जनजाति आयुक्त मीणा ने किसानों को बांटा ‘फसल अमृत’

झाड़ौल में रंग लाएगी जैविक खेती को प्रोत्साहित करने की मुहिम


उदयपुर। जनजाति अंचल के काश्तकारों को सिंचाई की अत्याधुनिक सुविधा मुहैया करवाने की दृष्टि से जनजाति आयुक्त ताराचंद मीणा द्वारा चलाई जा रही मुहिम के तहत एक अनूठी पहल की है। मीणा ने अपनराजस्थान सरकार के सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग,आईस्टार्ट और ईएफ पॉलीमर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित समारोह में झाडोल में 400 किसानों को फसल अमृत के पैकेट बांटे और किसानों को इनका उपयोग पैदावार बढ़ाने के उद्देश्य से करने का आह्वान किया।


किसानों को ‘फसल अमृत’ के पैकेट वितरित करते हुए जनजाति आयुक्त मीणा ने कहा कि रासायनिक उर्वरकों के उपयोग से भूमि की उर्वरा क्षमता का क्षरण होता है और इससे दिनों-दिन उस खेत की पैदावार क्षमता कम होती जाती है। उन्होंने कहा कि आज हर एक किसान को जैविक खेती को अपनाना होगा क्यांकि यह हमारे परंपरागत खाद से पैदा होती है और कई सारी बीमारियों से मानव जीवन को बचाती है।

इसलिए शुरू हुई मुहिम :
जनजाति आयुक्त मीणा ने बताया कि जनजाति अंचल में पारंपरिक खेती केकारण काश्तकार बहुत सारे रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों का उपयोग करते हैं, जो पर्यावरण और लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं। इस मुद्दे का समाधान करने के लिए, झाड़ोल बेल्ट में यह मुहिम प्रारंभ की गई है जिसका उद्देश्य किसानों को जैविक खेती के प्रयासों को बढ़ावा देना है। इस मुहिम के सूत्रधार ईएफ पॉलिमर है जो प्रतिष्ठित राजीव गांधी इनोवेशन पुरस्कार जीतने वाली कंपनी है, और इसे राजस्थान सरकार की आई स्टार्ट कार्यक्रम से जुड़ी हुई है।

जैविक उत्पाद है फसल अमृत :
मीणा ने बताया कि जैविक उत्पादों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से एक नए कृषि उत्पाद को प्रोत्साहित किया जा रहा है जिसका नाम ’फसल अमृत’ है। यह पौधों को पानी को संचयित करने, स्वस्थ पौधों का विकास करने और किसानों के उत्पाद को बढ़ाने में मदद करता है। यह उत्पाद प्राकृतिक रूप से पौधों को पोषण देकर,नुकसानदायक रसायनों की आवश्यकता को कम करता है, जिससे पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद मिलती है। ईएफ पॉलिमर की यह मुहिम झाड़ोल बेल्ट की कृषि के लिए सकारात्मक परिवर्तन ला सकती हैं।

कार्यक्रम दौरान अंकित जैन, गौरव जैन सहित ईएफ पॉलिमर के पदाधिकारियों ने जनजाति आयुक्त मीणा को ‘फसल अमृत’ की विशेषताओं और इससे इस जनजाति अंचल में पैदावार में होने वाले आमूलचूल परिवर्तन के बारे में जानकारी दी।

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