माली ने अपनी सुमधुर प्रस्तुति से श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर दिया।

उन्होंने “जय जय राजस्थान” भजन से समा बांधा और “राम मेरे घर आना” जैसे भजनों से माहौल को भक्तिरस से सराबोर कर दिया। उनके देशभक्ति से ओतप्रोत भजन “मेरा रंग दे बसंती चोला” पर पूरा पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
प्रतिभाओं का सम्मान
कार्यक्रम में नववर्ष पर आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं में विजयी प्रतिभाओं को गुलाबदास महाराज व संतों द्वारा प्रशस्ति पत्र एवं स्मृति चिह्न प्रदान कर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम का संचालन विकास छाजेड़ एवं विष्णु मेनारिया ने किया।







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