परम पिता परमात्मा अजन्मा, सर्वोच्च, यथार्थ, दाता, सागर व सर्वमान्य : ब्र कु. पूनम बहन

सभी धर्म-दर्शन मे परमात्मा एक दिव्य ज्योति है

भक्त भगवान से अंतरंग  पिता पुत्र की पहचान आपको दिव्य ज्योति का वारिस बनायेगी

उदयपुर। ब्रह्माकुमारी विश्विद्यालय के अंतर्गत नौ दिवसीय अलविदा तनाव हैप्पीनैस शिविर मे ब्र.कु.पूनम बहन ने आज अपने व्याख्यान के माध्यम से  “ईश्वरीय अनुभूति” मे परमात्मा से मंगलमिलन करा “आनंद उत्सव” मनाया।

हैप्पीनैस शिविर मीडिया कार्डिनेटर प्रोफेसर विमल शर्मा के अनुसार पूनम बहन ने कहा कि हर धर्म यही कहता है कि परमात्मा एक है और अपनी अपनी मान्यतानुसार पूजते है ।

यहां समझने वाली बात यह है कि हर धर्म के मूल दर्शन मे परमात्मा को एक दिव्य ज्योति (डिवाईन वाईट लाईट/ शक्ति) के रुप मे स्वीकारते हुए उनकी शिव, राम, क्रष्णा , जीजस, बुद्ध , महावीर, गुरुनानक आदि स्वरुप मे आराधना की है ।

सबसे निचले पायदान पर करोड़ों आम संसारिक आत्माओं के विकास क्रम मे महान आत्माएँ , देवत्व प्राप्त आत्माएँ , धर्म / पंथ संस्थापक आत्माएँ के उपर एक परम पिता परमात्मा होता है । परम पिता परमात्मा अजन्मा (जन्म मरण का चक्र नहीं ) , सर्वोच्च (सुप्रीम, पालनहार ), यथार्थ , दाता (सुख शांती दाता, यश वैभव दाता आदि), सागर ( लिमिटलैस) व सर्वमान्य  है।

भक्त भगवान से अंतरंग  पिता पुत्र की पहचान आपको दिव्य ज्योति का वारिस बनायेगी ।

 ध्यान मे हम इस दिव्य सूक्ष्म सफेद तारानुमा दिव्य प्रकाश से अपने सहस्त्रार पर या त्रिनेत्र पर झरनेरुपी दिव्य प्रकाश (फाऊंटेन आफ डिवाइन लाईट) को गिरते हुए महसूस करते हुए मन ही मन दोहराते है कि “सर्वशक्तिमान हजार भुजाओं वाला भगवान मेरे साथ है” । 

पूनम बहन ने दस मिनिट के अनुपम गाईडिड मेडिटेशन के द्वारा सभी शिविरार्थियों को ईश्वरीय अनुभूती करा “आनंद उत्सव” मे मानो ब्रह्माण्ड की सैर करा दी । सभी दिव्य आत्माओं पर महारास के दौरान स्नेह से गुलाब पुष्प व गुलाब जल की वर्षा की गई।

कल पांचवे दिन सुखी जीवन के रहस्य बताते हुए “परिवर्तन उत्सव” मनाया जायेगा । 

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