उदयपुर। महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमपीयूएटी) उदयपुर एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के केन्द्रीय कृषिरत महिला संस्थान भुवनेश्वर के संयुक्त तत्वाधान में सहयोग एवं नवाचार को बढ़ावा देने के लिए समझौता ज्ञापन (mou) पर अधिकारित हस्ताक्षर कुलपति डॉ अजीत कुमार कर्नाटक म.प्र.कृ.प्रो.वि. के निर्देशन में निदेशक, डॉ. मृदुला देवी, भुवनेश्वर,उड़ीसा अनुसंधान निदेशक डॉ. अरविन्द कुमार वर्माए अनुसंधान निदेशालय, उदयपुर एवं दीपक सिंघवी, सिंघवी सेल्स एवं कारपोरेशन उदयपुर द्वारा किया गया।
डॉ. अरविन्द वर्मा, निदेशक, अनुसंधान निदेशालय, उदयपुर द्वारा स्वागत उद्बोधन दिया गया. डॉ वर्मा ने विकसित भारत के लिए माननीय प्रधामंत्री द्वारा उल्लेखित सबसे बड़ी जातियों, गरीब, युवा, महिलाएं एवं किसानो के उत्थान के बारें में धयान आकर्षित करते हुए बताया कि कृषिरत महिला अनुसंधान परियोजना उदयपुर महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में उल्लेखनीय कार्य कर रही है।डॉ. एस. के. शर्मा नई दिल्ली, एक्रिप टीम के कार्यो की प्रशंसा करते हुए टीम सदस्यों को बधाइयाँ दी।
तकनीकी विकास एवं लाईसेंसिंग पर कार्य किया जा रहा है जिससे राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनेगी। केंद्र के द्वारा लिंग भेद , डाटा बेस, महिलाओं पर आधारित आंकड़ो का संग्रहण, महिला अनुकूलित तकनीकियो के विकास पर कार्य प्रशंसनीय है जिससे राष्ट्रीय लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
केन्द्रीय कृषिरत महिला संस्थान भुवनेश्वर, द्वारा महिला विकास हेतु विकसित तकनीकियो को उपयोगी माना है। डॉ. शर्मा ने बताया कि 2047 के विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए नागरिकता केन्द्रित प्रोद्योगिकियो पर ध्यान केन्द्रित करने की आवश्यकता है । डॉ. शर्मा ने बताया कि ना तो ग्रामीण ना ही शहरी बल्कि हमें सभी महिलाओं को सुविधाओं से युक्त बनाना है ।
डॉ. मृदुला् ने बताया कि ग्रामीण महिलाओं को कई समस्याओं एवं चुनोतियाँे का सामना करना पड़ता है । सबसे ज्यादा महिलाओं द्वारा लेंगिक भेदभाव को सहना पड़ता है । ग्रामीण क्षेत्र में अभी भी पोषण सम्बन्धी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है अतः ग्रामीण महिलाओं पोषण से सम्बंधित दक्षताओं से अभिभूत कराने की आवश्यकता है।
महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए विश्वविद्यालय एवं के.वी. के. वैज्ञानिको प्रसार कार्यकर्ता की मदद से महिला क्लब बनाकर उनकी मदद कर सकते है ।
कुलपति डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक द्वारा एम. ओ. यू. हस्ताक्षर, किसान परिवार -उन्मुख प्रौद्योगिकी प्रचार विडिओ और एप्स की विमोचन एवं नवाचार हेतु असीम बधाइयाँ दी । डॉ. कर्नाटक ने बताया कि इस प्रकार के नवाचार से ग्रामीण महिलाओं के श्रम को साधने में मदद मिलेगी ।
डॉ पी.के. सिंह, डीन सी.टी.इ. एवं सामुदायिक एवं व्यावहारिक विज्ञान महाविद्यालय द्वारा एक्रिप टीम के वैज्ञानिको को गुणवत्तापूर्वक कार्य करने की सराहना की गयी । डॉ. विशाखा बंसल द्वारा परियोजना के कार्यों की जानकारी दी गयी ।
एम. ओ. यू. कठिन परिश्रम को कम करने एवं खेती में समग्र दक्षता बढ़ाने के उद्देश्य से, प्रौद्योगिकियों को पेश करके कृषि प्रथाओं में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए हमारी प्रतिबद्धता का एक प्रमाण है। एम. ओ. यू. के अलावा निदेशकए डॉ. मृदुला देवी ;ब्प्ॅ।द्ध द्वारा प्रौद्योगिकी प्रचार विडियो और ऐप्स का भी विमोचन किया गया।
प्रताप एर्गो टूल कठिन परिश्रम न्यूनीकरण अनुसंधान के लिए एक अमूल्य संपत्ति डॉ. सुमन सिंह एवं डाँ. रेखा व्यास, प्रोफेसर एमराइटस और डाँ० हेमू राठौड़, वरिष्ठ वैज्ञानिक द्वारा डिजाइन किया गया। प्रताप एर्गो टूल मात्र एक तकनीकि नवाचार ही नहीं, बल्कि यह शोधकर्ताओं को कठिन परिश्रम करने में उनके काम करने के लिए तैयार एक मजबूत और उपयोगकर्ता-अनुकूल मंच प्रदान करने की प्रतिवद्धता का प्रमाण है।
कठिन परिश्रम न्यूनीकरण अनुसंधान के मुख्य लाभ व्यापक डेटा विश्लेषण करना, उपयोगकर्ता के अनुकूल इंटरफेस करना तथा अनुकूलन योग्य पैरामीटर पद्धतियों को समायोजित करना है।
पेरेटिंग इंडेक्स (द्विभाषी) मोबाइल ऐप डॉ. गायत्री तिवारी, प्रोफेसर और डाँ स्नेहा जैन, यंग प्रोफेशनल द्वारा तैयार किया गया है। यह उपकरण माता-पिता के लिए माता-पिता- बच्चे के सम्बन्ध, पालन-पोषण की शैली, माता-पिता के स्वभाव और पालन-पोषण की दक्षताओं से सम्वन्धित आयामों का आकंलन करने के लिए है।
दूसरा मोबाइल ऐप श्प्रजनन स्वास्थ्यश् डॉ गायत्री तिवारी, प्रोफेसर व डॉ. स्नेहा जैन, यंग प्रोफेशनल द्वारा बनाया गया है। इसमें ग्रामीण माताओं और किशोर लड़कियों के मनोवैज्ञानिक कल्याण के लिए प्रजनन स्वास्थ्य देखभाल पर एक अन्तः क्षेप (प्दजमतअमदजपवद) पैकेज शामिल है। जिसमें गर्भपात, बच्चो का जन्म, कामुकता, गर्भनिरोधक और मातृ मृत्यु दर जैसे कई विशिष्ट मुद्दे शामिल है।
तीसरा मोबाइल ऐप “प्रारम्भिक किशोरावस्था के दौरान विकासात्मक परिवर्तनों के बारे में जागरुकता एवं मुकाबला करने की रणनीतियाँ (द्विभाषी)” है जिसे डॉ. गायत्री तिवारी, प्रोफेसर एवं सुश्री नीता गायकवाड़ द्वारा तैयार किया गया है। इसके द्वारा प्रारम्भिक किशोरावस्था अवधि, शारीरिक परिवर्तन, मनौवैज्ञानिक – सामाजिक परिवर्तन, नैतिकता में परिवर्तन, पारिवारिक रिश्ते आदि शामिल किये गये हैं।
कार्यक्रम के बाद डॉ मृदुला देवी द्वारा पहले से चल रहे पाँचों प्रोजेक्ट के टेक्नीकल प्रोगाम पर चर्चा की गयी। कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. गायत्री तिवारी, प्रोफेसर सामुदायिक एवं व्यावहारिक विज्ञान महाविद्यालय द्वारा दिया गया।
About Author
You may also like
-
बैडमिंटन स्टार पीवी सिंधु की शादी और उदयपुर के पर्यावरण पर सवाल
-
शिल्पग्राम महोत्सव के उद्घाटन के साथ ही शुरू हुई ‘लोक के रंग-लोक के संग की धूम’
-
जयपुर में ज्वलनशील पदार्थ से भरे टैंकर को ट्रक ने मारी टक्कर, पूरा इलाका आगे की लपटों में घिरा, 9 लोगों की जलने से मौत, 35 से ज्यादा झुलसे
-
नशीला पदार्थ देकर पत्नी के साथ बलात्कार करने वाले पति समेत 51 पुरुषों को सजा तो मिली पर कम मिली…यहां पढ़िए पूरी कहानी
-
उदयपुर पुलिस, यूट्यूबर पत्रकार और स्वास्थ्य अधिकारी : क्या है असल कहानी?