उदयपुर। प्रदूषण से बचना है तो उपभोग की प्रवृति पर अंकुश लगाना होगा। प्रकृति व चराचर जगत के प्रति करुणा, स्नेह , संवेदनशीलता, सेवा के भाव ही सच्चा नैतिक व्यहवार है।
यह विचार पर्यावरणविद डॉ अनिल मेहता ने विद्या भवन गो. से. शि क्षक महाविद्यालय में मंगलवार को ‘पर्यावरण के प्रति नैतिक जागरूकता‘ विषयक उद्बोधन में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों के अधिकतम खपत के बजाय अधिकतम बचत के दृष्टिकोण से ही पेड़, पानी, मिट्टी, हवा, पहाड़ झीलें, नदियां सुरक्षित रह पाएंगे।
मेहता ने कहा कि हमने हमारे बुजुर्गाें की सम्यक जीवन, सम्यक आचरण व सम्यक व्यहवार सीख को भूला दिया है । हमारी पूर्व पीढ़ियों ने प्रकृति के साथ संतुलित व्यहवार किया।
मेहता ने वेद, उपनिषद, गीता, रामायण, कुरान, बाइबिल इत्यादि धर्मशास्त्रों में वर्णित पर्यावरणीय सिद्धांतो का उल्लेख करते हुए कहां कि हर धर्म शास्त्र पर्यावरण के प्रति नैतिक व्यहवार की सीख देते हैं। पृथ्वी सूक्त का उल्लेख करते हुए मेहता ने कहा कि धरती मां की हम संतान है। लेकिन, अपनी ही मां के साथ हमारा व्यहवार अनैतिक होता जा रहा है।
वार्ता का संचालन डॉ. खीमाराम काक ने किया तथा धन्यवाद डॉ. मीनाक्षी शर्मा ने दिया।
महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. फरजाना इरफान ने बताया कि महाविद्यालय में पांच दिवसीय समाजोपयोगी उत्पादक कार्य शिविर के दूसरे दिन इस गोष्ठी काbआयोजन किया गया। इससे पूर्व योग एवं ध्यान का सत्र हुआ। शिविर के पहले दिन महाविद्यालय के छात्रों ने देवाली स्थित कच्ची बस्ती में सामाजिक,
आर्थिक एवं शैक्षणिक परिस्थिति का पता करने के लिए सर्वे किया।
भूगोल के विद्यार्थियों ने मौसम के उपकरणों से स्थानीय समय का पता किया तथा धूप में छड़ी की परछाई से स्थानीय समय निकाल कर मानक समय से कितना अंतर है उसका पता किया। प्राध्यापक डॉ. जयदेव पानेरी ने विद्यार्थियों परंपरागत खेल खिलवाए।
About Author
You may also like
-
पैडल-टू-जंगल का आठवां संस्करण : दूसरे दिन वागड़ की वादियों में किया 60 किमी का सफर
-
क्राइम स्टोरी : महिला तांत्रिक के उकसाने पर बेटे ने की सौतेली मां की हत्या
-
जयपुर टैंकर ब्लास्ट से उदयपुर में छाए मातम के बादल : ड्राइवर की स्थिति गंभीर, खलासी का मालूम नहीं, 22 सवारी घर पहुंची, 8 का अस्पताल में इलाज जारी
-
वृद्ध महिला की नथ छीनकर फरार हुए बदमाश, पुलिस पर कार्रवाई न करने का आरोप
-
पैडल टू जंगल का आठवां संस्करण : साइकिल पर सवार होकर वागड़ की प्रकृति की हसीन छांव में