
प्रकृति संरक्षण और भूगोल अनुसंधान में चार दशकों की सेवाओं का मिला सम्मान
उदयपुर। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय में 25 से 27 अक्टूबर तक आयोजित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ जियोग्राफी के 46वें राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रोफेसर पी.आर. व्यास को सर्वसम्मति से संस्थान का उपाध्यक्ष चुना गया। यह सम्मान उन्हें भूगोल और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उनके चार दशक लंबे योगदान तथा प्रकृति शोध संस्थान के माध्यम से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किए गए कार्यों के लिए प्रदान किया गया है।
प्रो. व्यास ने विगत छह महीनों में प्रकृति शोध संस्थान के माध्यम से पर्यावरण और प्रकृति संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की हैं। उनके नेतृत्व में देशभर के लगभग 250 से अधिक भूगोलवेता और पर्यावरण विशेषज्ञ इस संस्थान से जुड़े हैं। उन्होंने भारत के 11 राज्यों में क्षेत्रीय प्रकृति शोध केंद्रों की स्थापना कर संरक्षण के क्षेत्र में एक सशक्त नेटवर्क खड़ा किया है।
प्रो. व्यास ने इस सम्मान को अपने सभी प्रकृति परिवार के सदस्यों और प्रकृति प्रेमियों को समर्पित करते हुए कहा कि — “हमारा उद्देश्य केवल शोध तक सीमित नहीं है, बल्कि आने वाले समय में हम ग्राउंड लेवल पर पर्यावरण संरक्षण के ठोस प्रयासों को और मज़बूती से आगे बढ़ाएंगे।”
प्रोफेसर व्यास का शैक्षणिक और अनुसंधान अनुभव चार दशकों से अधिक का है। वे सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर में भूगोल विभाग के अध्यक्ष रह चुके हैं और देश के कई प्रमुख विश्वविद्यालयों में अतिथि व्याख्याता के रूप में सेवाएँ दे चुके हैं।
साल 2004-05 में वे अमेरिका के स्लिपरी रॉक विश्वविद्यालय में विज़िटिंग प्रोफेसर रहे और आज भी उस संस्थान से शैक्षणिक सहयोग बनाए हुए हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनकी सक्रिय भूमिका के कारण वे एसोसिएशन ऑफ अमेरिकन जियोग्राफर्स के जीवन सदस्य हैं और आगामी मार्च 2026 में होने वाले उनके वार्षिक सम्मेलन में अपने प्रस्तावित मॉडल — “मेटाबॉलिक मॉडल ऑफ अर्बन सस्टेनेबिलिटी” — को प्रस्तुत करेंगे।
इसके पूर्व भी प्रो. व्यास कई प्रतिष्ठित पदों पर रह चुके हैं — 2008 में नेशनल जियोग्राफिकल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के उपाध्यक्ष, 2009 में राजस्थान भूगोल परिषद के अध्यक्ष, और 2016 में डक्कन जियोग्राफर्स के उपाध्यक्ष।
हाल ही में श्रीनगर में आयोजित प्रकृति शोध संस्थान की बैठक में देशभर से आए पर्यावरणविदों ने अपने संकल्प को दोहराते हुए कहा कि पर्यावरण संरक्षण केवल नीति नहीं, बल्कि समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है।
प्रो. व्यास के नेतृत्व में यह आंदोलन अब स्थानीय स्तर पर भी जन-भागीदारी के माध्यम से आगे बढ़ रहा है। उनका लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में प्रकृति शोध संस्थान को भारत के प्रत्येक राज्य में एक सक्रिय केंद्र के रूप में स्थापित किया जाए, ताकि भूगोल और पर्यावरण के अध्ययन को समाज और नीति निर्माण से सीधे जोड़ा जा सके।
About Author
You may also like
-
दिल्ली में लाल किले के पास कार में धमाका, एक की मौत की पुष्टि, कम से कम 8 लोगों के मरने की खबर, 24 घायल—कई गाड़ियां जलीं, फॉरेंसिक टीम जांच में जुटी
-
राजनीतिक सरगर्मी तेज़ — नेताओं के आरोप, बेरोज़गारी से लेकर चुनाव आयोग तक पर उठे सवाल
-
Punjab University LIVE: Farm leaders reach campus, protest escalates as students hold Punjab govt
-
Dharmendra critical after being admitted to Breach Candy Hospital, on ventilator
-
देश–दुनिया में राजनीति, खेल, मौसम : क्रिकेट इतिहास में आठ बॉल पर आठ छक्के, 11 बॉल पर फिफ्टी —आज की बड़ी खबरें एक जगह