उदयपुर। भारत तिब्बत समन्वय संघ (बीटीएसएस) की राष्ट्रीय कोर परिषद की दो दिवसीय बैठक ‘तप-2024’ का आरंभ उदयपुर में हुआ। उद्घाटन सत्र के दौरान बीटीएसएस के राष्ट्रीय महामंत्री लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीनिवास राव ने चीन की विस्तारवादी नीतियों पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा कि यदि हम इतिहास से सबक नहीं लेते, तो हमारा पतन सुनिश्चित है। उन्होंने तिब्बत को भारत का अभिन्न अंग बताते हुए उसके स्वतंत्रता संग्राम के प्रति संघ की प्रतिबद्धता को दोहराया।
कैलाश मानसरोवर की मुक्ति का संकल्प
अतिरिक्त महाधिवक्ता प्रवीण खंडेलवाल ने कैलाश मानसरोवर की मुक्ति को भारत के सांस्कृतिक अधिकारों से जोड़ते हुए कहा कि तिब्बत की स्वतंत्रता के बिना भारत की आजादी अधूरी है। उन्होंने इस दिशा में संघ के प्रयासों को और तेज करने का आह्वान किया।
संघ के प्रयास और भविष्य की चुनौतियां
उदयपुर नगर निगम के उपमहापौर पारस सिंघवी ने अपने उद्बोधन में संघ के दृढ़ संकल्प और अथक प्रयासों की सराहना की, जिससे कई ऐतिहासिक कार्य संभव हुए, जैसे कश्मीर से धारा 370 का हटना और राम मंदिर का निर्माण। उन्होंने धर्मांतरण के मुद्दे को भी उठाया और जनजाति सुरक्षा मंच द्वारा चलाए जा रहे डी-लिस्टिंग अभियान की चर्चा की।
तिब्बत मुक्ति की ओर संघ का संकल्प
संघ के राष्ट्रीय सह संयोजक (संवाद प्रभाग) संजय सोनी ने बताया कि तिब्बत की स्वतंत्रता के बिना भारत की पूर्ण स्वतंत्रता संभव नहीं है। इसी दिशा में बैठक के दौरान विभिन्न उपक्रमों और प्रस्तावों पर विचार-विमर्श होगा, जिनका उद्देश्य तिब्बत की मुक्ति की दिशा में ठोस कदम उठाना है।
दो दिवसीय इस महत्वपूर्ण बैठक में दलाईलामा की प्रार्थना और दीप प्रज्वलन के साथ आरंभ हुआ यह विचार मंथन भारत-तिब्बत संबंधों की ऐतिहासिक और समकालीन स्थिति पर आधारित है, जिसमें संगठन के सदस्यों ने तिब्बत की स्वतंत्रता के लिए अपने प्रयासों को और मजबूत करने का संकल्प लिया।
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