
उदयपुर। दुनिया के सबसे खूबसूरत शहरों में शामिल उदयपुर में सरकारी मिलीभगत से पहाड़ बिक गए, तालाब और झीलें बिक गईं, उस शहर में 272 भूखंड का मामला प्राेपेगेंडा से ज्यादा कुछ नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जिस मामले में जांच करवा चुके हैं, उस मामले में अब नए नवेले मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा भी क्या कर लेंगे।
दरअसल जिस दिन से यह मुद्दा उठा है, उस दिन से ही इस मामले में मात्र मीडिया ट्रायल और सस्ती लोकप्रियता लेने से ज्यादा कुछ नहीं हुआ है। पहले यह मामला नगर निगम की बैठकों में उठाया गया, प्रेस कांफ्रेंसेस की गई। तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और एसओजी को दस्तावेज दिए गए। लेकिन नतीजा शून्य ही रहा। नगर निगम, यूआईटी जो अब यूडीए है और कब्जेधारी लोगों के बीच यह मामला सिविल केस के जैसा है। हां यदि इसमें दस्तावेजों में हेराफेरी की गई तो क्रिमिनल केस बनता है, लेकिन अब तक उसमें भी एफआईआर दर्ज होकर कोर्ट में ट्रायल हो जानी चाहिए थी।
जब शहर के तालाब बिककर वहां मकान बन गए, पहाड़ बिके और काटकर रिसोर्ट बना दिए गए, उनकी भी खूब मीडिया ट्रायल हुई, लेकिन नतीजा सबके सामने हैं। उदयपुर में यदि ईमानदारी से जमीनों के मामलों की जांच की जाए तो हजारों बीघा के घोटाले सामने आ जाएंगे जोकि संभव नहीं है।
बहरहाल 272 भूखंडों के मामले को उठाने वालों ने अब यह मुद्दा शहर के नए नवेले विधायक ताराचंद जैन को सौंप दिया है। चूंकि यह मुद्दा अब भाजपा की सियासत से जुड़ा हुआ है इसलिए विधानसभा में इसकी गूंज सुनाई दे रही है। जबकि विधायक बनने से पहले खुद ताराचंद जैन नगर निगम में पार्षद और निर्माण समिति के चेयरमैन रहे हैं। उनके जिलाध्यक्ष रहते भाजपा के छह बोर्डों में भी उनका दखल रहा है।
विधायक के प्रवक्त ललित तलेसरा ने इस मुद्दे पर प्रेसनोट जारी कर बताया कि यूआईटी से नगर निगम को हस्तान्तरित 272 भूखण्ड जो लापता है उनका मामला शुक्रवार को एक बार फिर से विधानसभा में शहर विधायक ताराचंद जैन ने उठाया। जैन ने कहा इस मामले में तीन छोटे कर्मचारियों को नोटिस दिया गया पर इन भूखण्डों के पट्टे जारी करने वाले तत्कालीन आयुक्त के खिलाफ आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है। विधायक जैन ने सरकार से इस करोड़ों के इस गबन की जांच करवाने की मांग की है।
यूआईटी (अब यूडीए) से नगर निगम को समय-समय पर कॉलोनियां हस्तांतरित की जाती है और इन कॉलोनियों के हस्तान्तरण के साथ-साथ इन कॉलोनियों में खाली पड़े यूआईटी के भूखण्ड भी निगम को मिल जातेे है, जिनमें से 272 भूखण्ड गायब है। इसी को लेकर शहर विधायक ताराचंद जैन ने विधानसभा में इस मुद्दे को उठाया। विधायक जैन ने कहा कि यह 500 करोड़ से अधिक का घोटाला है और केवल 49 भूखण्डों को संदिग्ध माना है।
विधायक जैन ने कहा कि तत्कालीन निगम आयुक्त हिम्मत सिंह बारहठ ने भूमाफियाओं से मिलीभगत की। 272 भूखण्डों के गायब होने का मामला सामने आया तो महापौर ने एक जांच कमेटी गठित की, जिसमें तीन पार्षदों और तीन अधिकारियों को शामिल किया गया। जांच कमेटी ने आनन-फानन में एक रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट पर केवल अधिकारियों के ही हस्ताक्षर थे। जिसमें बताया कि 316 पत्रवालियों की जानकारी नहीं थी और 49 भूखण्डों को संदिग्ध माना था। साथ ही इस रिपोर्ट में लिखा कि यूआईटी जांच कर बताएगी। विधायक जैन ने कहा कि जब यूआईटी से पूछा तो उन्होंने बताया कि निगम से इस तरह का कोई पत्र आया ही नहीं।
विधायक ने कहा कि निगम के जिम्मेदार अधिकारियों ने इसे छिपाने के लिए यूआईटी को पत्र लिखा ही नहीं। शहर विधायक ताराचंद जैन ने कहा कि इस मामले में तीन छोटे अधिकारियों को 16 सीसी का नोटिस दे दिया, जबकि जिम्मेदार आयुक्त होता है उसे कुछ नहीं कहा गया। विधायक जैन ने विधानसभा को बताया कि इस मामले में एसओजी में एफआईआर दर्ज है पर दो साल से जांच पेंडिंग है। विधानसभा में विधायक ताराचंद जैन ने स्वायत्त शासन मंत्री से कहा कि इस संबंध में सारे दस्तावेज उनके पास है और वे इन दस्तावेजों को उपलब्ध करवा देंगे। साथ ही विधायक ताराचंद जैन ने कहा कि इस पर कठोर कार्यवाही करें और निष्पक्ष जांच करवाकर नीचे से लेकर उपर के अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करें।
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