उदयपुर। झील प्रेमियों के रविवार को हुए संवाद में आयड नदी के अतिक्रमण हटाओ अभियान की सराहना करते हुए नदी के मूल स्वरूप को लौटाने का आग्रह प्रेषित किया गया।
संवाद में कहा गया कि आयड़ नदी पुरातत्व , सांस्कृतिक व पर्यावरणीय महत्व की ऐतिहासिक नदी है। इसके जलग्रहण क्षेत्र के पहाड़ों को तथा झीलों, तालाबों को नष्ट होने से बचाया जाए ।
नदी पेटे में हो रहे निर्माणों को रोकना जरूरी है। स्मार्ट सिटी द्वारा नदी को नाला बनाना नदी व इसके पर्यावरण तंत्र, जल तंत्र, जीव तंत्र पर सबसे बड़ा कुठाराघात साबित होगा। नदी अपने स्वरूप व रास्ते को कभी नहीं भूलती। जब तेज बाढ़ आयेगी, नदी पेटे में भरा भराव व कृत्रिम निर्माण बह जायेंगे।
संवाद से पूर्व गंदगी से अटे पड़े कुम्हारिया तालाब के एक हिस्से पर श्रमदान कर कचरे व गंदगी को हटाया गया। संवाद व श्रमदान में अनिल मेहता, तेज शंकर पालीवाल, नंद किशोर शर्मा, कुशल रावल, द्रुपद सिंह, रमेश राजपूत इत्यादि ने सहभागिता की।
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